DAV College-10 में प्रदर्शित की गई सदियों पुरानी दुर्लभ भारतीय पुस्तकें और पांडुलिपियां

लाइब्रेरी क्लब RAAH ने किया आयोजन, 8 नवम्बर तक चलेगी प्रदर्शनी

CHANDIGARH, 6 NOVEMBER: डीएवी कॉलेज सेक्टर-10 चंडीगढ़ की लाइब्रेरी और RAAH (द लाइब्रेरी क्लब) ने आज इंडोलॉजी अनुभाग में भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित सदियों पुरानी दुर्लभ भारतीय पुस्तकों और पांडुलिपियों की एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस इंडोलॉजी अनुभाग को लाल चंद रिसर्च लाइब्रेरी का नाम भी दिया गया है, जिसकी स्थापना 1917 में लाहौर (अब पाकिस्तान में) में की गई थी। इस पुस्तकालय को 1996 में डीएवी कॉलेज में लाया गया था और इसमें 10,000 से अधिक दुर्लभ पुस्तकें तथा 8000 से अधिक पांडुलिपियां हैं।

डॉ. नवदीप गोयल,डीन साइंस फैकल्टी, सीनेट और सिंडीकेट मेंबर, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ ने डीएवी कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर रीता जैन, लाइब्रेरियन डॉ. दीप्ति मदान, डॉ. सुमन भारती सदस्य पुस्तकालय समिति और स्टाफ सदस्यों की उपस्थिति में रिबन काटकर प्रदर्शनी का उदघाटन किया। इसके बाद मुख्य अतिथि और सभी ने दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों के व्यापक प्रदर्शन को देखा, जिसमें प्राचीन भारतीय विद्वानों की बौद्धिकता शामिल है। संग्रह में खगोल विज्ञान से लेकर धर्म आदि तक ज्ञान के कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

यहां 100 वर्ष से अधिक पुरानी पुस्तकें भी हैं। संग्रह में प्रदर्शित सबसे पुरानी पुस्तक वर्ष 1807 में प्रकाशित हुई थी। RAAH क्लब के अध्यक्ष और संयुक्त सचिव ने गणमान्य व्यक्तियों को लाल चंद रिसर्च लाइब्रेरी के इतिहास और प्रदर्शित पुस्तकों के बारे में जानकारी दी। प्रदर्शनी में कॉलेज के संकाय सदस्य और छात्र इस समृद्ध प्राचीन भारतीय ज्ञान के बारे में जानने में गहरी रुचि ले रहे हैं। यह प्रदर्शनी 8 नवंबर तक चलेगी।

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