पहले पारित किए बिल राज्यपाल द्वारा रोके जाने के कारण संशोधन बिल विधानसभा में फिर लाएंगे: कैप्टन अमरिंदर सिंह
कहा- राष्ट्रपति से मिलने के लिए दोबारा समय मांगेंगे, केंद्रीय गृृह मंत्री के भी निरंतर सम्पर्क में
CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार खतरनाक खेती कानूनों को बेअसर करने के लिए विधान में राज्य के संशोधन बिल फिर लाएगी क्योंकि पहले पास किये बिलों को राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा।
उन्होंने कहा, ‘हम बिल दोबारा लायेंगे क्योंकि संविधान के अनुसार यदि बिलों को विधान सभा की तरफ से दो बार पास किया जाता है तो राज्यपाल को राष्ट्रपति के पास भेजने ही पड़ते हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि राज्यपाल बिलों को रोक नहीं सकता। संविधान के आर्टीकल 254 (प्प्द्ध के अंतर्गत राज्यों को कानूनों में संशोधन के लिए अधिकारित किया गया है।
विधान सभा में बिल पास करने के बाद राष्ट्रपति ने पंजाब के नेताओं को इस आधार पर मिलने से न कर दिया कि उनको बिल हासिल नहीं हुए, इस बात की तरफ इशारा करते हुये मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय मीटिंग को बताया कि वह राष्ट्रपति के पास दोबारा समय मांगेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के सुझाव पर वह खेती कानूनों और किसान आंदोलन के मुद्दे पर केंद्रीय गृृह मंत्री के साथ निरंतर संबंध में हैं।
संकट के जल्द हल की जरूरत पर जोर देते हुये मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि पाकिस्तान की तरफ से खतरे को हलके में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा खतरे पर उनका ध्यान उनकी पंजाब को गंभीर चुनौतियों के प्रति जागरूकता के कारण बना है। उन्होंने कहा, ‘हमें यह मामला सुलझाने के लिए काम करना होगा, इससे पहले कि बातें हाथ से बाहर हो जाएं।’ उन्होंने कहा कि वह जानते हैं कि सरहद पार से राज्य में कितने ड्रोनें, हथियारों, गोली बारूदों की तस्करी होती है।
42 मांगों को लेकर पैदा हुए पंजाब संकट से पहले दो महीने चली बातचीत से तुरंत बाद घटे आपरेशन ब्ल्यू स्टार को याद करते हुये मुख्यमंत्री ने चेतावनी देते हुये कहा, ‘अगर गुस्सा यहाँ पैदा होता है तो इसका शोषण होगा।’
इस बात का हवाला देते हुये कि लोकतंत्र में लोगों की आवाज सबसे शक्तिशाली होती है, मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा, ‘हमें पंजाब की एकता की आवाज बुलंद करनी चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा कि अगर यहाँ शान्ति नहीं होगी तो कोई उद्योग नहीं आऐगा। मुख्यमंत्री ने केंद्र की तरफ से पंजाब को दी जा रही सजा की निंदा करते हुये कहा कि राज्य का केंद्र की तरफ 13000 करोड़ रुपए जी.ऐस.टी. बकाया है और इसके इलावा 1200 करोड़ रुपए ग्रामीण विकास फंड भी बकाया है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के प्रेम सिंह चन्दूमाजरा के सुझाव पर गौर करने का वायदा करते हुये कहा कि राज्य सरकार चल रहे किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को कर्ज माफी की राहत देगी।
अपने शुरुआती संबोधन में मुख्यमंत्री ने यह बात जोर देकर कही कि मीटिंग इस बात के लिए बुलायी गई है कि एक सहमति बनाई जाये और यह संदेश भेजा जाये कि पूरा पंजाब आंदोलन कर रहे किसानों के साथ है। यह वह किसान हैं जिन्होंने हरित क्रांति से लेकर पूरे देश का पेट भरते सही राह दी है। पंजाब की आवाज और यहाँ के किसानों की आवाज सुनने में नयी दिल्ली के असफल होने पर अफसोस जाहिर करते हुये उन्होंने कहा कि केंद्र ने दिल्ली सरहदों पर कडक़ड़ाती ठंड बर्दाश्त कर रहे किसानों के दुख और बेचैनी को देखने की बजाय किसानों के प्रति अपने रुख को सख्त कर लिया लगता है।