किसानों को भड़काने का आरोप लगाने को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री पर बरसे कैप्टन अमरिंदर सिंह
कहा-किसानों के संघर्ष के पीछे कोई राजनीतिक पार्टी नहीं, आंदोलन किसानों की स्वाभाविक प्रतिक्रिया
CHANDIGARH: मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पंजाब के किसानों पर ज़ुल्म ढाने के लिए हरियाणा में अपने समकक्ष को आड़े हाथों लेते हुए एम.एल. खट्टर को स्पष्ट तौर पर माफी मांगने के लिए कहा। उन्होंने खट्टर पर झूठ फैलाने और उस मसले में टाँग अड़ाने का दोष लगाया जिसका उनके राज्य के साथ कोई लेना-देना ही नहीं है।
मीडिया के साथ क्रमश: मुलाकातों के दौरान कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘खट्टर यह झूठ बोल रहा है कि उसने कई बार मेरे साथ बात करने की कोशिश की, परन्तु मैंने जवाब नहीं दिया। परन्तु अब उसने मेरे किसानों के साथ जो कुछ किया है, मैंने उसके साथ बिल्कुल भी बात नहीं करनी, चाहे 10 बार कोशिश करके देख ले। जब तक खट्टर माफी नहीं माँगता और यह नहीं मान लेता कि मैंने पंजाब के किसानों के साथ गलत किया, मैं उसे माफ नहीं करूँगा।’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि हरियाणा द्वारा पंजाब के किसानों पर आँसू गैस छोडऩे और लाठीचार्ज करने और पानी की बौछारें मारने के बाद बहुत से किसान ज़ख्मी हुए जिस कारण उनकी तरफ से खट्टर के साथ बात करने का कोई मतलब नहीं बनता, चाहे वह पड़ोसी है या नहीं। उन्होंने कहा कि यदि वह किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के साथ कई बार बात कर सकते हैं तो वह अपने पड़ोसी मुख्यमंत्री के साथ बात करने से पीछे क्यों हटते, यदि खट्टर ने सचमुच ही संपर्क साधा होता।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में शांतमई ढंग से जाने देने की इजाज़त न देने के फ़ैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब केंद्र सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार है और यहाँ तक कि दिल्ली सरकार को उनके आने पर कोई ऐतराज़ नहीं है तो इनके बीच टाँग अड़ाने वाला खट्टर कौन होता है? समूचे मसले में दखलअन्दाज़ी करने से खट्टर का क्या लेना-देना है।
गुस्से से भरे कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बेहूदा दोष लगाने पर खट्टर को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह यह कह रहा है कि पंजाब का मुख्यमंत्री किसानों को उकसा कर आंदोलन के लिए भडक़ा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं तन-मन से राष्ट्रवादी हूँ, मैं सरहदी राज्य चलाता हूँ और ऐसा कुछ कभी भी नहीं किया कि जिससे कानून व्यवस्था के लिए मुश्किल पैदा होती हो।’’ उन्होंने कहा कि पंजाब में किसानों ने पिछले 60 दिनों से बिना किसी समस्या के राज्य के रेल ट्रैक रोके, जिससे राज्य को 43,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान सहना पड़ा।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘मैं खट्टर की बेतुकी बातों का कोई जवाब नहीं दूँगा। क्या मेरे पास किसानों को भडक़ाने के अलावा कोई अन्य अच्छा काम करने के लिए नहीं है?’’ कई बार वह कहते हैं कि यह खालिस्तानी हैं जो रोष प्रदर्शन करा रहे हैं और कई बार प्रदर्शनों के लिए मुझ पर दोष लगाते हैं। उनको अपना फ़ैसला कर लेने दो। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में ऐलान किया कि किसान आंदोलन में कोई भी राजनैतिक पार्टी शामिल नहीं है बल्कि यह किसान का स्वाभाविक प्रतीकर्म है जो अपने भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं।
किसानों पर कानून समस्या पैदा करने के दोष लगाने के लिए खट्टर पर बरसते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबी कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं और दूसरी तरफ़ हरियाणा है जिसने सार्वजनिक जायदाद को नुकसान पहुँचाया और किसानों को जबरन रोकने के लिए राष्ट्रीय मार्ग पर अड़चने पैदा कीं।
खट्टर के दावा है कि हरियाणा के किसान दिल्ली चलो आंदोलन का हिस्सा नहीं थे, को हास्यप्रद करार देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की ख़ुफिय़ा जानकारी से पता चला है कि पड़ोसी राज्य के तकरीबन 40000-50000 किसान राष्ट्रीय राजधानी की तरफ मार्च में शामल हुए, जिस संबंधी केंद्र की ख़ुफिय़ा रिपोर्टों में भी सामने आया है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने चुटकी लेते हुए कहा ‘‘वह (खट्टर) नहीं जानते कि उनके अपने राज्य में क्या हो रहा है और वह मुझे बता रहे हैं कि मुझे अपने राज्य में क्या करना है !’’
