ज्योतिषीय दृष्टि से चार अबूझ व स्वयंसिद्ध मुहूर्त हैं, जिसमें किया गया कोई भी कार्य चिर स्थाई एवं शुभ माना जाता है। ये हैं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया, दशहरा तथा दीवाली। अक्षय का अर्थ है, जिसका क्षय न हो। यह तिथि भगवान परशुराम जी का जन्मदिन होने के कारण परशुराम तिथि और चिरंजीवी तिथि भी कहलाती है। त्रेता युग का आरंभ भी इसी तिथि से माना गया है, अत: इसे युगादितिथि भी कहा गया है। इस दिन किए गए कार्यों का अक्षय फल मिलता है। भगवान परशुराम जी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था। ब्रहमा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन माना जाता है। यह एक सर्वसिद्ध मुहूर्त माना जाता है, जिस दिन पंचाग देखे बगैर कोई भी मांगलिक शुभ कार्य किया जा सकता है। नए व्यवसाय या नई संस्था की नींव रखी जा सकती है परंतु देश काल परिस्थिति के अनुसार किसी भी पर्व, त्योहार या धार्मिक अनुष्ठान को मनाना ही तर्क संगत होता है। अत: अन्य त्योहारों व उत्सवों की तरह अक्षय तृतीया को भी सीमित दायरे में मनाने में ही समझदारी है।
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त
- तृतीया तिथि का आरंभ: 14 मई 2021 को प्रात: 05 बजकर 38 मिनट से।
- तृतीया तिथि का समापन: 15 मई 2021 को प्रात: 07 बजकर 59 मिनट तक।
- अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त: प्रात: 05 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक।
- अवधि: 6 घंटा 40 मिनट।
कोरोना महामारी के कारण घर में पूजा करें और मां लक्ष्मी का ध्यान करें। महामारी के इस समय में इस दिन किसी मदद चाहने वाले व्यक्ति को दान करना बहुत पुण्य फलदायी रहेगा।
सनातन धर्म शाश्वत है और बहुत लचीला है। अत: देश, काल, परिस्थितियों एवं समय की आवश्यकतानुसार बदला जाता रहा है। वर्तमान संदर्भ में कोरानाकाल के सभी नियमों का पालन करते हुए पाठ-पूजा घर में ही करें। अक्षय तृतीया पर दान का भी बहुत महत्व है और आज परंपरागत दान की वस्तुएं बदल गई हैं। आप जरूरतमंदों को दवाइयां, वैक्सीन, आक्सीजन, पीपीई किट, मास्क, सैनेटाइजर, कोरोना पीडि़त परिवारों को फूड पैकेट, श्मशान में लकडिय़ां आदि भी दे सकते हैं।
अक्षय तृतीया पर करें सुख-समृद्धि के उपाय
यदि अक्षय तृतीया पर बैंक में नया खाता खेाला जाए या पुराने खाते में धन जमा कराया जाए तो धन में निरंतर वृद्धि होती है। इस दिन किया गया कोई भी नया निवेश कई गुणा बढ़ जाता है। आप नई बीमा पालिसी,म्युचुअल फंड, सोने आदि में पहले दिन धन लगा सकते हैं। इसके अलावा बैंक या घर के लाकर में लाल या पीले कपड़े में 12 साबुत बादाम बांधकर रख दिए जाएं तो भी आभूषणों में वृद्धि होती रहती है और उसमें कभी कमी नहीं आती। यह काफी समय से प्रमाणित प्रयोग हैं, जो भारतीय परंपर, आस्था एवं ज्योतिष का एक भाग हैं। इस दिन लोन एकाउंट में पैसा लौटाएं और किसी को उधार न दें, न किसी से लें। फिर देखिए, आपके यहां बरकत कैसे नहीं होती!
अक्षय तृतीया के दिन क्यों खरीदते हैं सोना ?
ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर हम भौतिक संसाधन जुटाएं तो वो हमारे जीवन में हमेशा बने रहते हैं। ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन नया काम शुरू करने, भौतिक संसाधनों जैसे बर्तन, सोना, चांदी जैसी अन्य कीमती वस्तुओं की खरीदारी करना शुभ माना गया है। साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन खरीदा गया सोना आने वाली पीढिय़ों के साथ बढ़ता चला जाता है। अक्षय तृतीया के दिन सूरज की किरणों में काफी तेज होता है। सूर्य का संबंध सोने के चलते इस दिन सोना खरीदना शक्ति और ताकत का प्रतीक माना जाता है लेकिन इस दिन अगर आप सोना नहीं खरीद पाते हैं तो दान-पुण्य करके जीवन में आने वाली परेशानियां दूर कर सकते हैं। इस बार अक्षय तृतीया के दिन कई स्थानों पर कोरोना कफ्र्यू है। कोरोना पीक पर है, इसलिए घर से बाहर न निकलकर आप ऑनलाइन खरीददारी कर सकते हैं। गुरु की ग्रह चाल यह भी इशारा कर रही है कि साल के अंत तक सोने के भाव नई ऊंचाई छू सकते हैं।
क्यों है अक्षय तृतीया इस बार अधिक प्रभावशाली ?
इस बार अक्षय तृतीया पर ग्रहों का ऐसा संयोग बना है, जो इस दिन को और शुभ व प्रभावशाली बना रहा है। सूर्य इस दिन मेष राशि से वृष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के राशि परिवर्तन से इस दिन वृष राशि में सूर्य बुध के संयोग से बुधादित्य योग बनेगा। इस दिन शुक्र स्वराशि वृष में रहेंगे। इस पर शुभ संयोग यह भी बना है कि इस दिन चंद्रमा उच्च राशि होंगे। अक्षय तृतीया पर चंद्रमा का शुक्र के साथ शुक्रवार को वृष राशि में गोचर करना, धन, समृद्धि और निवेश के लिए बहुत ही शुभ फलदायी है। अक्षय तृतीया पर चंद्रमा संध्याकाल में मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। मिथुन राशि में इस समय मंगल का संचार हो रहा है। ऐसे में चंद्रमा के मिथुन राशि में आने से यहां धन योग का निर्माण होगा। ग्रहों की इस शुभ स्थिति में अबकी बार अक्षय तृतीया पर स्थायी संपत्ति जैसे जमीन, मकान की खरीदारी करना शुभ फलदायी होगा। इस दिन आप नए कारोबार और काम का आरंभ कर सकते हैं। जो लोग धन का निवेश या पुण्य का निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए भी दिन उत्तम है। पुण्य का निवेश से मतलब है कि जो लोग पुण्य फल पाना चाहते हैं, जिससे अनेक जन्मों में उन्हें धन-ऐश्वर्य मिले, उनके लिए भी इस दिन दान करना अनंत गुणा फलदायी होगा।
अक्षय तृतीया पर दान-पुण्य
इस बार ग्रहों के संयोग को देखते हुए अक्षय तृतीया के अवसर पर जल से भरा हुआ घड़ा, शक्कर, गुड़, बर्फी, सफेद वस्त्र, नमक, शरबत, चावल, चांदी का दान करना बेहद शुभ फलदायी रहेगा। अक्षय तृतीया के दिन धार्मिक पुस्तकों और फलों का दान भी पुण्य की वृद्धि करने वाला होगा।
क्या-क्या करें ?
यह अबूझ मुहूर्त सगाई एवं विवाह के लिए सर्वोत्तम है। इसके अतिरिक्त दीर्घकालीन निवेश जैसे प्लाट, फ्लैट, स्थाई प्रापर्टी, बीमा पालिसी, शेयर, म्युचल फंड, आभूषण, सोना, चांदी, वाहन क्रय, नौकरी के लिए आवेदन, नया व्यवसाय आरंभ, मकान की नींव आदि, भवन क्रय के लिए एग्रीमेंट, विदेश यात्रा, नया व्यापार आरंभ आदि के लिए चिरंजीवी दिन है। शुक्र ग्रह सुख-सुविधा एवं ऐश्वर्य का प्रतीक है। इस दिन गृह उपयोगी सामान भी खरीदा जा सकता है। विलासिता, श्रृंगार, भवन के नवीनीकरण से संबंधित वस्तुएं घर में लाना शुभ माना गया है। वाहन का क्रय बिना कोई मुहूर्त देखे अक्षय तृतीया पर किया जा सकता है।
अक्षय तृतीया पर कैसे करें पूजा ?
