बोले-एसआईटी की जांच के साथ खड़ा हूं, केस को कानूनी निष्कर्ष तक ले जाऊंगा और दोषियों को सजा मिलेगी
CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कोटकपूरा गोली कांड केस में हाईकोर्ट के हुक्मों पर खुशियाँ मनाने के लिए सुखबीर बादल का मज़ाक उड़ाया है, जबकि माननीय अदालत ने अभी हुक्मों की कॉपी भी जारी नहीं की। मुख्यमंत्री ने अकाली नेता को जश्न न मनाने के लिए कहा, क्योंकि यह मामला अभी ख़त्म नहीं हुआ है।
मुख्यमंत्री ने शिरोमणी अकाली दल के प्रधान को सलाह दी, ‘‘जीत के दावे करने से पहले कम-से-कम हुक्मों की कॉपी का तो इन्तज़ार कर लो।’’ कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पंजाब पुलिस की विशेष जांच टीम (एस.आई.टी.) द्वारा साल 2015 की घटना की जांच संबंधी हाईकोर्ट के फ़ैसले सम्बन्धी मीडिया रिपोर्टों पर सुखबीर बादल की प्रतिक्रिया का मज़ाक उड़ाया है। उन्होंने कहा कि वास्तव में अभी तक अदालत के फ़ैसले का अधिकारित तौर पर कोई ऐलान नहीं हुआ है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘इस मामले में फ़ैसला जो भी हो, मैं एस.आई.टी. की जांच के साथ खड़ा हूँ, जिसमें किसी भी पक्ष के बादल परिवार को इस घिनौनी घटना, जिसमें मासूम लोगों की जान चली गई थी, में सम्मिलन से मुक्त नहीं किया गया।’’ उन्होंने इस घृणित काम के लिए दोषियों, चाहे वह कोई भी हों, को सज़ा दिलाने और पीडि़त परिवारों को इन्साफ दिलाने का प्रण भी लिया।
यह दोहराते हुए कि उनकी सरकार एस.आई.टी. की जांच को रद्द करने या इस टीम के प्रमुख कुंवर विजय प्रताप को हटाने वाले किसी भी अदालती हुक्म को चुनौती देगी, मुख्यमंत्री ने कहा कि सुखबीर बादल द्वारा अपनी ग़ैर-जीत को मनाने की जल्दी से उसकी बौखलाहट ज़ाहिर होती है, क्योंकि उसे एस.आई.टी. की जांच की दिशा को देखते हुए दीवार पर लिखा साफ़ नजऱ आ रहा था।
एस.आई.टी. ने अब तक कोटकपूरा मामले में कोटकपूरा के समकालीन अकाली विधायक और हलका इंचार्ज मनतार सिंह बराड़ समेत छह व्यक्तियों के खि़लाफ़ दोष पत्र दर्ज कर दिए हैं। मनतार बराड़ के खि़लाफ़ दायर चार्जशीट में साफ़ लिखा है कि, ‘‘कॉल डिटेल को जाँचने पर यह साफ़ ज़ाहिर हो जाता है कि उसकी तरफ से पंजाब के समकालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को उनके विशेष प्रमुख सचिव (गगनदीप सिंह बराड़, फ़ोन 981580000) और मुख्यमंत्री के ओ.एस.डी. गुरचरन सिंह (9915584693) के द्वारा फ़ोन कॉल की गई थीं।’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सुखबीर द्वारा बदलाखोरी का कोलाहल डालकर उस शिकंजे में से निकलने की कोशिश की जा रही है जिसमें वह बराड़ के खि़लाफ़ दायर चार्जशीट में ख़ुद को फंसा पा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री द्वारा हाईकोर्ट के हुक्म जो अभी आने हैं, में अपनी बेगुनाही सम्बन्धी पुष्टि की माँग करने के लिए दिखाई जा रही जल्दी के बारे में कोई बात नहीं की।
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि बादल परिवार ने पिछले चार सालों के दौरान इस मामले की जांच में रुकावट खड़ी करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी और पहली दफ़ा सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपे जाने के लिए बादल परिवार जि़म्मेदार रहा है। केंद्र में सत्ताधारी गठजोड़ का हिस्सा होने पर शिरोमणि अकाली दल ने जांच को किसी नतीजे पर पहुँचने से रोकने के लिए सभी पैंतरे अपनाए, जिन्होंने राज्य की मौजूदा सरकार द्वारा जांच पूरी करने के लिए केंद्रीय एजेंसी केस वापस लेकर विशेष जांच टीम (सिट) को सौंपे जाने की कार्यवाही में विघ्न डालने के लिए भी दबाव बनाया।
मुख्यमंत्री ने आम आदमी पार्टी (आप) पर अपने तर्कहीन और बेबुनियाद दोषों से इस मुद्दे को राजनैतिक रंगत देने की कोशिश करने पर आप को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सुखबीर की तरह आप संसद मैंबर भगवंत मान भी हाईकोर्ट की समझ को जाने बगैर अवा-तवा बोल रहा है। उन्होंने कहा कि अरविन्द केजरीवाल की पार्टी की ड्रामेबाज़ी, जिसकी कि राज्य में कोई जगह नहीं है, हँसी-मज़ाक के बिना और कुछ नहीं। इस मुद्दे पर अकाली दल और कांग्रेस में मिलीभुगत होने सम्बन्धी मान द्वारा लगाए गए दोष न सिफऱ् हास्यासपद हैं, बल्कि इनका कोई तर्क नहीं। उन्होंने कहा कि आप के किसी भी नेता के तर्कपूर्ण होने की उम्मीद रखना रात को सूरज चढऩे की उम्मीद रखने के समान है।
मनतार बराड़ के अलावा कोटकपूरा मामले में चार्जशीट किए गए अन्यों में कई सीनियर पुलिस अधिकारी जिनमें समकालीन सी.पी. लुधियाना परमराज सिंह उमरानंगल, समकालीन एस.एस.पी. मोगा, चरनजीत सिंह शर्मा, पुलिस थाना सिटी कोटकपूरा के समकालीन एस.एच.ओ. गुरदीप सिंह, कोटकपूरा के समकालीन डी.एस.पी. बलजीत सिंह और समकालीन ए.डी.सी.पी. लुधियाना परमजीत सिंह पन्नू शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को इस केस में चालान जारी किया गया है। सैनी और उमरानंगल की आगामी ज़मानत सम्बन्धी पटीशनों को 11 फरवरी, 2021 को सैशन कोर्ट फरीदकोट ने ख़ारिज कर दिया था और उन्होंने इसके लिए हाईकोर्ट के पास पहुँच नहीं की है।