CHANDIGARH: आज चैतन्य गौड़ीय मठ, सेक्टर-20 में हरे कृष्ण आंदोलन एवं गौड़ीय मठ तथा इस्कॉन जैसे विश्वव्यापी संस्थानों के संस्थापक भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद जी का 147वां जन्मदिवस बड़े हर्षोल्लास व विधिपूर्वक मनाया गया। मठ के प्रवक्ता जय प्रकाश गुप्ता ने बताया कि प्रातकाल मंगला आरती के पश्चात् विशेष रूप से संकीर्तन प्रवचन का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
बड़ी संख्या में भक्तों ने उपस्थित होकर प्रभुपाद जी को अपने श्रद्धासुमन भेंट किए। इस अवसर पर भक्तों को संबोधित करते हुए चण्डीगढ़ गौड़ीय मठ के प्रबंधक वामन जी महाराज जी ने कहा कि वर्ष 1874 में उड़ीसा के पुरी धाम में इनका जन्म हुआ। वे बचपन से ही मेधावी छात्र थे, 7 वर्ष की उम्र में इनको श्रीमद् भागवत महापुराण के श्लोक जुबान पर याद हो गए थे व 11 वर्ष की उम्र में प्रभुपाद जी संस्कृत भाषा के प्रख्यात विद्वान बन गए थे।
अंग्रेजी भाषा में इनके शब्दकोश ज्ञान को देखकर तत्कालीन अंग्रेज सरकार के अधिकारी दंग रह जाते थे। इन्होंने 100 करोड़ हरि नाम का जाप करने के पश्चात् शुद्ध कृष्ण भक्ति हरि नाम के प्रचार के लिए प्रचार केंद्रों की स्थापना की। आज पूरे विश्व के कोने-कोने में हरे कृष्ण शुद्ध कृष्ण भक्ति का प्रचार-प्रसार हो रहा है। यह प्रभु प्रभुपाद की ही देन है।
भक्तों ने आज अपने महानायक की जयंती की खुशी में संकीर्तन नृत्य गान कर अपनी खुशी प्रकट की। दोपहर में भोग आरती के पश्चात सैकड़ों लोगों ने स्वादिष्ट व्यंजनों का भगवान का प्रसाद ग्रहण किया। उल्लेखनीय है कि भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभुपाद के 150 वां जन्मदिवस विश्व स्तर पर मनाने के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा का शुभारंभ भारत के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद द्वारा उनके जन्म स्थान पुरी धाम में स्थित चैतन्य गौड़ीय मठ में कर दी गई है।