CHANDIGARH: कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स Confederation of All India Traders (CAT) ने आज E-COMMERCE नियमों की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत E-COMMERCE नियम भारत के ई-कॉमर्स व्यवसाय (E-Commerce business) के बुनियादी सिद्धांतों और मानकों को निर्धारित करने के लिए बनाए गए हैं। पिछले एक साल में ई कॉमर्स व्यापार में वृद्धि हुई है लेकिन ई कॉमर्स व्यापार विभिन्न प्रकार की अनियमितताओं, विसंगतियों से ग्रस्त है। कुछ प्रमुख विदेशी वित्त पोषित ई-टेलर्स ने अपने स्वार्थ की खातिर अनेक प्रकार के अनैतिक व्यापार के जरिए ई-कॉमर्स व्यापार (E-Commerce business) को विषाक्त किया है और ई कॉमर्स को व्यापार की आड़ में मूल्यांकन खेल बना दिया है। ई-कॉमर्स व्यवसाय का शोषण इस हद तक पहुंच गया है कि भारत में ई-टेलर्स की अनैतिक व्यवसाय प्रथाओं के कारण देश में लाखों छोटी दुकानें बंद होने को मजबूर हो गई हैं।
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT) ने E-COMMERCE नियम बनाने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की सराहना करते हुए कहा की सही समय पर केंद्र सरकार द्वारा यह बेहद उचित निर्णय लिया गया है। कैट (CAT) ने कहा कि यह बेहद खेदजनक है कि इन ई-टेलर्स द्वारा एक वर्ग को ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे पर सवालिया निशान उठाने के लिए प्रेरित किया गया है और उनके इस कुचक्र को सफल नहीं होने दिया जाएगा। कैट (CAT) ने गोयल से आग्रह किया है कि ई-कॉमर्स नीति को तुरंत घोषित किया जाए तथा भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय (E-Commerce business) को मॉनिटर एवं रेगुलेट करने के लिए एक अथॉरिटी का गतह्ण किया जाए।
कैट (CAT) के चंडीगढ़ चैप्टर के अध्यक्ष हरीश गर्ग, महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ओर प्रेम कौशिक ने कहा कि बहुत ही गुपचुप तरीके से कुछ प्रमुख विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियां (E-Commerce Companies) इन नियमों के मसौदे से नाखुश हैं, क्योंकि यदि इन नियमों को लागू किया जाता है, तो उन्हें अपने मौजूदा व्यवसाय में भारी बदलाव लाना होगा, जिससे न केवल ई-कॉमर्स व्यापार बल्कि भारत के खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने और उस पर हावी होने का उनका भयावह खेल सफल नहीं हो पाएगा। प्रस्तावित नियम इन कंपनियों को स्वयं को ईस्ट ऑफ इंडिया कंपनी (East of India) का दूसरा संस्करण बनने के उनके छिपे हुए एजेंडे को विफल करेगा। इसलिए वो देश में एक गलत आख्यान बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि नियम कड़े हैं, पालन का बोझ बढ़ेगा, भारत में एफडीआई (FDI) को हतोत्साहित करेगा और वैश्विक बाजार में भारत की छवि खराब करेगा।
चूंकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत नियमों को लागू किया जाएगा, इस दृष्टि से नियम अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करते हैं और कानूनी अनंतता से ग्रस्त हैं। भारत के ई-कॉमर्स व्यवसाय (E-Commerce business) को शुद्ध करने के लिए सरकार के सुधारात्मक उपायों को पटरी से उतारने और विदेशी वित्त पोषित ई-टेलर्स के शातिर चंगुल से मुक्त करने के लिए इन कंपनियों के ये सभी तर्क आधारहीन हैं और देश भर के व्यापारी इस तरह के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेंगे।
हरीश गर्ग, प्रवीन खंडेलवाल ओर प्रेम कौशिक ने कहा कि ऐसे कुछ ई-टेलर्स बड़े दावे कर रहे हैं कि उनके बिजनेस मॉडल ने छोटे व्यवसायों को उनके व्यवसाय में वृद्धि के साथ सशक्त बनाया है जो एक सफेद झूठ है और सीसीआई एवं आईडी की जांच से बचने की कोशिश है ! छोटे व्यवसायों के बहाने वे अपने गलत कामों और अनैतिक व्यापार प्रथाओं को सही ठहराने करने की कोशिश कर रहे हैं। गर्ग ने कहा कि यदि ये ई-टेलर्स सही हैं, तो उन्हें यह बताना चाहिए कि पिछले 5 वर्षों में उनके पोर्टल पर प्रथम पंक्ति के 10, 25, 50 और 100 विक्रेताओं में कितने छोटे व्यापारी हैं। असली सच्चाई सामने आएगी।
हरीश गर्ग, प्रवीन खंडेलवाल ओर प्रेम कौशिक ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत के व्यापारी सरकार के इस बहुप्रतीक्षित कदम का समर्थन कर रहे हैं और ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के रूप में उभरने के लिए विदेशी वित्त पोषित ई-टेलर्स का विरोध करने के लिए अपनी शक्ति के अनुसार सब कुछ करेंगे।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि व्यापारी ई-कॉमर्स (E-COMMERCE) के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि इस विचार के हैं कि ई-कॉमर्स भविष्य का सबसे आशाजनक व्यवसाय है और भारत के व्यापारियों को व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन के अलावा ई-कॉमर्स को अपने व्यवसाय की एक अन्य व्यापार केतरीके के रूप में भी अपनाना चाहिए लेकिन व्यापारी अनैतिक व्यापार प्रथाओं और कानून के उल्लंघन के खिलाफ खड़े हैं। व्यापारिक समुदाय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारत में व्यवसायों की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी शक्ति या संस्था को अनैतिक व्यापार प्रथाओं के आधार पर चुनौती नहीं देनी चाहिए। (फोटो में CAT के चंडीगढ़ चैप्टर के अध्यक्ष हरीश गर्ग)