लक्खोवाल ग्रुप की इस कार्यवाही को किसान आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए भाजपा और अकाली दल की साजिश करार दिया
CHANDIGARH: भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के प्रधान और अकाली दल के बीच पुरानी और नज़दीकी संबंधों का हवाला देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बुधवार को कहा कि लक्खोवाल ग्रुप की तरफ से कृषि बिलों के खि़लाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपनी पटीशन पर यू.टर्न शिरोमणि अकाली दल के दबाव मेें लिया गया है जिससे स्पष्ट होता है कि वह एक बार फिर भाजपा की नज़दीकी का गौरव अनुभव करना चाहते हैं।
बी.के.यू. (लक्खोवाल) के प्रधान अजमेर सिंह लक्खोवाल के अकालियों के साथ रिश्ते जग ज़ाहिर हैं और वह बादलों के शासन के दौरान 10 साल मंडी बोर्ड का चेयरमैन रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लक्खोवाल ग्रुप की तरफ से काले कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने से अचानक पीछे हटने का फ़ैसला स्पष्ट करता है कि वह अकालियों के इशारे पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने अन्य किसान यूनियनों को सावधान करते हुये कहा कि वह अकालियों के झांसे में न आएं जिन्होंने इस काले कानून को बनाने के लिए मुख्य भूमिका निभाते हुये मूलभूत दौर में अपने हिस्सेदार भाजपा को सहयोग दिया।
रिट्ट पटीशन वापस लेने संबंधी लक्खोवाल ग्रुप के फ़ैसले के बारे अकाली दल की तरफ से दिए स्पष्टीकरण की तरफ इशारा करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इसी से ही स्पष्ट होता है कि इसके पीछे अकाली दल की साजिश है जो सत्ता की लालसा में किसान आंदोलन को कमज़ोर कर रहा है।
उन्होंने इस मामले पर अकाली दल के उस बयान को किसान संगठनों के संघर्ष में बिना किसी अधिकार के अनावश्यक दखलअन्दाज़ी करार दिया जिसमें उनके नेता ने कहा था कि बी.के.यू. (लक्खोवाल) को बाकी किसान यूनियनों के साथ सलाह किये बगैर पटीशन दाखि़ल नहीं करनी चाहिए थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी दखलअन्दाज़ी सिफऱ् यही साबित करती है कि अकालियों और बी.के.यू. (लक्खोवाल) के प्रधान के बीच समझौता किया हुआ जो अपने अकाली दल के दोस्तों को खुश करने के लिए किसानों के हित बेचने में भी पीछे नहीं हटते।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि सभी मामले से यही स्पष्ट होता है कि यह साजिश केंद्र में बैठी भाजपा ने कृषि कानूनों के खि़लाफ़ किसानों के संघर्ष को कमज़ोर करने के लिए घड़ी है। नरेंद्र मोदी सरकार कृषि क्षेत्र की नींव तोडऩे और किसानी भाईचारे को तबाह करने पर तुली है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘केंद्र सरकार यह सोचती थी कि कोविड महामारी के दौरान इन तीन कानूनों को लाकर इसके विरोध को रोक देगी क्योंकि किसान महामारी के चलते सडक़ों पर आने से डरेंगे। किसानों के ज़बरदस्त गुस्से को देखते ही भाजपा के होश उड़ गए हैं जो किसान अपनी रोज़ी रोटी के लिए कोविड और डांगों का भी सामना कर रहे हैं।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के हित आसान ढंग से अम्बानियें और अदानियों के पास बेचने के बारे पता लगने के बाद भाजपा ने अकालियों की तरफ से इस्तीफ़ा देने का सारा नाटक रचने का फ़ैसला किया जिससे वह किसानों की भावनाओं के साथ खेल सकें। उन्होंने कहा कि अब जब उनको एहसास हुआ कि किसान उनकी बहानेबाज़ी और दोहरे मापदण्डों में नहीं फंसेंगे तो अकालियों ने एक ग्रुप को दूसरे ग्रुप के खि़लाफ़ लड़ा कर किसानी भाईचारे में फूट डालने का फ़ैसला किया।
मुख्यमंत्री ने अकालियों को यह ख़तरनाक खेल खेलने के प्रति चेतावनी देते हुये कहा कि यह चाल उनको उलटी पड़ेगी क्योंकि किसान ऐसी कार्यवाहियां नहीं करेंगे। अगर अकाली या भाजपा में बैठे उनके राजसी गुरू यह सोचते हैं कि वह इन कानूनों संबंधी किसानों को गुमराह कर लेंगे तो यह उनकी बड़ी गलती होगी। उन्होंने कहा कि किसान इतने भोले नहीं हैं कि वे इन स्वार्थी नेताओं के पीछे लग कर अपने पैरों पर कुलहाड़ी मार लें ।