बादलों से बोले कैप्टन: किसानों को बचाने के लिए आपकी सलाह या चेतावनियों की जरूरत नहीं

कहा- अकाली दल को मुझे या मेरी सरकार को हुक्म देने का नहीं राजनीतिक और नैतिक अधिकार

धर्मसोत को बेबुनियाद तौर पर बर्खास्त नहीं किया जाएगा, कैबिनेट मंत्री को पहले ही मिल चुकी है क्लीन चिट

CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए विधानसभा का सैशन बुलाना उनकी सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंंने कहा कि अकाली दल को इस मामले में उनकी सरकार को कोई भी हुक्म करने का न ही राजनैतिक और न ही नैतिक तौर पर कोई अधिकार है।

अकाली दल द्वारा दी गई चेतावनी पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बात बहुत हास्यप्रद है कि जो पार्टी ने पिछले विधानसभा सैशन के दौरान कृषि कानूनों के खि़लाफ़ प्रस्ताव के हक में वोट डालने से बचने के लिए बाइकाट किया, आज वही पार्टी कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए अगला सैशन बुलाने की माँग कर रहा है।

अकाली दल द्वारा इस मुद्दे पर दी गई चेतावनी और घेराव करने की चेतावनी को बादलों के दोहरे मापदंड का एक और उदाहरण करार दिया, जिन्होंने बहुत बेरहमी से इस मुद्दे पर किसानों की पीठ में छुरा मारा है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि किसानों के हित में कोई भी फ़ैसला लेने के लिए उनको अकालियों की सलाह या चेतावनी की कोई ज़रूरत नहीं। इसी अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भाजपा के साथ मिलीभुगत करके किसानों के हित कॉर्पोरेट घरानों को बेच दिए।

उन्होंने कहा कि वह और उनकी सरकार किसानों को बादलों के पापों से बचाने के लिए कोई भी प्रयास करने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि किसानी भाईचारे को भी अपना संघर्ष लडऩे के लिए बादलों की कोई ज़रूरत नहीं है, ख़ासकर तब जब समस्या अकाली दल द्वारा ही पैदा की हो। मुख्यमंत्री ने अकालियों की धमकी को ख़ारिज करते हुए कहा कि यह कोशिश सिफऱ् बादलों द्वारा अपनी राजनीति चमकाने के लिए पंजाब के किसानों के आगे अच्छा बनने से अधिक और कुछ नहीं है।

अकाली दल लोग विरोधी और किसान विरोधी कार्यवाही करके अपने विनाश पर खड़ा है। अकाली दल की तरफ से केंद्र के आगे स्वामीनाथन फॉर्मूले के अनुसार न्युनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) तय करने की माँग पर व्यंग्य करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि अब अकाली दल को अचानक ही स्वामीनाथन कमेटी के सुझावों की याद आ गई, जब कि उन्होंने पिछले 6 साल केंद्रीय सत्ता में हिस्सेदार रहते हुए इनका जि़क्र तक नहीं किया।

मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘पिछले छह सालों के दौरान हरसिमरत ने केंद्रीय कैबिनेट में बैठे कितने बार स्वामीनाथन कमेटी का मुद्दा उठाया? सुखबीर ने आखिरी बार कब स्वामीनाथन फॉर्मूले के बारे सोचा था?’’ कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने राज्य के एस.सी. कल्याण मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को कथित स्कॉलरशिप घोटाले में बरख़ास्त करने की अकाली दल की चेतावनी को रद्द करते हुए कहा कि मुख्य सचिव और तीन आई.ए.एस. अफसरों की कमेटी ने पहले ही मंत्री को क्लीन चिट दे दी है।

उन्होंने बादलों को कहा, ‘‘मैं आपकी मनमर्ज़ी के बेबुनियाद दोषों पर कार्यवाही नहीं करूँगा।’’ उन्होंने आगे कहा कि अनावश्यक दोषों और बेतुकी माँगों पर किसी भी व्यक्ति के खि़लाफ़ कार्यवाही में वह विश्वास नहीं करते। करतारपुर गलियारे के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार भी इसको खोलने के हक में है परन्तु इस बारे में कोई भी फ़ैसला केंद्र सरकार ने ही सुरक्षा और कोविड की स्थिति को ध्यान में रख कर करना है।

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