पंजाबी को जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा सूची में शामिल करने के लिए कैप्टन अमरिंदर ने मोदी को लिखा पत्र

पंजाबी बोली का जम्मू-कश्मीर के साथ महाराजा रणजीत सिंह के समय से ही ऐतिहासिक संबंधों का हवाला दिया

CHANDIGARH: पंजाबी भाषा का जम्मू और कश्मीर के साथ महाराजा रणजीत सिंह के समय पर ही ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देते हुये मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बुधवार को पंजाबी को केंद्र शासित प्रदेश की अधिकारित भाषाओं की सूची में दर्ज करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दखल मांगा।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपील की है कि वह केंद्रीय गृह मंत्रालय को सलाह दें कि यू.टी. जम्मू और कश्मीर की अधिकारित भाषाओं की सूची पर पुनर विचार करते हुये हुए इसकी समीक्षा की जाये और पंजाबी भाषा को इस सूची में शामिल किया जाये।

अधिकारित भाषाओं की सूची में पंजाबी भाषा को बाहर करने के मामले पर पंजाबी भाईचारे में पाई जा रही नाराजगी का प्रतिनिधित्व करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के समय से हर जम्मू और कश्मीर, पंजाब का हिस्सा रहा है और इस क्षेत्र की पंजाबी एक क्षेत्रीय भाषा रही है। उन्होंने पत्र में लिखा कि जब जम्मू और कश्मीर आजाद राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया तो इस राज्य में पंजाबी बोली बड़े स्तर पर बोली जाती थी और अब कश्मीर घाटी में पंजाबी भाईचारे की तरफ से बोली जाती इस भाषा से जम्मू क्षेत्र में पंजाबी सभी पंजाबियों की मातृभाषा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सितम्बर, 2020 में ध्वनि मतों के साथ संसद के दोनों सदनों की तरफ के पास किये जम्मू और कश्मीर भाषाएं बिल, 2020 के अंतर्गत यू.टी. जम्मू और कश्मीर में मौजूदा समय दर्ज उर्दू और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को अधिकारित भाषाओं की सूची में शामिल किया गया। दुख की बात है कि पंजाबी को अधिकारित भाषाओं की सूची में दर्ज नहीं किया गया जोकि अब यू.टी. की अधिकारित भाषाएं ही नहीं बन गई बल्कि स्कूलों में भी इनको लाजिमी विषय के तौर पर पढ़ाया जायेगा।

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