विदुषी मीता पंडित और डाॅ. अविनाश कुमार के शास्त्रीय गायन से मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

इंडियन नेशनल थिएटर ने ‘वर्षा ऋतु संगीत संध्या’ कार्यक्रम का किया आयोजन

CHANDIGARH, 10 AUGUST: इंडियन नेशनल थिएटर द्वारा दुर्गादास फाउंडेशन के सहयोग से शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम ‘वर्षा ऋतु संगीत संध्या’ का आयोजन सेक्टर-26 स्थित स्ट्रॉबेरी फील्ड हाईस्कूल के सभागार में किया गया, जिसका उद्देश्य वर्षा के आगमन को हर्षोल्लास के साथ मनाना था। इस बार इंडियन नेशनल थिएटर के संरक्षक रहे स्वर्गीय नवजीवन खोसला के जन्म तिथि पर उनको भावपूर्ण श्रद्धांजलि देना भी कार्यक्रम का उद्देश्य था।

डॉ. अविनाश कुमार ने अपने गायन की शुरुआत प्राचीन राग मेघ से की जो कि वर्षा ऋतु का एक महत्वपूर्ण राग है, जिसमें उन्होंने विलम्बित झपताल में निबद्ध बंदिश ‘गरजे घटा घन कारे कारे’ से की प्रस्तुति दी। मल्हार अंग के इस राग में उन्होंने किराना घराने की तर्ज पर सुर दर सुर बढत की। इसके पश्चात उन्होंने द्रुत तीन ताल में निबद्ध ‘घन घनन घनन घन घोर’ प्रस्तुत किया। जिसमें द्रुत गति की इनकी तानों में बादलों के गर्जन का आभास कराया। उन्होंने वर्षा ऋतु का एक प्रचलित राग देश प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने मध्यलय तीनताल में मेघा रे बंदिश श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने द्रुत एकताल में ‘बीती जात बरखा ऋतु’ में अति द्रुत तानों से श्रोताओं का मन मोह लिया।

डॉ. अविनाश कुमार युवा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक हैं। उन्होंने श्रीमती साधना चटर्जी और श्री पूर्णचंद्र चटर्जी से शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया। बाद में रामपुर सहसवान घराने के उस्ताद आफताब अहमद खान से उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने आगरा और किराना घराने के पंडित तुषार दत्त और किराना घराने के पंडित सोमनाथ मर्दुर से संगीत का भी प्रशिक्षण लिया।

विदुषी मीता पंडित ने अपने गायन की शुरुआत राग सूरदासी मल्हार से की जिसमें उन्होंने पारपरिक बंदिश ‘गरजत आये री बदरवा’ गायन प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में श्रोताओं को अष्टांग गायकी का अनूठा संगम देखने को मिला। इसके बाद उन्होंने ’बादरवा बरसन को आये’ और ‘बूंदनीया बरसे’ गायन को श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत कर खूब प्रशंसा बटोरी। जिसके पश्चात उन्होंने अति द्रुत लय में एकताल में निबद्ध तराना सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पश्चात उन्होंने राग गौड मल्हार में तीनताल में निबद्ध ‘सैंया मोरा रे’ तथा ‘झुक आयी बदरिया सावन की’ श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपना गायन का समापन एक अत्यंत सुंदर कजरी से किया।

विदुषी मीता पंडित हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक अग्रणी और लोकप्रिय गायिका हैं। उन्होंने भारत और 25 से अधिक देशों में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया सूफी, ठुमरी, भक्ति और सुगम शैलियों में उनकी प्रस्तुति समान रूप से भावपूर्ण है। विदुषी मीता पंडित ग्वालियर घराने से ताल्लुक रखती हैं। वे पद्म भूषण पं. कृष्णराव शंकर पंडित की पोती हैं, जो कि 20वीं सदी में उत्तर भारत में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के पुरोधा रहे। विदुषी मीता, पं. लक्ष्मण कृष्णराव पंडित की बेटी हैं, जिनसे उन्होंने अपने दादा के पश्चात संगीत विद्या प्राप्त की।

कार्यक्रम के दौरान विदुषी मीता पंडित तथा डॉ. अविनाश कुमार के साथ हारमोनियम पर तरुण जोशी तथा तबले पर सुप्रसिद्ध तबला नवाज पंडित राम कुमार मिश्रा ने बखूबी संगत की। ‘वर्षा ऋतु संगीत संध्या’ कार्यक्रम में संगीत प्रेमी श्रोताओं का प्रवेश निःशुल्क रखा गया था। कार्यक्रम का संचालन डीपीएस स्कूल की छात्रा उस्तत बल ने किया।

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