टी -20 विश्व कप में क्रिकेट प्रेमियों के साथ-साथ क्रिकेटर्स को भी भा रहा है खूब
CHANDIGARH: दुबई में टी -20 विश्व कप शुरू हो गया है और इधर क्रिकेट की दुनिया में आजकल स्टार स्पोर्ट्स द्वारा रिकॉर्ड चीयर-अप सांग मौका-मौका सॉन्ग ने खूब धमाल मचा रखा है। चण्डीगढ़ से जुड़े गायक आलमगीर खान की मखमली आवाज़ में ये गाना क्रिकेट प्रेमियों के साथ-साथ क्रिकेटर्स के दिलो-दिमाग में गूँज रहा है।सिंगर आलमगीर खान के मुताबिक 2015 में पिछले टी -20 विश्व कप में उनके द्वारा पहली बार गाए गए इस सॉन्ग को आम जनता का बढ़िया प्रतिसाद मिला और अब छह साल के अंतराल के बाद हो रहे टी-20 विश्व कप के लिए फिर से इस सॉन्ग को रिप्रेजेंट किया है और मुझे ख़ुशी है कि जब भी क्रिकेट की बात होती है तो उनके इस सॉन्ग की बात जरूर होती है।
आलमगीर खां का नाम अब किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। छोटी उम्र में ही उसने बॉलीवुड की कई हिट फिल्मों में अपनी बुलंद आवाज देकर एक अलग पहचान बनाई है। पटियाला जिले में जन्में और पले-बढ़े आलमगीर का बॉलीवुड तक का सफर भी काफी रोमांचक रहा है। आलमगीर के मुताबिक उन्होंने दादा कर्मदीन व् पिता मुरली खां से म्यूजिक की शिक्षा हासिल की। इसके बाद चण्डीगढ़ कला ग्राम से संगीत का सफर शुरू किया। उन्होंने बताया कि उनके पिता बेशक पुलिस में थे, परंतु वे संगीत में इतने निपुण हैं कि उन्होंने अपने बेटे को इस मुकाम तक पहुंचा दिया। बॉलीवुड में जाने की इच्छा थी, इसलिए वह मुंबई गए तो वहां किस्मत ने उसका साथ दिया और ख्याली सहारण ने उन्हें रेशमिया की कंपनी के सीईओ एंडी सिंह से मिलवाया तब उनकी मुलाकात हिमेश रेशमिया से हुई जिन्होंने उन्हें सलमान खान की फिल्म बॉडीगार्ड में अपनी आवाज देने का पहला ब्रेक दिया। बॉडीगार्ड में देसी बीट सॉंग से उन्हें एक अलग पहचान मिली और तत्पश्चात उन्होंने एक के बाद एक कई हिंदी फिल्मों में अनेक हिट गीत गाए। इनमें मनमर्जीयाँ, यमला पगला दीवाना, एक्शन जेक्शन, एक पहेली लीला, शादी के साइड इफ़ेक्टस, बॉडीवार्ड सहित खिलाड़ी 786, मेरे डैड की मारुति आदि फिल्मों में आवाज देकर नाम कमाया। आलमगीर ने बताया कि इनके आदर्श गायक कलाकारों में उस्ताद जनाब मरहूम नुसरत फतेह अली खां साहिब, गुलाम अली खां साहिब, उस्ताद जनाम ईदू शरीफ, सुखविन्द्र सिंह, कविता कृष्णामूर्ति और आशा भौंसले आदि शामिल हैं।