चंडीगढ़ कांग्रेस 6 से 10 मार्च तक बैंकों और एलआईसी कार्यालयों के सामने करेगी आंदोलन, 13 को ‘चलो राजभवन’ मार्च

अडानी मामले में हम सरकार को जिम्मेदारी से भागने की इजाजत नहीं दे सकते, महंगाई, बेरोजगारी और भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे के खिलाफ भी संघर्ष कर रही कांग्रेस: एचएस लक्की

CHANDIGARH, 22 FEBRUARY: चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों, उच्चतम बेरोजगारी और अपनी शासन विफलता से जनता का ध्यान हटाने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा प्रायोजित विभाजनकारी एजेंडे के खिलाफ भारत के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष कर रही है। लक्की ने घोषणा की कि चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस 6 से 10 मार्च तक राष्ट्रीयकृत बैंकों और एलआईसी के कार्यालयों के सामने ब्लॉक स्तर पर आंदोलन करेगी। 13 मार्च को ‘चलो राजभवन’ मार्च का आयोजन किया जाएगा।

सेक्टर-35 स्थित राजीव गांधी भवन में आज प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की ने कहा कि एक ज़िम्मेदार विपक्षी दल होने के नाते हम भाजपाई सत्ता के मित्र पूंजीपतियों को सरकारी खजाने की लूट की खुली छूट और प्रधानमंत्री से संबंधित पूरे अडानी महाघोटाले में हो रहे घोटालों से भी चिंतित हैं। इसलिए हम सरकार को उसकी जिम्मेदारी से भागने की इजाजत नहीं दे सकते। लक्की ने कहा कि मोदी सरकार ने राहुल गांधी के सवालों और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के अंशों को बेशक संसदीय कार्यवाही से हटा दिया हो लेकिन भारत के लोग सब देख रहे हैं कि संसद में क्या हो रहा है। लोग जानना चाहते हैं कि सरकार संसदीय भाषणों का स्तर गिराने की कोशिश क्यों कर रही है और प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं।

देशवासी जानना चाहते हैं कि कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचालित विदेशी शेल कंपनियों से संबंधों का आरोप है, भारत की संपत्तियों पर एकाधिपत्य स्थापित कर रहा है और इस सब पर सरकारी एजेंसियां या तो कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं या इन सब संदिग्ध गतिविधियों को ही सुगम बनाने में जुटी हैं। लक्की ने कहा कि भारत के लोग बहुत बुद्धिमान हैं और वे मोदी और उनके मित्र पूंजीपतियों के बीच संपूर्ण पारस्परिक तालमेल को समझ सकते हैं। वे जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व का दूसरा सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की और वे इस गंभीर अंतर्राष्ट्रीय खुलासे पर चुप क्यों हैं?

एक सवाल के जवाब में लक्की ने कहा कि हम किसी व्यक्ति के दुनिया के अमीरों की सूची में 609वें से दूसरे स्थान पर पहुंचने के ख़िलाफ़ नहीं हैं लेकिन हम निस्संदेह सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एकाधिकारों के ख़िलाफ हैं, क्योंकि वे जनता के हितों के विरुद्ध होते हैं। विशेष तौर पर हम टैक्स हेवन देशों से आपत्तिजनक संबंधों, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक ख़ास व्यक्ति द्वारा हमारी अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए एकाधिपत्य स्थापित करने के ख़िलाफ़ हैं। उन्होंने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति बनाने से क्यों डर रही है, जबकि संसद के दोनों सदनों में उसका अच्छा बहुमत है।

लक्की ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने से पहले काला धन भारत वापस लाने और हर नागरिक के बैंक खाते में 15-20 लाख रुपए डालने का वादा किया था लेकिन आज की कड़वी सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। स्विट्ज़रलैंड के केंद्रीय बैंक के पिछले वार्षिक डेटा के मुताबिक 2021 में स्विस बैंकों में जमा भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षों के उच्चतम स्तर 3.83 बिलियन स्विस फ़्रैक्स (30,500 करोड़ रुपए से अधिक) पर पहुंच गया है।

हम जानना चाहते हैं कि टैक्स हेवन देशों से संचालित होने वाली विदेशी शेल कंपनियों से भारत आने वाले काले धन का असली मालिक कौन है? क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा? काले धन पर प्रधानमंत्री के वादे का क्या हुआ?

