पूर्व सीएम ने कहा-हरियाणा में डीएपी की किल्लत और कालाबाजारी से जूझ रहे किसान, मूकदर्शक बनी सरकार
CHANDIGARH, 23 OCTOBER: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि प्रदेश के किसान डीएपी खाद की किल्लत और कालाबाजारी से जूझ रहे हैं। उन्होंने खाद की आपूर्ति बढ़ाने की मांग उठाई है। हुड्डा ने कहा कि आलू बुवाई शुरू हो गई है, अब सरसों के बाद गेहूं की बिजाई शुरू होगी। लेकिन, सरकार द्वारा किए जा रहे तमाम दावों की अभी से पोल खुल गई है। किसानों को खाद के लिए घंटों लंबी क़तारों में इंतजार करना पड़ रहा है। खाद की लाइन में इंतजार कर रहे फतेहाबाद के एक किसान की मौत भी हो गई।
बीजेपी-जेजेपी सरकार द्वारा कागजों में खाद के भंडार दिखाए जा रहे हैं। लेकिन वह किसानों तक नहीं पहुंच रहे। इससे स्पष्ट है कि खाद की कालाबाजारी हो रही है। प्रदेश के 22 जिलों की सहकारी समितियों पर डीएपी नहीं मिल रहा है और निजी दुकानदार डीएपी के साथ किसानों को जबरदस्ती सल्फर की थैली बेच रहे हैं। हर सीजन में बीजेपी-जेजेपी द्वारा किसानों के साथ इसी तरह खिलवाड़ किया जाता है। थानों में खाद बंटवाने का कीर्तिमान इसी सरकार के नाम दर्ज है। छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं तक को भी लंबी कतारों में लगना पड़ता है। बावजूद इसके कभी भी सरकार ने वक्त रहते खाद का बंदोबस्त नहीं किया।
हुड्डा ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार ना किसानों को वक्त पर खाद दे पा रही हैं, ना एमएसपी और ना ही मुआवजा। हर सीजन की तरह इस सीजन का उदाहरण भी सबके सामने है। धान और बाजरा किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए कई-कई दिनों तक इंतजार करना पड़ा। सरकारी खरीद नहीं हो रही, जिसके चलते बड़ी संख्या में किसान अपनी फसल एमएसपी से कम रेट पर प्राइवेट एजेंसी को बेचने को मजबूर हुए। इसी तरह पिछले दिनों आई बाढ़ से प्रभावित किसान अब तक मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। बाढ़ के वक्त उन्होंने खुद पूरे हरियाणा में बाढ़ का जायजा लिया था और उसी वक्त किसानों के लिए जल्द से जल्द उचित मुआवजा देने की मांग उठाई थी। लेकिन, सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। आज इसी का खामियाजा प्रदेश का अन्नदाता भुगत रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि हैरानी की बात ये है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत तय बीमा कंपनियों ने क्लस्टर-2 यानी अंबाला, हिसार, गुरुग्राम, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़ और सोनीपत के किसानों को मुआवजा देने से साफ इनकार कर दिया है। बीमा प्रीमियम दिए जाने के बावजूद लाखों एकड़ फसल की बर्बादी का सारा बोझ किसानों के कंधों पर डाल दिया गया है। सरकार ने कंपनियों के खिलाफ कोई एक्शन लेने की बजाए बैंकों को प्रीमियम वापिस लौटाने के निर्देश दिए हैं। जो प्रदेश के किसानों के साथ अन्याय है।