कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने हरीश रावत के दावों को सिरे से नकारते हुए कहा कि कांग्रेस पंजाब में पूरी तरह बैकफुट पर
CHANDIGARH: कांग्रेस के पंजाब प्रभारी एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा किए गए हमले का कड़ा जवाब देते हुए पंजाब के पूर्व मुख्य मन्त्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने आज कहा कि रावत के आरोप संकेत दे रहे हैं कि पंजाब में कांग्रेस के बुरे दिन आ चुके हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्य मन्त्रीपद से हटने के तीन हफ्ते पहले उन्होंने सोनिया गांधी के समक्ष इस्तीफा देने का प्रस्ताव रखा था लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि आप ही मुख्य मन्त्री रहिए।’’ उन्होंने कहा जिस प्रकार उन्हें हटाया गया वह अपमानजनक था। उन्हें हटाने के लिए बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक से कुछ घंटों पहले उन्हें मजबूर किया गया कि वे इस्तीफा दे दें। कैप्टन बोले ‘‘सारी दुनिया ने देखा कि मुझे किस प्रकार अपमानित किया गया इसके बावजूद रावत सच्चाई से उलट बात कर रहे हैं। अगर ये अपमान नहीं है तो और अपमान क्या होता है?’’ उन्होंने कहा कि रावत को कुछ कहने के पहले मेरी जगह पर खुद को रखना चाहिए तब उन्हें समझ आएगा कि सब कुछ कितना अपमानजनक था।’’
पूर्व मुख्य मन्त्री ने याद दिलाया रावत ने उनसे मुलाकात के बाद सार्वजनिकरूप से कहा था कि 2017 के चुनावों के समय जो वायदे किए गए थे उन्हें पूरा किए जाने के मामले में वे उनकी सरकार की कार्यप्रणाली से संतुष्ट हैं। पंजाब के लिए कांग्रेस के इंचार्ज रावत ने 1 सितम्बर को ही साफ-साफ कहा था कि 2022 के चुनाव उनकी (कैप्टन अमरेन्द्र) की अगुवाई में ही लड़े जाएंगे और हाई कमान का उन्हें हटाने का कोई इरादा नहीं है। वे बोले ‘‘इन तथ्यों के बीच रावत अब कैसे कह सकते हैं कि पार्टी हाई कमान उनके काम से संतुष्ट नहीं था। अगर रावत की बात को सही भी मान लिया जाए तो मैं जानना चाहूंगा कि उन्हें इस विषय में अब तक अंधेरे में क्यों रखा गया?’’
रावत के इस आरोप कि कैप्टन दबाव में थे का जवाब देते हुए पूर्व मुख्य मन्त्री ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से उनके ऊपर जो दबाव था वह कांग्रेस के प्रति वफादीरी का था और इसी कारण वे अपमान के बाद अपमान सहते रहे। उन्होंने सवाल किया, ‘‘अगर पार्टी का इरादा उन्हें अपमानित करने का नहीं था तो फिर नवजोत सिंह सिद्धू को सोशल मीडिया तथा अन्य सार्वजनिक मंचों पर उनके खिलाफ बोलने की इजाजत क्यों दी गई? सिद्धू के नेतृत्व में असंतुष्टों को मेरे अधिकार को चुनौती देने की छूट क्यों दी गई? पिछले साढ़े चार साल में मेरे नेतृत्व में पार्टी ने जो जीतें हासिल की उन्हें पहचाना क्यों नहीं गया?’’
कैप्टन ने सवाल किया कि इतना सब होने के बावजूद पार्टी हाई कमान सिद्धू को क्यो बर्दाश्त कर रहा है और उसे पार्टी में मनमानी करने की छूट क्यों मिली हुई है? उनका कहना था, ‘‘ऐसा कौन सा दबाव है जिसके कारण पार्टी हाई कमान उसके सामने लाचार है और उसे कांग्रेस के भविष्य के साथ खिलावाड़ करने की छूट दी जा रही है?’’
अपनी सैक्युलर विचारधारा पर रावत द्वारा सवाल उठाए जाने पर कैप्टन ने कहा कि उनके सबसे जबर्दस्त दुश्मन और आलोचक भी उनके सैक्युलर होने पर सवाल नहीं उठा सकते। उनका आगे कहना था, ‘‘अब मुझे इस बात पर आश्चर्य भी नहीं हो रहा कि रावत जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता मेरे सैक्युलर होने पर सवाल उठा रहे हैं। इसी से जाहिर है कि जिस पार्टी की सेवा मैने इतने साल की उसी में अब मेरे ऊपर भरोसा और विश्वास नहीं किया जा रहा।’’
उन्होंने रावत के इस आरोप को पूरी तरह से गलत बताया कि चन्नी के शपथ-ग्रहण के बाद उन्होंने (कैप्टन) चन्नी से मिलने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि जिस दिन चन्नी का शपथ-ग्रहण समारोह था उस दिन चन्नी ने उन्हें फोन करके बताया था कि वे उनसे मिलने आएँगे लेकिन वे नहीं आए। इस आरोप के विषय में कि कैप्टन पंजाब इंचार्ज रावत का फोन नहीं उठा रहे थे, कैप्टन ने कहा कि ये सब बकवास है। उन्होंने कहा, ‘‘विधायक दल की बैठक बुलाए जाने के एक दिन पहले उनकी रावत से बात हुई जिसमें रावत ने बताया कि उन्होंने 43 विधायकों द्वारा बैठक बुलाए जाने सम्बन्धी किसी भी पत्र को उन्होंने नहीं देखा। मुझे इस बात पर ताज्जुब है कि ये शख्स किस बेशर्मी से झूठ बोल रहा है।’’
कैप्टन अमरेन्दर सिंह ने कहा कि वे दो बार मुख्य मन्त्री रहे और तीन बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। उन्होंने पंजाब के इंचार्ज रह चुके प्रणब मुखर्जी, मोती लाल वोरा, मोहसिना किदवई, मीरा कुमार और शकील अहमद जैसे बड़े नेताओं के साथ काम किया लेकिन किसी के भी साथ एक बार भी कोई परेशानी नहीं हुई। उनका कहना था कि उन्हें रावत का स्वभाव और काम करने का तरीका कभी समझ नहीं आया।
उन्होंने रावत की इस बात को कोरी बकवास बताया कि वे (कैप्टन) केन्द्रीय गृह मन्त्री अमित शाह से मुलाकात के बाद अपमान वाली थ्योरी का प्रचार कर रहे हैं। उनका कहना था कि जिस दिन उन्होंने इस्तीफा दिया उसी दिन उन्होंने कहा था कि कांग्रेस हाई कमान ने उन्हें तीन बार अपमानित किया है। विधायक दल का नेता होने के बावजूद उन्हें दरकिनार कर दो बार दिल्ली और तीसरी व आखरी बार चण्डीगढ़ में विधायक दल की बैठक बुलाई गई।
चुनावी वायदों को पूरा करने के विषय में कैप्टन ने कहा कि रावत झूठ बोल रहा है। कांग्रेस ने 2017 में जो चुनावी वायदे किए थे उनमें से 90 फीसदी पूरे किए जा चुके हैं जिनको देखा भी जा सकता है। उनका कहना था कि ये सारी रिकॉर्ड की बातें हैं जिन्हें बे सिर-पैर के बयानों से झुठलाया नहीं जा सकता।