ANews Office: दीवाली के पंचपर्व का पांचवां दिन यम द्वितीया और भाई दूज कहलाता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है। इस बार भाई दूज का पर्व 16 नवम्बर सोमवार को मनाया जाएगा। रक्षा बंधन पर बहनें भ्राताश्री के यहां राखी बांधने जाती हैं, जबकि भाई दूज पर भ्राता बहन के घर तिलक करवाने जाते हैं। भारतीय परंपरा के इन पर्वों पर एक-दूसरे का कुशल क्षेम पूछने दुख-सुख बांटने का यह सुअवसर है, जिसे आज की दौड़-भाग की जिंदगी में और मोबाइल कल्चर में समय निकाल कर अवश्य मनाना और निभाना चाहिए। इससे आपसी प्रेम बढ़ता है, गिले-शिकवे दूर होते हैं। बहन के ससुराल में यदि कोई समस्या चल रही है तो भाई के उसके घर जाने से एक दबाव और प्रभाव भी बना रहता है। यदि सगा भाई न हो तो कजन-रिश्ते का कोई भी भाई इस जिम्मेदारी को निभा सकता है।
तिलक का शुभ मुहूर्त-दोपहर 13.10 से 15.30 तक (लगभग 2 घंटे का समय) रहेगा।
भाई दूज या यम द्वितीया पर क्या करें?
- भ्राताश्री को पूर्व की ओर मुख करके बैठाएं। तिलक के लिए थाल में कुमकुम, रोली, अक्षत-साबुत चावल, घी का दीपक, फल या मिठाई रखें।
- भाई की आरती उतारें, तिलक करें। दीर्घायु के लिए पूजा-अर्चना, प्रार्थना करें।
- भाई बहन के यहां जाए और तिलक कराए। भ्राताश्री बहन के यहां ही भोजन करें। इस परंपरा से आपसी सौहार्द बढ़ता हैै। आपसी विवादों तथा वैमनस्य में कमी आती है। भाई कोई शगुन, आभूषण या गिफ्ट बदले में दें। बहन भी भाई को मिठाई और एक खोपा देकर विदा करें।
स्नेह का प्रतीक
भाई दूज पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है। भाई दूज या भैया दूज पर्व को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाने वाला पर्व है। इस मौके पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट करता है। भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन भी होता है। मान्यता है कि इसी दिन यम देव अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन करने आए थे। भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक व भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा यम पूजन भी दोपहर के बाद किया जाना चाहिए।
भाई दूज से जुड़ीं पौराणिक कथाएं
हिंदू धर्म में जितने भी पर्व और त्यौहार होते हैं, उनसे कहीं न कहीं पौराणिक मान्यता और कथाएं जुड़ी होती हैं। ठीक इसी तरह भाई दूज से भी कुछ पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। ये प्राचीन कथाएं इस पर्व के महत्व को और बढ़ाती हैं।
यम और यमि की कथा
पुरातन मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा की शुरुआत हुई। सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे। यमुना के अनेक बार बुलाने पर एक दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे। इस मौके पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। इसके बाद जब यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा तो यमुना ने कहा कि आप हर वर्ष इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी, उसे तुम्हारा भय नहीं होगा। बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई। इस दिन यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है, क्योंकि कहा जाता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं, उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।
भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और अनेक दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी। इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में भाई दूज पर्व
देश के विभिन्न इलाकों में भाई दूज पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। दरअसल, भारत में क्षेत्रीय विविधता और संस्कृति की वजह से त्यौहारों के नाम थोड़े परिवर्तित हो जाते हैं। हालांकि भाव और महत्व एक ही होता है।
- पश्चिम बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा पर्व के नाम से जाना जाता है। इस दिन बहनें व्रत रखती हैं और भाई का तिलक करने के बाद भोजन करती हैं। तिलक के बाद भाई भेंट स्वरूप बहन को उपहार देता है।
- महाराष्ट्र और गोवा में भाई दूज को भाऊ बीज के नाम से मनाया जाता है। मराठी में भाऊ का अर्थ है भाई। इस मौके पर बहनें तिलक लगाकर भाई के खुशहाल जीवन की कामना करती हैं।
- यूपी में भाई दूज के मौके पर बहनें भाई का तिलक कर उन्हें आब और शक्कर के बताशे देती हैं। उत्तर प्रदेश में भाई दूज पर आब और सूखा नरियल देने की परंपरा है। आब देने की परंपरा हर घर में प्रचलित है।
- बिहार में भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। दरअसल, इस दिन बहनें भाइयों को डांटती हैं और उन्हें भला-बुरा कहती हैं और फिर उनसे माफी मांगती हैं। दरअसल, यह परंपरा भाइयों द्वारा पहले की गई गलतियों के चलते निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं।
- नेपाल में भाई दूज पर्व भाई तिहार के नाम से लोकप्रिय है। तिहार का मतलब तिलक या टीका होता है। इसके अलावा भाई दूज को भाई टीका के नाम से भी मनाया जाता है। नेपाल में इस दिन बहनें भाइयों के माथे पर सात रंग से बना तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु व सुख, समृद्धि की कामना करती हैं।
मदन गुप्ता सपाटू, 458, सैक्टर-10, पंचकूला, फोन-9815619620
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