हुड्डा ने सरकार पर लगाया निजीकरण और बेरोज़गारी को बढ़ावा देने का आरोप 

कहा- रोडवेज, बिजली और पर्यटन समेत तमाम महकमों को पूरी तरह प्राइवेट हाथों सौंपना चाहती है सरकार

सरपंचों की बजाए विधायकों और सांसदों पर पहले लागू किया जाए ‘राइट टू रिकॉल’

अगर विधायकों पर लागू हुआ ‘राइट टू रिकॉल’ तो एक ही साल में गिर जाएगी ये सरकार 

CHANDIGARH: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश सरकार पर निजीकरण और बेरोज़गारी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। हुड्डा का कहना है कि सरकार एक-एक करके तमाम महकमों को निजी हाथों में सौंप रही है। रोडवेज और बिजली महकमे के बाद अब पर्यटन विभाग का भी निजीकरण किया जा रहा है। हरियाणा की धरोहर माने जाने वाले पर्यटन विभाग के होटल्स को सरकार निजी हाथों सौंप रही है, जिसका हम विरोध करते हैं। इतना ही नहीं सरकार की तरफ से अलग-अलग महकमों से कर्मचारियों की छंटनी भी की जा रही है। रोज़गार देने के बजाय सरकार रोज़गार छीनने में लगी है। 

नौकरी से निकाले गए 1983 पीटीआई के मसले पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दोहराया कि कांग्रेस इनका रोज़गार बचाने के लिए विधानसभा में प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आएगी। इसबार के सत्र में सरकार ने पीटीआई मसले पर स्थगन प्रस्ताव को मंज़ूर नहीं किया क्योंकि कोरोना की वजह से सत्र को महज़ औपचारिकता में बदल दिया गया था। लेकिन जैसे ही अगली बार सदन बैठेगी तो इस मसले को ज़ोर शोर से उठाया जाएगा। अगर ये सरकार पीटीआई को वापिस नौकरी पर नहीं रखती है तो कांग्रेस सरकार बनते ही इन्हें वापस नौकरी दी जाएगी। इससे पहले भी हमारी सरकार के दौरान एमआईटीसी के 4 हज़ार कर्मचारियों समेत उससे पिछली सरकार के निकाले गए कई कर्मचारियों को विधायी शक्तियों का इस्तेमाल करके नौकरी पर रखा था। ज़रूरत पड़ी तो पीटीआई के लिए भी ऐसा किया जाएगा। 

पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए नेता प्रतिपक्ष ने सरपंचों के लिए सरकार द्वारा लाए जाने वाले ‘राइट टू रिकॉल’ बिल पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि ‘राइट टू रिकॉल’ पहले विधायकों और सांसदों पर लागू होना चाहिए। अगर इसे सिर्फ सरपंचों पर लागू किया जाएगा तो इसका गांवों के भाईचारे पर बुरा असर पड़ेगा। सरपंच चुनावों में होने वाली रंजिशों में बढ़ोत्तरी होगी। लेकिन अगर ये सरकार ‘राइट टू रिकॉल’ की इतनी ही हिमायती है तो इसे पहले विधायकों पर लागू करे। क्योंकि इस सरकार का भी 1 साल पूरा होने वाला है। अगर ऐसा होता है तो इस सरकार का कार्यकाल एक ही साल में पूरा हो जाएगा और जनता इसके विधायकों के ख़िलाफ़ सबसे पहले इसका इस्तेमाल करेगी। 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर 3 नए कृषि अध्यादेशों को किसान विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि इनका मक़सद मंडी व्यवस्था और MSP को ख़त्म करना है। अगर ये अध्यादेश बिना MSP (स्वामीनाथन रिपोर्ट सी2 फार्मूले के तरह) लागू होते हैं तो किसान अपनी ही ज़मीन पर एक नौकर बनकर रह जायेगा और बड़ी-बड़ी कंपनियां उसे अपना मोहताज बना लेंगी। ये सरकार लगातार किसानों को फसलों का रेट देने से बच रही है। आज मंडियों में किसान को उसकी धान का रेट नहीं मिल रहा। 1850 रुपये MSP की धान को सिर्फ 1100-1200 रुपये में ख़रीदा जा रहा है और दूसरे राज्यों से सस्ता चावल ख़रीदकर घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है।

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