निगमायुक्त पर बिफरी भाजपा, बोली-राजनीति का शौक है तो चुनाव लड़ो

नगर निगम आयुक्त पर कांग्रेस से मिलीभगत का लगाया आरोप

कहा-भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव कर रहे निगमायुक्त

CHANDIGARH: भारतीय जनता पार्टी चंडीगढ़ के प्रदेश महासचिव रामवीर एवं चंद्रशेखर ने चंडीगढ़ नगर निगम के आयुक्त पर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव करने और कांग्रेस के प्रभाव में काम करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।     

सरकारी इमारत पर ताला लगाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की
आज मीडिया को जारी एक संयुक्त बयान में दोनों भाजपा नेताओं ने कांग्रेसपार्टी के नेताओं द्वारा कल नगर निगम कार्यालय के गेट पर ताला लगाने की घटना पर निगम आयुक्त द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकारी इमारत पर ताला लगाने के बावजूद कांग्रेस नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि भाजपा कार्यकर्ता निगम आयुक्त से मिलने जाते हैं तो उन्हें बेवजह इंतजार करवाया जाता है और पुलिस में झूठी शिकायतें दर्ज करवाई जाती हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि निगम अधिकारियों और कांग्रेस पार्टी की मिलीभगत है तथा भाजपा को बदनाम करने के लिए शहर के विकास कार्यों को जानबूझकर ठप्प किया जा रहा है। 

जनता के पसीने की कमाई से सुविधाएं भोग रहे अफसर
भाजपा नेताओं ने कहा कि ऐसे अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि जनता के पसीने की कमाई से वे वेतन-भत्ता, गाड़ी और अन्य सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं। इसके बदले में उन्हें जनकल्याण के कार्य प्राथमिकता पर करने चाहिए, न कि टालमटोल का रवैया अपनाना चाहिए। भाजपा प्रदेश महासचिवों ने कहा कि निगम आयुक्त को नगर निगम सदन में 35 पार्षदों के बैठने से तो कोरोना संक्रमण का भय सता रहा है लेकिन निगम कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने से कोरोना संक्रमण नहीं हो रहा है?

जनप्रतिनिधियों को निगमायुक्त की सलाह की जरूरत नहीं
कल निगम की वर्चुअल मीटिंग से पार्षदों के अनुपस्थित रहने के बारे में निगम आयुक्त द्वारा की गई बयानबाजी पर कठोर टिप्पणी करते हुए प्रदेश भाजपा महासचिवों ने कहा कि पार्षद शहर की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि हैं और अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं, उन्हें निगम आयुक्त की सलाह की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि निगम आयुक्त को राजनीति करने का यदि इतना ही शौक है तो उन्हें अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर जनता के बीच जाकर चुनाव लड़कर सदन में आना चाहिए, ताकि उनकी सलाह पर कोई गौर करे।

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