CHANDIGARH: चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के बाद बने हालात में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। पार्टीजनों का असंतोष रह-रहकर उभर रहा है। आज प्रदेश कांग्रेस की हुई पहली मीटिंग से ही निवर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने किनारा कर लिया तो नगर नगम में नेता विपक्ष देविंदर सिंह बबला भी इस मीटिंग में नहीं गए। इस बीच, मीटिंग में छाबड़ा विरोधी और समर्थक आपस में उलझ गए। नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला ने उन्हें शांत किया और सभी से अब तमाम पुराने मामलों पर मिट्टी डालने का आह्वान किया।
इसलिए बुलाई गई थी मीटिंग
शहर में इसी साल के अंत में नगर निगम के आम चुनाव होने हैं। इसको लेकर कांग्रेस अभी से भाजपा के हमलावर होने के मूड में है। इसी की रूपरेखा तय करने के लिए चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष सुभाष चावला ने पार्टी की मीटिंग बुलाई। चावला के प्रदेश प्रधान बनने के बाद उनकी अध्यक्षता में कांग्रेस की यह पहली मीटिंग थी लेकिन नेतृत्व परिवर्तन से नाराज चल रहे निवर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा और नगर नगम में विपक्ष के नेता व कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद देविंदर सिंह बबला की गैरमौजूदगी कई कयासों को जन्म दे गई। बता दें कि चावला की प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के लिए गत 21 फरवरी को आयोजित समारोह में भी छाबड़ा को प्रदेश कांग्रेस प्रभारी एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद मनाकर उन्हें अपने साथ अपनी गाड़ी में बैठाकर इस समारोह में ले गए थे, जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार रहे देविंदर सिंह बबला को खुद सुभाष चावला ने उनके घर जाकर मनाया था लेकिन आज पार्टी की पहली मीटिंग में ही छाबड़ा व बबला की अनुपस्थिति बता रही है कि पार्टी में अभी सबकुछ शांत नहीं हुआ है। निगम चुनाव के मद्देनजर भाजपा के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने के लिए बुलाई गई कांग्रेस की मीटिंग में निगम में विपक्ष के नेता बबला के ही हाजिर न होने को लेकर कई सियासी सवाल भी उठ रहे हैं।
इस तरह गर्मा गया मीटिंग का माहौल
यही नहीं, मीटिंग के दौरान ही छाबड़ा विरोधी और समर्थकों की भिड़ंत भी हो गई। मीटिंग का माहौल तब गर्म हुआ जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता हाकम सरहदी निवर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के कार्यकाल से नए अध्यक्ष सुभाष चावला के शुरू ही हुए कार्यकाल की तुलना करने लगे। सरहदी ने छाबड़ा की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। इसको लेकर पूर्व मेयर हरफूल चंद कल्याण छाबड़ा के समर्थन में खड़े हो गए। उन्होंने न केवल छाबड़ा के कार्यकाल को सराहा, बल्कि मौजूदा स्थिति में मजबूत संगठन के लिए प्रदीप छाबड़ा के नेतृत्व को ही श्रेय दिया। छाबड़ा के विरोध और समर्थन को लेकर सरहदी व कल्याण के बीच इस कदर कहासुनी हुई कि प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चावला को हस्तक्षेप कर उन्हें शांत करना पड़ा। चावला ने सभी कांग्रेसजनों से पुरानी बातें छोड़कर नए सिरे से पार्टी को आगे बढ़ाने पर जोर दिया लेकिन चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस की पहली मीटिंग के इस घटनाक्रम को लेकर पार्टी की भीतरी सियासत और गर्म हो गई है।
पार्टी की मीटिंग पूरे सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। इसमें सभी 25 ब्लॉक इकाइयों, जिला और प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, स्थाई आमंत्रित व विशेष आमंत्रित सदस्यों को मिलाकर करीब 100 नेताओं ने भाग लिया और भाजपा के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तय की। कुछ नेताओं के मीटिंग में न आने का सवाल है तो उनके पास मीटिंग की सूचना थी। शायद उनके दिमाग से स्लिप हो गई होगी। कल प्रेस कांफ्रैंस में ये नेता मौजूद रहेंगे। जहां तक मीटिंग में कहासुनी का सवाल है तो जब किसी के मन में गिले-शिकवे होते हैं, तब ऐसे मौके पर बाहर आ ही जाते हैं। पार्टी पूरी तरह एकजुट है।
– हरमोहिंदर सिंह लक्की, मुख्य प्रवक्ता, चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस।