कोविड के दौरान मिशन शत प्रतिशत की शुरुआत की, कहा- प्री प्राइमरी अध्यापकों के 8393 नए पदों पर भर्ती जल्द की जाएगी
CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शनिरवार को साल 2020 -21 के लिए मिशन शत प्रतिशत (मिशन 100 प्रतिशत) की शुरुआत की जिससे स्कूलों को कोविड संकट के बावजूद 100 प्रतिशत नतीजे हासिल करने के समर्थ बनाया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने 372 सरकारी प्राईमरी स्कूल के विद्यार्थियों को 2625 टेबलेट्स बाँटे और 1467 स्मार्ट स्कूलों का वर्चुअल (ऑनलाइन) ढंग से उद्घाटन किया।
इस वर्चुअल समागम के दौरान मुख्यमंत्री के साथ 4000 से अधिक स्कूलों के अध्यापक, विद्यार्थी और उनके माता-पिता जुड़े और वैबऐकस, फेसबुक और यू.ट्यूब के द्वारा राज्य के मंत्री, विधायक, अधिकारी और नॉन-टीचिंग स्टाफ के मैंबर भी जुड़े।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर प्री-प्राईमरी स्कूल अध्यापकों के 8393 पदों का ऐलान करते हुए कहा कि इनको शिक्षा विभाग की तरफ से जल्द ही भरा जायेगा। इस पक्ष की तरफ इशारा करते हुए कि उनकी सरकार की तरफ से 14064 ठेके पर रखे अध्यापकों की सेवाएं रेगुलर कर दी गई हैं, उन्होंने अध्यापकों के कल्याण हेतु उठाये गए कई कदमों पर भी रौशनी डाली।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि महिला शारीरिक शिक्षा अध्यापिकाएं जोकि 50 वर्षों की आयु से कम हैं, को स्वै-रक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे उनको सरकारी स्कूलों में पढ़ रही सभी छात्राओं को कराटे का प्रशिक्षण देने के समर्थ बनाया जा सके।
आज पंजाबी सप्ताह की समाप्ति के मौके पर मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा और भाषाओं संबंधी मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा को निर्देश दिए कि पंजाबी भाषा के प्रचार और पटियाला सैंट्रल पुस्तकालय, जोकि फंडों की कमी का सामना कर रहा है, के पुर्नोद्धार के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की जाये। उन्होंने पटियाला के पंजाबी के साथ पक्के रिश्ते को याद करते हुये कहा कि पंजाबी, पटियाला की सरकारी भाषा फ़ारसी की जगह 1940 में ही बन गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि महाराजा भुपिन्दर सिंह ने 1938 में पहला पंजाबी टाइपराइटर बनाया था।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने यह भी बताया कि पंजाबी को कैनेडा और यू.के. में अधिकारित भाषा का दर्जा मिल चुका है जहाँ कि पंजाबी मूल के लोग बड़ी संख्या में बसते हैं। इस तरह वैश्विक स्तर पर पंजाबी को मान्यता मिल चुकी है। उन्होंने विद्यार्थियों को विश्व स्तर पर मुकाबले के लिए तैयार होने हेतु अंग्रेज़ी और अन्य विदेशी भाषाओं की भी महत्ता पर ज़ोर देते हुये यह भी कहा कि पंजाबी भाषा हर पंजाबी व्यक्ति के दिलों और मन में बसनी चाहिए। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि सरकारी स्कूलों में 3.7 लाख विद्यार्थियों ने अंग्रेज़ी माध्यम को चुना है।
कोविड की स्थिति के कारण शिक्षा को पेश चुनौतियें की तरफ इशारा करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि मिशन शत प्रतिशत का मकसद स्कूलों में ई-बुकस, एजूसेट लैक्चरों, ई-कंटैंट और ज़ूम एप, रेडियो चैनल, टी.वी. लैक्चरों के प्रसारण, ख़ान अकैडमी के लैक्चरों और अध्यापकों के द्वारा तैयार वीडियो लैक्चरों के द्वारा डिजिटल शिक्षा ढांचे को मज़बूत करना है।
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि इस मिशन से सरकारी स्कूलों, जिन्होंने बीते तीन वर्षों के दौरान बोर्ड परीक्षाओं में नकल के रुझान पर नकेल डालने के राज्य सरकार के फ़ैसले के मुताबिक गुणवत्ता भरपूर शिक्षा प्रदान करने में अग्रणीय स्थान हासिल किया है, का स्तर सुधारने में बहुत मदद मिलेगी। उन्होंने आगे बताया कि साल 2017 की शुरुआत में करवाए गए एक राष्ट्रीय प्राप्तियों संबंधी सर्वेक्षण में यह सामने आया था कि पंजाब की कारगुज़ारी इस क्षेत्र में उम्मीदों के मुताबिक नहीं रही। यही कारण है कि सरकार की तरफ से की गई सख्ती के कारण विद्यार्थियों की कारगुज़ारी में काफ़ी सुधार देखने को मिला।
उन्होंने आगे बताया कि प्राईवेट से सरकारी स्कूलों की तरफ विद्यार्थियों की तरफ से रूख मोडऩा उनकी सरकार की प्राप्तियों में से सबसे प्रमुख है और बीते लगातार दो वर्षों के दौरान सरकारी स्कूलों की कारगुज़ारी प्राईवेट स्कूलों से बोर्ड परीक्षाओं पक्ष से काफ़ी बेहतर रही है।
