CHANDIGARH: सत्ता की राजनीति नहीं, विचारधारा के राजनीतिज्ञ थे बलरामजी दास टंडन: नड्डा

स्वर्गीय टंडन की पुण्यतिथि पर पीयू में दूसरा बलरामजी दास टंडन मैमोरियल लैक्चर आयोजित

स्वर्गीय टंडन के जीवन के सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर जीवन को ज्यादा सकारात्मक बनाएं: वीसी राजकुमार

CHANDIGARH: सौम्य छवि के प्रथम पीढ़ी के नेता बलरामजी दास टंडन पॉलिटिक्स ऑफ पावर (सत्ता की राजनीति) के नहीं, बल्कि पॉलिटिक्स ऑफ आइडियोलॉजी यानि विचारधारा की राजनीति करने वाले नेता थे। उनका सर्वस्व जीवन किसी भी राजनेता के लिए प्रेरणादायी रहा है। यह भाव आज भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पंजाब युनिवर्सिटी में स्वर्गीय बलरामजी दास टंडन की स्मृति में आयोजित दूसरे बलरामजी दास टंडन मैमोरियल लैक्चर के दौरान प्रकट किए।

पंजाब यूनिवर्सिटी और बलरामजी दास टंडन चैरिटेबल फाउंडेशन के संयुक्त प्रयासों से आयोजित इस वर्चुअल लैक्चर में नई दिल्ली से मुख्य वक्ता नड्डा के साथ पंजाब विश्वविद्यालय के वीसी प्रोफेसर राजकुमार और चंडीगढ़ के पूर्व भाजपा अध्यक्ष व स्वर्गीय टंडन के बेटे संजय टंडन, पठानकोट से भाजपा पंजाब के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा सहित सोशल प्लेटफार्म के माध्यम से लगभग पचास हजार श्रोता स्वर्गीय टंडन के जीवन के अनछुए पहलूओं से जुड़े। 

नड्डा ने अपने संबोधन स्वर्गीय टंडन के व्यक्तित्व की मिसाल पेश करते हुये कहा कि उन्होंने जब अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था तो उनके पास पाने के लिये कुछ नहीं था जबकि खोने को बहुत कुछ था। बावजूद इसके वे निस्वार्थ अमृतसर की गलियों के बीच जनसंघ को मजबूती प्रदान करते रहे। अमृतसर के कर्मठ कार्यकर्ता से लेकर रायपुर में राज्यपाल तक उनका सफर, सिद्धांतों और विचारधारा से भरा रहा। नड्डा ने बताया कि इसी बीच निसंदेह पंजाब की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसका सम्मान विपक्ष तक करता है। 

अपने अतीत का स्मरण करते हुये श्री नड्डा ने बताया कि उन्हें वे एमरजैंसी के दिन भी याद हैं जब स्वर्गीय टंडन को पहले ही दिन जेल भेज दिया गया और वे वहीं से संघ का मनोबल बढाते रहे। उन्होंने स्वर्गीय टंडन की बातों को दोहराते हुये कहा कि विषम और विपरीत परिस्थितियां में सही रास्ता निकालना व समाधान निकालना ही असल जीवनशैली है। नड्डा ने भाजपा के अपने राष्ट्रीय महामंत्री पद पर रहे दिनों को स्मरण करते हुये कहा कि स्वर्गीय टंडन भले सक्रिय राजनीति से सन्यास ले रहे थे परन्तु पार्टी के प्रति उनका चिंतन परस्पर जारी था जो कि एक बार फिर उनकी वचनबद्धता को दोहराता है ।

इससे पूर्व पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजकुमार ने मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुये कहा कि स्वर्गीय टंडन का व्यक्तित्व मात्र पार्टी तक ही सीमित नहीं था बल्कि सामाजिक कार्यो में इतना व्यापक रहा कि आज भी वे सभी के दिलों में घर कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनका योगदान न केवल राजनीतिक और सामाजिक उत्थान के लिये नहीं बल्कि आतंकवाद के दौर में लोगों को सुरक्षा प्रदान करवाने में भी समर्पित रहा। उन्होंने श्रोताओं से आहवान किया कि वे स्वर्गीय टंडन के जीवन के सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन का सकारत्मक निर्वाहन करें। 

इसी बीच स्वर्गीय टंडन के पुत्र व भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य संजय टंडन ने दिवंगत आत्मा का पारिवारिक पक्ष रख माहौल को ओर भी मर्मस्पर्शी बना दिया। टंडन ने कहा कि उनकी स्मृति में इस मैमोरियल लैक्चर को आयोजित करवाने का मुख्य उद्देश्य उनके जीवन मूल्यों को लोगों तक पहुंचाना है। गत वर्ष उनकी पुण्यतिथि पर 14 अगस्त को देश के उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने श्रोताओं को संबोधित किया था।

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