राम भक्ति पर भाजपा का कॉपीराइट नहीं है: पवन कुमार बंसल

बोले- मैं भी हिन्दू हूं, अयोध्या श्रीराम मंदिर भी जरूर जाऊंगा लेकिन भाजपा के कार्यक्रम में मूक दर्शक बनने के लिए नहीं

CHANDIGARH, 11 JANUARY: पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं चंडीगढ़ के पूर्व सांसद पवन कुमार बंसल ने कहा है कि राम भक्ति पर भाजपा का कॉपीराइट नहीं है और भगवान श्रीराम और हनुमानजी बीजेपी के नेता भी नहीं हैं, बल्कि राम सभी के हैं। पवन बंसल ने कहा कि मैं भी हिन्दू हूं, अयोध्या श्रीराम मंदिर भी जरूर जाऊंगा लेकिन भाजपा के कार्यक्रम में मूक दर्शक बनने के लिए नहीं, बल्कि रामभक्त के रूप में अपने सैकड़ों साथियों के संग जाऊंगा।

बंसल ने एक बयान जारी कर कहा कि चार शंकराचार्यों ने राम मंदिर के उदघाटन का निमंत्रण ठुकरा दिया है, जो इस सत्य को उजागर करता है कि मंदिर का इस तरह उदघाटन श्रीराम के लिए, नहीं बल्कि चुनाव के लिए हो रहा है। ये बीजेपी और आरएसएस का एक राजनीतिक प्रोग्राम है, जो कि भगवान श्रीराम और उनके करोड़ों भक्तों की भावनाओं से जुड़ा नहीं है। भगवान श्रीराम और उनके आदर्शों से भाजपा का दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है। बस 2024 का लोकसभा चुनाव और वोटों की फ़सल काटने के लिए यह सब क़वायद की जा रही है। हर चीज को बांटने में माहिर भाजपा ने आखिरकार भगवान को भी बांट दिया है।

पवन बंसल ने कहा कि हिन्दू धर्म कोई भाजपा की जागीर नहीं है और राम मंदिर कोई भाजपा की कामयाबी नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से बना है। 22 जनवरी को भाजपा की ही बड़ाई की जाएगी, इसलिए वहां कांग्रेस नेताओं के मूक दर्शक बनने का कोई औचित्य नहीं है। बंसल ने कहा कि 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने भी सुप्रीम कोर्ट जैसा ही प्लान तैयार किया था, जिसको विश्व हिंदू परिषद ने उस वक्त नकार दिया था। इसमें विवादित स्थल पर आलीशन राम मंदिर व पास ही में मस्जिद के निर्माण की बात कही गई थी लेकिन वीएचपी ने 18 किलोमीटर के दायरे में कोई और धार्मिक स्थल न बनने की बात कहकर उसका विरोध किया था। यहां तक कि 1988 में राजीव गांधी ने ही राम मंदिर का शिलान्यास किया था, जबकि खुद भाजपा के केंद्रीय मंत्री रह चुके शाहनवाज़ हुसैन ने संसद में ये बयान दिया था कि रामलला की स्थापना भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी।

बंसल ने कहा कि अब सिर्फ और सिर्फ राजनीति की जा रही है। आधे-अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अपने हित और वोट बैंक के लिए की जा रही है। भाजपा ऐसा माहौल बना रही है कि जो विरोध में हो जाए वही इनका दुश्मन हो जाए, चाहे वो शंकराचार्य हों या कोई और, इनको किसी से फर्क नही पड़ता, सत्ता के लिए ये कुछ भी करने को तैयार है। इसीलिए सोनिया गांधी, राहुल गांधी व शंकराचार्य भी मोदी और भाजपा की बड़ाई की गाथा सुनने के लिए अयोध्या नहीं जा रहे हैं। पवन कुमार बंसल ने कहा कि राम मंदिर बनाने का श्रेय लेकर भाजपा आम चुनावों में वोट हासिल करना चाहती है, जो कि इसकी ओछी सियासत को ही दर्शाता है। इलेक्शन तक मोदी मंदिरों के विकास पर जोर देंगे, क्योंकि उनके पास 10 साल का हिसाब देने से बचने के लिए सिर्फ यही एक रास्ता बचा है।

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