स्मार्ट स्कूलों की तरफ से पंजाब में शिक्षा के स्तर को सुधारने हेतु डाले गए योगदान को बताते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 19107 सरकारी स्कूलों में से मौजूदा समय 6832 स्मार्ट स्कूल हैं जिनमें आज 1467 अन्य स्मार्ट स्कूलों का विस्तार हुआ है। उन्होंने आगे बताया कि बाकी बचते स्कूलों को भी स्मार्ट स्कूल बनाने के लिए जल्द ही 13859 प्रोजेक्टर प्रदान कर दिए जाएंगे और स्कूलों की डिजीटाईजेशन के लिए बजट में 100 करोड़ रुपए का उपबंध किया गया है।
इससे पहले शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने कहा कि हालाँकि 8393 पदों का विज्ञापन दे दिया गया, परन्तु और भी पद जल्द ही भरे जाएंगे। कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सरकार की तरफ से साल 2017 की पहली कैबिनेट मीटिंग से लेकर अब तक राज्य में शिक्षा के सुधारों के लिए उठाये गए कदमों पर रौशनी डालते हुये उन्होंने कहा कि पंजाब देश का ऐसा पहला राज्य था जिसने साल 2010 में डा. मनमोहन सिंह की सरकार की तरफ से लाई गई शिक्षा का अधिकार नीति के अंतर्गत प्री-प्राईमरी स्कूल शिक्षा को अमली जामा पहनाया। उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूलों में इन कदमों के कारण ही विद्यार्थियों के दाखि़लों (ऐनरोलमैंट) में विस्तार दर्ज किया गया और राज्य सरकार के स्कूलों ने बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 13.48 प्रतिशत अधिक दाखि़ले किये हैं जोकि सरकारी स्कूलों के लिए मान वाली बात है।
श्री सिंगला ने आगे जानकारी दी कि अध्यापकों के ऑनलाइन तबादलों की नीति भी सरकार की तरफ से अपनाई गई है और मेरिट के अनुसार अलग-अलग मापदण्डों पर विचार करते हुए बीते वर्ष 7300 तबादले किये गए। उन्होंने यह भी बताया कि पंजाब लोक सेवा आयोग (पी.पी.ऐस.सी.) के द्वारा अध्यापकों की सीधी भर्ती शुरू की गई है और यह भी कहा कि 14000 अस्थायी अध्यापकों की सेवाएं भी रैगलूर की गई हैं।
इन सभी कदमों के कारण पंजाब के स्कूलों में शिक्षा का स्तर ऊँचा ले जाने में मदद मिली है। शिक्षा मंत्री ने कोविड के समय दौरान ऑनलाइन शिक्षा, मिड डे मिल मुहैया करवाने और किताबों के वितरण आदि जैसे अहम कार्य पूरा करके शिक्षा के क्षेत्र में योगदान डालने के लिए समूह अध्यापकों और अन्य अमले का धन्यवाद भी किया।
इस मौके पर उच्च शिक्षा और भाषाओं संबंधी मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा ने पंजाबी भाषा के प्रचार संबंधी सरकार की तरफ से उठाये जा रहे कदमों के बारे कहा कि पंजाबी भाषा के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देने के अलावा अन्य किये जा रहे यत्नों में पंजाबी साहित्य की डिजीटाईजेशन किया जाना शामिल है। उन्होंने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला और पटियाला सैंट्रल पुस्तकालय के वित्तीय संकट पर भी चिंता ज़ाहिर की।
इस मौके पर शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने बताया कि विद्यार्थियों के दाखि़लों में असीमित वृद्धि के अलावा स्कूलों ने अच्छे ढांचे के निष्कर्ष के तौर पर और अध्यापकों की भर्ती आदि के मद्देनजऱ अच्छे नतीजे दिखाऐ हैं।
पंजाब के बच्चों के सुनहरी और सुरक्षित भविष्य के लिए मानक शिक्षा यकीनी बनाऐ जाने की महत्ता पर ज़ोर देते हुए मुख्य सचिव विनी महाजन ने बताया कि राज्य सरकार उनको सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।
वर्चुअल प्रोग्राम के दौरान कई अध्यापकों ने अपने तजुर्बे सांझे करते हुये बताया कि कैसे पिछले तीन वर्षों के दौरान स्कूलों और शिक्षा प्रणाली में बड़े सुधार हुए हैं। लुधियाना के साहनेवाल स्कूल की प्रिंसिपल करमजीत कौर ने बताया कि उन्होंने बिल्कुल पारदर्शी और मेरिट आधारित प्रक्रिया के द्वारा सीधी भर्ती के तौर पर ज्वांइन किया था।
एक स्मार्ट स्कूल में पंजाबी अध्यापक के तौर पर सेवाएं निभा रहे डा. जसवंत राय ने बताया कि स्कूलों के ढांचे में सुधार किये जाने के कारण विद्यार्थियों में इनके प्रति आकर्षण बढ़ा है जिनको होशियारपुर जिले से किताबें प्राप्त हुई हैं।
तरन तारन के एक स्कूल की मुख्य अध्यापिका जीत कौर ने अपनी सेवा हाल ही में रेगुलर किये जाने (उनको मूलभूत तौर पर अस्थायी अध्यापिका के तौर पर भती किया गया था) को सपना सत्य होना बताते हुये कहा कि आज के दौर में सरकारी स्कूलों का स्तर और ढांचा प्राईवेट स्कूलों की अपेक्षा बेहतर है।
इस वर्चुअल प्रोग्राम के दौरान स्मार्ट स्कूलों के बारे एक वीडियो भी दिखाई गई जिसमें पंजाब में मौजूदा सरकार द्वारा स्कूली प्रणाली में हुए क्रांतिकारी बदलावों संबंधी विस्तारपूर्वक जानकारी दी।