कहा- एक तरफ मौसम और दूसरी तरफ मंहगाई की मार के बीच पिस रही है हरियाणा की जनता
बाढ़ और महंगाई से जूझ रही जनता के जले पर नमक छिड़क रही है बीजेपी-जेजेपी सरका
CHANDIGARH, 18 JULY: हरियाणा की जनता के ऊपर एक तरफ मौसम तो दूसरी तरफ महंगाई की मार पड़ रही है। बीजेपी-जेजेपी सरकार जनता की जेब काटने का कोई भी मौका नहीं चूकती। यह कहना है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा पानी के बिलों में 25% तक की बढ़ोतरी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। उनका कहना है कि प्रदेश की जनता पहले से ही आसमान छूती महंगाई का दंश झेल रही है। ऐसे में पानी के बिलों में बढ़ोतरी करके बीजेपी-जेजेपी ने जनता के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।
हुड्डा का कहना है कि अबतक जनता कोरोना महामारी की वजह से हुए नुकसान से उभरी भी नहीं थी कि अब बाढ़ ने अपने आगोश में ले लिया। इस मुश्किल वक्त में सरकार द्वारा जनता को कोई राहत मिलनी चाहिए थी। लेकिन सरकार इसके विपरीत उसकी आफत बढ़ाने में लगी। आज सरकार का पूरा फोकस बाढ़ नियंत्रण और राहत कार्यों पर होना चाहिए था। लेकिन ऐसे वक्त में भी सरकार जनता की जेब काटने में लगी है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश के ज्यादातर जिले पूरी तरह बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। जलभराव की वजह से लोगों को खाने-पीने के सामान से लेकर बिजली-पानी और मवेशियों के चारे तक की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की लाखों एकड़ खेती पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। जल निकासी के लिए सरकार द्वारा उचित कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जलभराव की वजह से अब बाढ़ ग्रस्त इलाकों में बीमारियां फैलने भी शुरू हो गई है। लेकिन उसकी रोकथाम के लिए भी सरकार ने कोई योजना नहीं बनाई। सरकार द्वारा भर्ती नहीं किए जाने के चलते पहले से ही अस्पतालों में डॉक्टर व अन्य स्टाफ का टोटा है। इसलिए अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतारें लगी हैं। ऐसा लगता है मानो बीजेपी-जेजेपी ने जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।
इंसानों के साथ बाढ़ की वजह से पशुओं में भी खुर मुंह जैसी अनेक बीमारियां फैल गई हैं। गौशालाओं में पानी भरने से गोवंश सड़कों पर आ गया है। उसके लिए भी सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की। पहले से ही पशु चिकित्सकों के लगभग आधे पद खाली पड़े हुए हैं।
हुड्डा ने कहा कि सरकार की लापरवाही और अनदेखी की जनता को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। ऐसे में कम से कम अब तो सरकार को नींद से जागना चाहिए। उसे जल निकासी के लिए ज्यादा से ज्यादा संसाधन जुटाने चाहिए। गांववालों को जनरेटर और डीजल उपलब्ध करवाने चाहिए। साथ ही किसानों को 40 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाए। मकानों, दुकानदारों और कारोबारियों को हुए नुकसान का भी उचित आंकलन करके सभी को मुआवजा देने की प्रक्रिया जल्द शुरू होनी चाहिए।