CHANDIGARH: उद्योग व्यापार मंडल (UVM) चंडीगढ़ ने अलॉटमेंट वाली लीज होल्ड कमर्शियल प्रॉपर्टी के ट्रांसफर पर लिए जाने वाले अनअरनेड प्रॉफिट (अनार्जित लाभ) को खत्म करने की अपनी मांग को दोहराते हुए चंडीगढ़ प्रशासन से मांग की है कि निकट भविष्य में चंडीगढ़ आने वाली गृह मंत्रालय की कमेटी के सम्मुख यह मामला उठाकर इसका हल करवाया जाए।
उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ के अध्यक्ष कैलाश चंद जैन ने इस बारे में प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित को पत्र लिखकर मांग की है कि शहर के व्यापारी लंबे समय से अनर्जित लाभ (unearned profit) समाप्त करने की मांग करते आ रहे हैं, जिस पर अब तक फैसला नहीं हो सका है। अब इस मामले को गृह मंत्रालय की निकट भविष्य में चंडीगढ़ का दौरा करने वाली कमेटी के सामने रखा जाए और इसको समाप्त करवाया जाना चाहिए।
कैलाश जैन का कहना है कि शहर में पुनर्वास अथवा किसी अन्य स्कीम के तहत चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा विभिन्न अवसरों पर छोटे दुकानदारों को बूथ अथवा कमर्शियल साइट अलाट किए गए थे। क्योंकि यह बूथ पुनर्वास स्कीम के तहत अलाट किए गए थे औऱ अलॉटी इसका नाजायज फायदा न उठा सके, इसलिए इन बूथों को 15 साल तक ट्रांसफर न किए जाने की शर्त लगाई गई थी। अगर कोई अलॉटी 15 साल बाद अपने बूथ को ट्रांसफर करवाता है तो उससे अलॉटमेंट की असली कीमत (original allotment price) औऱ मार्किट की मौजूदा कीमत (prevailing market price) के बीच के डिफरेंस का 50% अनर्जित लाभ (unearned profit) प्रशासन को देना पड़ेगा, जबकि 15 साल पूरे हो जाने के बाद तो ये बूथ इस शर्त से मुक्त हो जाने चाहिए थे लेकिन प्रशासन इस शर्त को ढाल बनाकर 15 साल के बाद भी ट्रांसफर किए जाने वाले बूथ मालिकों से अनर्जित लाभ (unearned profit) ले रहा है। जैन ने कहा कि बूथों की अलॉटमेंट को 40 से 50 वर्ष तक हो गए हैं। कई पीढ़ियां इन पर काम करते हुए गुजर गई है लेकिन आज अलॉटमेंट के 40-50 वर्षों बाद भी कोई दुकानदार अपना बूथ बेचना चाहता है तो उसे अनर्जित लाभ ( unearned profit) के एवज में भारी रकम प्रशासन को देनी पड़ती है।
जैन ने कहा कि यह मामला चंडीगढ़ मामलों के लिए गठित केंद्रीय गृहमंत्री की सलाहकार समिति की बैठक में भी उठाया गया था, जिसमें प्रशासन को इस संबंध में कार्यवाही हेतु निर्देश दिए गए थे लेकिन आज तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है।
कैलाश जैन का कहना है कि अलॉटमेंट वाली प्रॉपर्टी को अलॉटमेंट के 15 वर्षों के बाद ऑक्शन वाली प्रॉपर्टी के साथ एट पार (At PAR) माना जाना चाहिए तथा अन अर्नर्ड प्रॉफिट चार्ज नहीं किया जाना चाहिए व दुकानदारों को राहत दी जानी चाहिए।