एचपीएससी की भर्तियों में खेल कोटा खत्म कर हरियाणा सरकार ने दिखाया अपना खेल व खिलाड़ी विरोधी चेहरा: हुड्डा

पूर्व मुख्यमंत्री बोले-खाली पड़े पदों को खत्म करने की बजाय उन पर भर्तियां करे सरकार

देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे हरियाणवी युवाओं को सताना बंद करे BJP-JJP

CHANDIGARH, 9 FEBRUARY: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि एचपीएससी की भर्तियों में खेल कोटा खत्म करके बीजेपी-जेजेपी ने अपना खेल व खिलाड़ी विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है। अब तक खिलाड़ियों को एचपीएससी की भर्तियों में 3% कोटा मिलता आया है लेकिन एचपीएससी द्वारा निकाली गई 95 पदों की नई भर्ती में इस कोटे को समाप्त कर दिया गया। हुड्डा ने कहा कि किसान, जवान और पहलवान यानी खिलाड़ी हरियाणा की पहचान हैं। हरियाणा के खिलाड़ियों ने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपने प्रदेश का नाम रोशन किया है। उनके सम्मान और प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस कार्यकाल के दौरान ‘पदक लाओ, पद पाओ’ नीति बनाई गई थी। साथ ही खिलाड़ियों को सभी नौकरियों में 3% कोटा दिया गया था। लेकिन बीजेपी जेजेपी सरकार ने इस कोटे को खत्म कर दिया। कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक इसका कड़ा विरोध करेगी।

हुड्डा ने अलग-अलग महकमों में 2 साल से खाली पड़े पदों को खत्म करने वाले सरकार के फैसले का भी विरोध किया है। उनका कहना है कि हरियाणा के युवा पहले से ही देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे हैं। सरकारी विभागों में 1.82 लाख पद खाली पड़े हैं। लेकिन भर्ती करने की बजाए बीजेपी-जेजेपी सरकार पदों को ही खत्म करके युवाओं पर सितम ढाह रही है। सरकार बेरोजगारी को बढ़ावा देने वाले इस फैसले को वापिस लेकर फौरन खाली पदों पर भर्ती करे। अगर मौजूदा सरकार ने ऐसा नहीं किया तो कांग्रेस सरकार बनने पर सभी खाली पदों पर पक्की भर्तियां करके उन्हें भरा जाएगा।

हुड्डा ने हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन की भर्तियों में नेगेटिव मार्किंग और 50% क्राइटेरिया का भी विरोध किया। उनका कहना है कि एचपीएससी ने सामान्य वर्ग पर 50 प्रतिशत और आरक्षित श्रेणी के अभ्यार्थियों पर 45 प्रतिशत का क्राइटेरिया लागू करके भर्ती प्रक्रिया को मजाक बना दिया है। इसका मकसद योग्य अभ्यर्थियों को भर्ती से वंचित करना और पदों को खाली रखना है। एडीओ भर्ती का उदहारण देते हुए उन्होंने बताया कि 600 पदों के लिए निकली भर्ती के इंटरव्यू में सिर्फ 57 अभ्यार्थियों ने ही क्वालिफाई किया। इनमें से 7 को इंटव्यू में बाहर कर दिया गया। आखिर में 600 पदों की भर्ती में सिर्फ 50 लोगों को ही नौकरी मिल पाई और 550 पद खाली रह गए।

अपनी ऐसी ही कारगुजारियों पर पर्दा डालने के लिए सरकार और भर्ती संस्थाएं लगातार युवाओं के साथ बिना सिर-पैर के प्रयोग कर रही है। परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग और 50% क्राइटेरिया के साथ एचपीएससी ने हर प्रश्न के उत्तर में पांचवा ऑप्शन भी जोड़ा है, जो भरना अनिवार्य है। अगर किसी ने पांचों में से कोई भी ऑप्शन नहीं भरा तो अभ्यार्थी के अंक काटे जाएंगे। इसके पीछे सरकार ने वजह बताई कि कुछ अभ्यर्थी जानबूझकर अपनी आंसर शीट खाली छोड़ देते हैं, जिसे बाद में भरा जाता है। यानी सरकार खुद मान रही है कि पिछले 8 साल से एचपीएससी की भर्तियों में इस तरह की धांधलियां होती आई हैं। भर्ती संस्थाओं में बैठे लोग लाखों रुपये लेकर खाली आंसर शीटों को भरते हैं और नौकरियों की सौदेबाजी करते हैं।

अबतक सामने आए भर्ती घोटालों की जांच में कई बार खाली आंसर शीट की छोड़ने वाली बात सामने आ चुकी है। लेकिन सरकार ने तमाम घोटालों को दबा दिया। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने भर्ती में धांधली साबित होने पर एचएसएससी को 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। लेकिन गठबंधन सरकार इससे कोई सबक लेती दिखाई नहीं दे रही।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एचपीएससी की वेटनरी सर्जन भर्ती में जमकर गड़बड़झाला हुआ है। अभ्यार्थियों ने पेपर लीक से लेकर प्रश्न गलत होने तक के आरोप लगाए। वेटरनरी सर्जन की भर्ती में 26-28 सवालों के उत्तर गलत पाए गए। लेकिन परिक्षाओं के प्रश्नपत्र में कमीशन द्वारा की गई गड़बड़ियों को ठीक करवाने के लिए अगर अभ्यार्थी गुहार लगाते हैं तो उनसे प्रति प्रश्न 200 रुपये लिए जाते हैं। यानी कमीशन की गलतियों की भरपाई अभ्यार्थियों से करवाई जा रही है। जबकि सरकार को पेपर सेट करने वाले लोगों और कमीशन में बैठे उनके आकाओं पर कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन ऐसा करने की बजाए कमीशन व सरकार युवाओं को प्रताड़ित करने में लगे हैं।

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