किसानी बचाने के लिए एकजुट हुआ पंजाब, भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियों के नेता मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्यपाल से मिले
कैप्टन अमरिन्दर सिंह को उम्मीद-राज्यपाल पंजाब की आवाज सुनेंगे परंतु अदालती हल के लिए भी पूरी तरह तैयार
CHANDIGARH: बड़े स्तर पर शक्ति प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पंजाब कांग्रेस के अन्य नेताओं के अलावा आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं की हाजिऱी में मंगलवार को यह उम्मीद ज़ाहिर की कि पंजाब के राज्यपाल अवश्य ही राज्य की आवाज़ सुनेंगे।
परन्तु साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि किसानों और कृषि को बचाने के लिए विधानसभा में पास किये गए संशोधन बिलों पर राज्यपाल वी.पी.एस. बदनौर की तरफ से हस्ताक्षर नहीं किये जाते तो उनकी सरकार कानूनी हल करने के लिए भी पूरी तरह तैयार है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने भारत के राष्ट्रपति से 2 और 5 नवंबर के दरमियान का समय माँगा है और पंजाब के सभी विधायक मिलकर राष्ट्रपति के पास जाएंगे जिससे राज्य के हित में उनका दख़ल माँगा जा सके।
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें नहीं लगता कि केंद्र सरकार द्वारा पंजाब की आवाज़ को अनदेखा किया जा सकता है और उनको उम्मीद है कि केंद्र सरकार को यह एहसास होगा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) ख़त्म करन से किसानी भी ख़ात्मे की कगार पर पहुँच जायेगी।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब का भविष्य और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों ही दाव पर लगे हुए हैं और सभी पार्टियों का एकजुट होना राज्य के लिए अच्छी बात है। सभी पार्टियों की तरफ से प्रस्ताव और बिलों को समर्थन देने के लिए धन्यवाद प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देश भर के किसानों को यह संदेश पहुँचेगा कि काले खेती कानूनों के खि़लाफ़ पूरा पंजाब पूरी तरह एकजुट है।
मुख्यमंत्री, राज्यपाल वी.पी.एस. बदनौर को प्रस्तावों और प्रांतीय बिलों, जोकि विधानसभा द्वारा पहले ही सर्वसम्मति से पास किये गए थे, की कापियां सौंपने के बाद पंजाब राज भवन के बाहर पत्रकारों के साथ बातचीत कर रहे थे।
राज्यपाल के साथ 20 मिनट तक चली मीटिंग में मुख्यमंत्री के साथ पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़, विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा, शिरोमणि अकाली दल के नेता शरणजीत सिंह ढिल्लों और अन्य विधायक मौजूद थे।
खेती कानूनों को रद्द करने की राज्य सरकार की कोशिशों की प्रतिक्रिया के तौर पर केंद्र सरकार की तरफ से राष्ट्रपति शासन लागू किये जाने की संभावना बारे कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘इन्तज़ार करके देखते हैं…. हम कदम दर कदम आगे बढ़ेंगे।’’
उन्होंने आगे कहा कि यदि ऐसी नौबत आ गई तो केंद्र सरकार को उनको बर्खास्त करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि वह अपना इस्तीफ़ा जेब में ही रखते हैं और स्वेच्छा से इस्तीफ़ा दे देंगे बजाय इसके कि पंजाब और इसके किसानों के हितों के साथ समझौता करे।
सदन में भाजपा के दोनों विधायकों की ग़ैर-हाजिऱी की तरफ इशारा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे यह ज़ाहिर होता है कि इनको किसानों के साथ कोई प्यार नहीं और न ही कोई चिंता है।
उन्होंने आगे कहा कि इसके उलट कांग्रेस ने केंद्रीय कानूनों बारे पहले ही अपने कड़े विरोध का ऐलान कर दिया है और उनकी सरकार कल विधानसभा में किसान और गरीब-पक्षीय और बिल लाएगी।
एक सवाल के जवाब में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि गोदामों में करोड़ों रुपए की धान की फ़सल पड़ी है जिसको तबदील करके यहाँ गेहूँ के लिए जगह बनाने की ज़रूरत है। कोयले का स्टॉक भी ख़त्म होने की कगार पर है और यूरिया की भी कमी है जिससे राज्य में उद्योगों और कृषि दोनों को नुक्सान पहुँच रहा है।
उन्होंने एक बार फिर से किसानों को रेल रोको आंदोलन ख़त्म करने के लिए और लोकतंात्रिक ढंग से धरनों के द्वारा अपना रोष जताने की अपील की।
आम आदमी पार्टी के नेता हरपाल सिंह चीमा ने बाद में कहा कि वह सभी इकठ्ठा होकर पार्टी स्तर पर पंजाब की किसानी, जोकि सबके लिए पहली प्राथमिकता है, के हित में काम कर रहे हैं। शरणजीत सिंह ढिल्लों ने चेतावनी देते हुए कहा कि पंजाब को छोटा सा राज्य समझकर अनदेखा न किया जाये।