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कई बार भ्रष्टाचार से लड़ने में अपनी निष्ठा और नीयत की बातें की हैं लेकिन उनके क़रीबी मित्र स्पष्ट तौर पर ऐसे अवैध कार्यों में लिप्त रहे हैं जो आम तौर पर माफ़िया, आतंकी और शत्रु देश रहते
हैं। वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी ने ईडी, सीबीआई और DRI (खुफ़िया राजस्व निदेशालय) जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग अपने राजनीतिक या सैद्धांतिक प्रतिद्वंद्वियों को डराने-धमकाने के लिए किया है, साथ ही उन व्यापारिक घरानों को दंडित करने के लिए भी किया है जो उनके पूंजीपति मित्रों के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं हैं।

लक्की ने कहा कि 1992 में हर्षद मेहता मामले की जांच के लिए एक जेपीसी का गठन हुआ था, जबकि 2001 में एक जेपीसी ने केतन पारेख मामले की जांच की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी, दोनों को करोड़ों भारतीय निवेशकों को प्रभावित करने वाले घोटालों की जांच के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों पर विश्वास और भरोसा था। प्रधानमंत्री मोदी को किस बात का डर है? क्या उनके अधीन एक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष जांच की कोई उम्मीद है?

एचएस लक्की ने कहा कि जब यह धोखाधड़ी हो रही थी तो सेबी (SEBI) क्या कर रहा था? अडानी समूह के ख़िलाफ स्टॉक में हेरफेर के आरोपों के सार्वजनिक होने के बाद शेयरों की कीमतों में गिरावट से उन लाखों निवेशकों को नुकसान पहुंचा, जिन्होंने कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई कीमतों पर अडानी समूह के शेयरों में निवेश किया था। 24 जनवरी और 15 फ़रवरी 2023 के बीच अडानी समूह के शेयरों के मूल्य में ₹10,50,000 करोड़ रु. की गिरावट आई। 19 जुलाई, 2021 को वित्त मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जाँच के दायरे में है । फिर भी अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल आने दिया गया।

उन्होंने कहा कि एलआईसी द्वारा खरीदे गए अडानी समूह के शेयरों का मूल्य 30 दिसंबर, 2022 को 83,000 करोड़ रुपए था जो 15 फ़रवरी, 2023 को घटकर 39,000 करोड़ रुपए रह गया, यानि 30 करोड़ एलआईसी पॉलिसी-धारकों की बचत के मूल्य में 44,000 करोड़ रुपए की कमी। शेयरों के मूल्यों में कमी और समूह द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद भी मोदी सरकार ने एलआईसी को अडानी एंटरप्राइज़ेज़ के फ़ॉलो-आन पब्लिक ऑफ़र (FPO) में अतिरिक्त 300 करोड़ रुपए निवेश करने के लिए मजबूर किया।

उन्होंने कहा कि 2001 के केतन पारेख घोटाले में सेबी ने पता लगाया था कि शेयर बाज़ार में हेरफेर करने में अडानी समूह के प्रमोटरों ने साथ दिया था। समूह पर मौजूदा आरोपों से यह चिंताजनक रूप से समान है।

जाँच करने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल के ‘मित्र काल ‘बजट में अडानी समूह को और भी अवसर प्रदान कर दिए।
14 जून, 2022 को अडानी समूह ने घोषणा की कि वह फ़्रांस की ‘टोटल एनर्जीज़ ‘के साथ साझेदारी के अंतर्गत ग्रीन हाइड्रोजन में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। 4 जनवरी, 2023 को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19,744 करोड़ रु. की लागत के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंज़ूरी दे दी । ‘टोटल एनर्जीज़ ‘ने इस उद्यम में अपनी भागीदारी को रोक दिया है, लेकिन क्या अडानी की कोई ऐसी व्यावसायिक घोषणा है, जिसके बाद करदाता के पैसों से सब्सिडी प्रदान नहीं की गई ?