मुख्यमंत्री ने कहा किसानों को रोष करने और अपनी बात रखने के साथ-साथ अपना गुस्सा और भावनाएं ज़ाहिर करने के लिए अपनी ख़ुद की राष्ट्रीय राजधानी में जाने का पूरा हक है। उन्होंने आगे कहा कि वह जानते हैं कि किसान क्या महसूस कर रहे हैं, इसीलिए उन्होंने किसानों को राज्य में से बाहर मार्च करने और रेलवे ट्रैकों पर बैठने से नहीं रोका। यह बताते हुए कि किसानों ने कई दिन पहले यहाँ तक कि रेल नाकाबंदी हटाने से पहले ही दिल्ली जाने का अपना फ़ैसला सुना दिया था। उन्होंने कहा कि वह इसमें कैसे पड़ सकते थे?
मुख्यमंत्री ने टिप्पणी की ‘‘आंदोलनकारी किसान, जिसमें बड़ी संख्या में नौजवान शामिल हैं, अपने दिल से बोल रहे हैं, वह अपने दिल की आवाज़ सुन रहे हैं। यह उनके भविष्य, उनके जीवन का सवाल है, वह कृषि बिलों पर नाराज़ हैं, जो मंडियों और आढ़तियों की 100 साल पुरानी प्रणाली को ख़त्म करने की बात करते हैं।’’ उन्होंने आगे कहा कि वह किसान संघर्ष के पीछे होने सम्बन्धी बेबुनियाद दोषों को स्वीकार नहीं करेंगे। कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि किसान सिफऱ् अपनी आवाज़ बुलंद करना चाहते हैं, वह अपनी बात रखना चाहते हैं, इस लिए कोई कैसे उनको रोक सकता है।
यह ऐलान करते हुए कि कोई भी कॉर्पोरेट घरानों को कृषि मंडीकरण प्रणाली में आने से नहीं रोक रहा, मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अब भी पंजाब में खरीद कर रहे हैं और अपना कारोबार चला रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि वह मौजूदा प्रणाली को जारी रखते हुए ऐसा कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह भी चाहते हैं कि मसले का निपटारा हो और टकराव ख़त्म हो जाए और वह मसले के हल के लिए जो सहायता कर सकते हैं, वह करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा इस मामले पर बनी पेचीदगी को ख़त्म करने के लिए किसी भी कोशिश की हिमायत करने के लिए वह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को किसानों के साथ बातचीत करके इसका हल ढूँढना पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘यदि भारत सरकार इस मुद्दे के हल की कोशिशों का हिस्सा बनने के लिए कहती है तो हम ज़रूर जायेंगे।’’ उन्होंने आगे कहा ‘‘मेरा उद्देश्य पंजाब की शान्ति और ख़ुशहाली बरकरार रखना है।’’ कैप्टन अमरिन्दर ने सुझाव दिया कि किसानों को एमएसपी की गारंटी के लिए केंद्र को खाद्य सुरक्षा एक्ट में संशोधन करना चाहिए। कैप्टन अमरिन्दर ने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि राज्यपाल राज्य द्वारा पास किए संशोधित बिलों को आगे राष्ट्रपति के पास भेजने की बजाय बिलों को लेकर बैठे हुए हैं।