कहा- ऐसी बदले की राजनीति भारत की संवैधानिक रिवायतों के लिए खतरनाक
CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शनिवार को आंदोलनकारी किसानों की हिमायत कर रहे आढ़तियों के खिलाफ डराने-धमकाने की चालों के लिए केंद्र की सख्त आलोचना करते हुये चेतावनी दी कि ऐसे घृणित तरीके से भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ लोगों के गुस्सा में और बढ़ोतरी करेंगे।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह स्पष्ट है कि केंद्र की तरफ से पंजाब के कुछ आढ़तियों के खिलाफ आय कर के छापे सुनियोजित रूप से किये जा रहे हैं जिससे आढ़तियों को अपने लोकतंत्रीय अधिकारों और आजादी से रोकने के लिए दबाव बनाया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी दमनकारी कार्यवाहियां सत्ताधारी भाजपा को उलटी पड़ेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्पष्ट है कि काले खेती कानूनों के खिलाफ लम्बे समय से संघर्ष कर रहे किसानों को मनाने, गुमराह करने और बाँटने में असफल रहने के बाद केंद्र सरकार ने अब संघर्ष को कमजोर करने के लिये आढ़तियों को निशाना बनाना शुरू किया है जो पहले ही दिन से पूरी सक्रियता से किसानों के आंदोलन की हिमायत कर रहे हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब के कई बड़े आढ़तियों के टिकानों पर नोटिस जारी करने के सिर्फ चार दिनों के अंदर ही आय कर के छापे मारे गए हैं जबकि उनके नोटिस का जवाब भी नहीं इन्तजार किया गया। उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही स्पष्ट करती है कि बनती कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। यहाँ तक कि स्थानीय पुलिस को भी सूचना या भरोसेे में नहीं लिया गया जोकि यह आम विधि होती है। यहाँ तक कि आई.टी. टीमों के छोपों के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए सी.आर.पी.एफ. की सहायता ली गयी।
मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘‘अगर यह किसानों के संघर्ष को किसी भी कीमत पर दबाने पर तत्पर केंद्र की तरफ से स्पष्ट तौर पर बदलाखोरी की राजनीति का मामला नहीं है तो फिर यह क्या है?’’
सी.आर.पी.एफ. की दो बसें भर कर रात भर जिन आढ़तियों पर छापे मारे गए उन पीडितों में विजय कालड़ा (प्रधान पंजाब आढ़तिया एसोसिएशन), पवन कुमार गोयल (प्रधान समाना मंडी), जसविन्दर सिंह राणा (पटियाला जिला प्रधान), मंजिन्दर सिंह वालिया (प्रधान नवां शहर), हरदीप सिंह लड्डा (प्रधान राजपुरा) और करतार सिंह और अमरीक सिंह (आढ़तिया राजपुरा) शामिल हैं। पंजाब भर के कुल 14 आढ़तियों को आय कर विभाग की तरफ से नोटिस हासिल हुए हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से विरोधियों को दबाने के लिए अपनी धौंस जमाने के लिए केंद्रीय एजेंसी का दुरुपयोग करने की यह पहली मिसाल नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र की यह धक्केशाहियां विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक मुल्क के लिए अच्छा संकेत नहीं है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट भी लोगों के शांतमयी प्रदर्शन करने के अधिकार को कायम रख चुकी है तो केंद्र सरकार की तरफ से यह कार्यवाही सर्वोच्च अदालत के आदेश के साथ-साथ संविधान की भावना का भी सरासर उल्लंघन है क्योंकि संविधान में हरेक नागरिक को अपनी आवाज उठाने का हक दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि किसान पिछले तीन हफ्तों से कड़कड़ाती ठंड और कोविड की परिस्थितियों में से गुजर रहे हैं और इस आंदोलन के दौरान लगभग दो दर्जन को अपनी जान भी गवानी पड़ी है जबकि इन किसानों की आवाज सुनने की बजाय केंद्र सरकार उल्टा किसानों के हौसले तोड़ने के लिए घटिया स्तर की चालें चल रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार को एहसास होना चाहिए कि यह सिर्फ किसान भाईचारेे के भविष्य का सवाल ही नहीं है बल्कि इसका मुल्क की संवैधानिक कदरों-कीमतों के साथ भी सीधा सरोकार है जिनको केंद्र की ऐसीं मनमानियों से खतरा पैदा हो गया है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र सरकार से अपील की कि इस मुद्दे पर हठी रवैया न अपनाएं बल्कि खेती कानूनों को रद्द किया जाये और अन्य विकासमुखी सुधारों वाले कानून लाने के लिए किसानों और अन्य भाईवालों के साथ अर्थपूर्ण बातचीत का दौर नये सिरे से शुरू किया जाये जोकि यह सभी के हित में हो।