लक्की ने कहा कि 1 फ़रवरी को अपने ‘मित्र काल’ बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अगले चरण में 50 और हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रम को पुनर्जीवित किया जाएगा। इनमें से कितने अडानी को लाभ पहुँचाएंगे?

एकाधिकार स्थापित करना

हवाई अड्डे – अडानी समूह बहुत ही कम समय में भारत के हवाई अड्डों का सबसे बड़ा संचालक बन गया है। इसने 2019 में छह में से छह हवाई अड्डों के संचालन की अनुमति सरकार से प्राप्त कर ली और 2021 में यह समूह संदेहास्पद परिस्थितियों में भारत के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डे, मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, पर काबिज़ हो गया।
बंदरगाह – आज अडानी समूह 13 बंदरगाहों और टर्मिनल्स को नियंत्रित करता है, जो भारत की बंदरगाह क्षमता का 30 प्रतिशत और कुल कंटेनर आवाजाही का 40 प्रतिशत है। क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से विवेकपूर्ण है कि धनशोधन और विदेश की शेल कंपनियों से लेन-देन के गंभीर आरोपों का सामना करने वाली एक कंपनी को एक सामरिक क्षेत्र में प्रभुत्व रखने की अनुमति दे दी जाए?

लक्की ने कहा कि मोदी ने अपने पास उपलब्ध सभी साधनों का इस्तेमाल करके बंदरगाहों के क्षेत्र में भी अडानी का आधिपत्य स्थापित करने में मदद की। सरकारी रियायत वाले बंदरगाह बिना किसी बोली के अडानी समूह को बेच दिए गए हैं, और जहां बोली की अनुमति दी गई है, वहां प्रतिस्पर्धी चमत्कारिक रूप से बोली से ग़ायब हो गए हैं। लगता है कि आयकर छापों ने कृष्णपट्टनम बंदरगाह के पूर्व मालिक को उसे अडानी समूह को बेचने के लिए ‘राज़ी करने में मदद की। 2021 में सार्वजनिक क्षेत्र का जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट महाराष्ट्र में दिघी बंदरगाह के लिए अडानी की प्रतिस्पर्धा में बोली लगा रहा था लेकिन जहाज़रानी और वित्त मंत्रालयों द्वारा अचानक इरादा बदलने के बाद उसे अपनी जीती हुई बोली वापस लेने को मजबूर होना पड़ा।

उन्होंने कहा कि यह सार्वजनिक जानकारी में है कि गौतम अडानी प्रधानमंत्री मोदी की अनेक विदेश यात्राओं में उनके साथ गए। 4-6 जुलाई, 2017 की इज़राइल यात्रा के बाद उन्हें भारत-इज़राइल रक्षा संबंधों के संदर्भ में एक लाभ दिलाने वाली भूमिका सौंप दी गई है। उन्होंने कोई पूर्व अनुभव न होते हुए भी ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, छोटे हथियार और विमान रखरखाव जैसे क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम स्थापित किए हैं, जबकि कई स्टार्ट-अप कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इन क्षेत्रों में कई वर्षों से हैं।

लक्की ने कहा कि यूपीए ने वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी द्वारा बगेरहाट, बांग्लादेश में 1,320 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने अपने मित्रों की मदद करने का निर्णय लिया और 6 जून, 2015 को उनकी ढाका यात्रा के दौरान, यह घोषणा की गई कि अडानी पावर बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने के लिए झारखंड के गोड्डा में एक थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करेंगे। मोदी सरकार ने पिछले 9 सालों में सीएजी, सीबीआई जैसी सभी सरकारी एजेंसियों और संस्थाओं पर चाहे नियंत्रण कर लिया हो लेकिन सत्य हमेशा सामने आ ही जाता है, उसे ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर दबाया नहीं जा सकता है। कृपया इंतज़ार करिए और देखिए, यह सिर्फ़ शुरुआत है, बीजेपी के कई और गुप्त भेद आने वाले समय में उजागर होंगे।

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