पूछा- जब सीएम या कृषि मंत्री अध्यादेशों में बदलाव के लिए नहीं तैयार तो प्रदेश अध्यक्ष की खानापूर्ति वाली कमेटी किसको देगी सुझाव?
कहा- बिना संवैधानिक शक्ति और राजनीतिक इच्छा शक्ति वाली इस कमेटी का नहीं कोई औचित्य
CHANDIGARH: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी द्वारा आंदोलनरत किसानों से बातचीत के लिए बनाई गई 3 सांसदों वाली कमेटी पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि तीन अध्यादेश पर चर्चा के लिए बनाई गई कमेटी का मक़सद सिर्फ किसानों को गुमराह करना है। इस कमेटी के पास ना कोई संवैधानिक शक्ति है और ना ही कोई राजनीतिक इच्छा शक्ति। अगर इसके पास कोई शक्ति है तो उसे सबसे पहले किसानों पर लाठी चलाने और चलवाने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए। कमेटी को फौरन किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस लेने चाहिए। एक तरफ सरकार किसानों को मुक़दमों का डर दिखाकर दबाने में लगी है तो वहीं दूसरी तरफ बातचीत का ड्रामा कर रही है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूछा कि जब सीएम या कृषि मंत्री इन तीन अध्यादेशों में किसी तरह का बदलाव करने को ही तैयार नहीं और बयान देकर किसान हितैषी बता चुके है तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा बनाई गई कमेटी की सुनवाई कौन करेगा? क्या खानापूर्ति के लिए बनाई गई इस कमेटी की सिफारिश पर केंद्र सरकार अपना फ़ैसला बदल लेगी? विधानसभा में कोरोना की आड़ लेकर सरकार बिल पर चर्चा से क्यों भाग गई? आने वाले सत्र में कांग्रेस एमएसपी की गारंटी वाला प्राइवेट मेंबर बिल विधानसभा में लेकर आएगी तो क्या बीजेपी उसका समर्थन करेगी? अगर बीजेपी ऐसा नहीं करती है तो क्या पंजाब की तर्ज पर इन तीनों अध्यादेशों को खारिज किया जाएगा?
हुड्डा ने कहा कि बीजेपी किसानों के साथ बातचीत को लेकर गंभीर होती तो वो 3 अध्यादेश लाने से पहले उनसे सलाह मशविरा करती। अगर सरकार किसानों की मांग मानने के लिए गंभीर होती तो वो अध्यादेशों को किसानों पर थोपने के बजाय इसमें MSP की गारंटी का प्रावधान ज़रूर जोड़ती। बीजेपी के अपने वादे के मुताबिक़ अपने फ़ैसलों में स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत MSP की गारंटी का प्रावधान जोड़ना चाहिए। इसके लिए अलग से अध्यादेश या क़ानून लाने की ज़रूरत पड़े तो उसको लाना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये कमेटी असली मुद्दों से ध्यान भटकाकर किसानों की एकता को तोड़ने की कोशिश में लगी है। जो किसान संगठन इन अध्यादेशों के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं, उनकी बजाए कमेटी के नेता अपने चहेते संगठनों से मुलाक़ात करके बातचीत का नाटक कर रहे हैं। कमेटी की तरफ से किसानों को आधी अधूरी जानकारी देकर गुमराह किया जा रहा है। लेकिन प्रदेश का किसान अब जाग चुका है। ना उसे बांटा जा सकता और ना ही गुमराह किया जा सकता।