CHANDIGARH: चंडीगढ़ से अमृतसर की करीब साढ़े चार घंटे की यात्रा अगर 20 मिनट में पूरी हो जाए तो आप इसे सपने जैसा ही मानेंगे लेकिन यह सच होने जा रहा है। जल्द ही भारत परिवहन के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में होगा। दरअसल, अब भारत में भी हाइपरलूप तकनीक पर आधारित तीन परियोजनाओं की बात जारी है, जिसमें मुंबई-पुणे कॉरिडोर परियोजना पर काम साल 2020 में शुरू भी हो चुका है। चंडीगढ़-लुधियाना-अमृतसर को भी इस प्रोजैक्ट से जोड़ने की योजना है।
ज्ञात हो, यह दुनिया का पहला व्यावसायिक हाइपरलूप कॉरिडोर होगा। बता दें, हाइपरलूप तकनीक परिवहन की दुनिया को बदलकर रखने वाली है। अनुमान है इस तकनीक से यात्रा बुलेट ट्रेन से दोगुनी-तिगुनी तेज रफ्तार से होगी। इसे परिवहन का पांचवा मोड बताया जा रहा है।
भारत में कहां-कहां चल रही है हाइपरलूप परियोजना पर बात
मुंबई-पुणे कॉरिडोर
2018 में वर्जिन हाइपर पूल वन कंपनी के चेयरमैन रिचर्ड ब्रैनसन, महाराष्ट्र सरकार द्वारा आयोजित मैग्नेटिक महाराष्ट्र कन्वर्जेंस में शामिल हुए थे। जिसके बाद उन्होंने सेंट्रल पुणे से नवी मुंबई एयरपोर्ट को हाइपरलूप तकनीक से जोड़ने के लिए अपनी एक इकाई स्थापित करने की बात कही थी। महाराष्ट्र सरकार की अनुमति मिलते ही भारत में पहली बार इस परियोजना पर काम शुरू हो गया। इस परियोजना को पूरा होने में 7 वर्ष का समय लगेगा। महाराष्ट्र सरकार पूर्व में ही इसे आधिकारिक बुनियादी ढांचा परियोजना घोषित कर चुकी है।
यह परियोजना मुंबई से पुणे के बीच की 117.5 कि.मी. की दूरी तय करेगी, जिसमें उम्मीद की जा रही है कि वाहनों की रफ्तार 496 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 70 हजार करोड़ का निवेश किया जाएगा। योजना को दो चरणों में बांटा गया है। पहले चरण में 5 हजार करोड़ की लागत से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी का एक पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा। इस पर सफल परीक्षण के बाद ही परियोजना के दूसरे चरण यानी मुख्य परियोजना का काम आरंभ होगा।
मुंबई-पुणे के बीच हर साल दोगुने होते यात्रियों के कारण इस रूट पर यह योजना लागू की जा रही है। कार्य पूरा होने के बाद मुंबई-पुणे के बीच लगने वाला 1 घंटा 40 मिनट का समय घटकर 25 मिनट हो जाएगा।
बेंगलुरु सिटी से बेंगलुरु एयरपोर्ट तक
मुंबई-पुणे हाइपरलूप परियोजना के बाद बेंगलुरु एयरपोर्ट से बेंगलुरु शहर को जोड़ने की बात चल रही है। यह देश भर में इस तरह की दूसरी परियोजना होगी। 27 सितंबर 2020 को वर्जिन हाइपरलूप कंपनी और केंपेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बेंगलुरु के बीच मेमोरेंडम ऑफ अन्डर्स्टेन्डिंग (MOU) साइन हुआ है। इस MOU के तहत एयरपोर्ट से लेकर शहर तक हाइपरलूप कॉरिडोर की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। अगर संभावनाएं होती हैं तो काम आगे बढ़ाया जाएगा। 2029 तक इस परियोजना के पूरे होने की बात कही गई है।
अमृतसर- चंडीगढ़ हाइपरलूप कॉरिडर
इस परियोजना के तहत पंजाब के तीन प्रमुख शहरों को जोड़ा जाएगा, जिसमें अमृतसर, चंडीगढ़ के अलावा लुधियाना भी शामिल है। पंजाब सरकार और वर्जिन हाइपरलूप कंपनी के बीच 3 दिसम्बर 2020 को एक MoU साइन हुआ है। हाइपरलूप कॉरिडोर बनने के बाद अमृतसर से चंडीगढ़ के बीच की 226 कि.मी. की दूरी में लगने वाले समय को 90% तक कम कर देगा।
वर्जिन हाइपरलूप की वेबसाइट के अनुसार एयरपोर्ट और रेल से अभी अमृतसर से चंडीगढ़ जाने में 4 घंटे 30 मिनट के करीब समय लगता है। वहीं निजी वाहन (कार) से साढ़े तीन घंटे का समय लगता है। हाइपरलूप कॉरिडोर इसे घटाकर 20 मिनट तक कर देगा।
क्या है हाइपरलूप तकनीक और कैसे करती है काम
यह एक परिवहन तकनीक है जो लूप के माध्यम से काम करेगी। इसकी गति बहुत तेज होगी और यात्रियों के अलावा माल ढुलाई भी की जा सकेगी।
हाइपरलूप में खास प्रकार से बनाये गए कैप्सूल या पॉड्स का उपयोग किया जाता है जिसमें यात्रियों को बिठाकर या सामान भरकर इन कैप्सूल्स या पॉड्स को जमीन के ऊपर बड़े-बड़े पारदर्शी पाइपों में इलेक्ट्रिकल चुंबक की मदद से चलाया जाएगा और चुंबकीय प्रभाव से ये पॉड्स ट्रैक से कुछ ऊपर उठ जाएंगे जिससे घर्षण नहीं होगा और गति ज्यादा तेज हो जाएगी। यह स्वचालित तकनीक पर आधारित होगी। इस तकनीक का श्रेय एलन मस्क को दिया जाता है।
हालांकि अभी पूरी दुनिया में कहीं भी यह तकनीक अभी सुचारू रूप से शुरू नहीं हुई है। अभी सिर्फ परीक्षण ही हुए हैं। भारत के अलावा दुनिया के कई बड़े देश जिसमें अमेरिका, कनाडा और सऊदी अरब शामिल है, में इस पर बड़े स्तर पर कार्य चल रहा है। ~(PBNS)