दीवाली की तरह इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्व है। आर्थिक सुख-समृद्धि एवं धन की आवश्यकता आज मजदूर से लेकर मंत्री तक सबको है। यदि आप इस दिन लक्ष्मी जी का पूजन करना चाहें तो इस अवधि में बहुत ही साधारण विधि से कर सकते हैं। महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि व धनागमन हेतु व्रत रख सकती हैं। इस दिन लक्ष्मी जी की आराधना का सर्वाधिक महत्व है। प्रात: स्नान करके पुरुष सफेद तथा महिलाएं लाल वस्त्र पहन कर लक्ष्मी जी के चित्र या मूर्ति के आगे बैठकर इन मंत्रों में से किसी एक या सभी की एक-एक माला कर सकते हैं। कमल गट्टे या स्फटिक की ही माला का प्रयोग करें।
- ओम् श्रीं श्रियै नम:
- हृीं ऐश्वर्य श्रीं धन धान्याधिपत्यै ऐं पूर्णत्व लक्ष्मी सिद्धयै नम:
- ओम् नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं चिन्ता दूरं करोति स्वाहा
पूजन के बाद खीर का प्रसाद अवश्य बांटना चाहिए।
पूजा के लिए संक्षिप्त व साधारण विधि
सामग्री: थाली, हकीक- 9, गोमती चक्र-9, लग्न मंडप सुपारी-9, लघु नारियल-9, गुलाब या कमल के फूल-3, चावल-सवा किलो, लाल या सफेद कपड़ा-सवा मीटर, मोतीशंख, भोज पत्र या चांदी पर खुदा हुआ अक्षय यंत्र, रोली, मौली, स्फटिक की माला, दक्षिणा, वस्त्र, आर्थिक उन्नति तथा अन्य समस्याओं के लिए अक्षय तृतीया पर यह उपाय करें।
विधि: प्रात:काल स्नान आदि करके पूजा स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठें। थाली में रोली से अष्ट दल बनाकर मोतीशंख मध्य में रखें। यह मंत्र 11 या 108 बार पढ़ते हुए, ओम श्रीं ह्रीं दारिद्रये विनाशिनये धन धान्य समृद्धि देही देही नम: सवा किलो साबुत चावल शंख पर चढ़ाते जाएं। कुछ चावल शंख में भरें, लाल कपड़े में बांधें। शेष चावल की खीर बनाकर बांट दें। शंख को तिजोरी या पूजा स्थान पर रखें।
विशेष समस्या निवारण हेतु मंत्र पढ़ सकते हैं
- ओम हृ्ीं क्रीं श्रीं श्रिये नम:
- मम लक्ष्मी मामृनीतीर्ण कुरु कुरु सम्पद: वृद्धिकरोति नम:
- ओम् श्रीं श्रियेै नम:
- हृीं ऐश्वर्य श्रीं धन धान्याधिपत्यै
- ऐं पूर्णत्व लक्ष्मी सिद्धयै नम:
सवा मीटर लाल या सफेद कपड़ा लें। फोल्ड करके बिछा लें। 108 बार मंत्र पढ़ते हुए अक्षत डालते जाएं। उपरोक्त सामग्री एक-एक करके इस कपड़े पर रखें। तांबे/चांदी पर खुदा यन्त्र भी रखें। मन्त्र समाप्ति पर यन्त्र निकालकर बाहर रख लें।कपड़े में सारी सामग्री बांधकर 3 गांठें लगाएं। तीन बार सिर से घुमाएं। इसे दक्षिणा एवं वस्त्र सहित किसी मंदिर में दे दें अथवा केवल गठड़ी प्रवाहित कर दें और वस्त्र व दक्षिणा किसी जरुरतमंद को दे दें। यन्त्र को प्रवेश द्वार पर लगाएं या घर के पूजा स्थान पर रखें।
प्रार्थना करें: विवाह शीघ्र हो, आर्थिक समस्या दूर हो। असाध्य रोग दूर हों। ऋण मुक्ति जल्दी हो। सुख-समृद्धि हो। गृह क्लेश समाप्त हो।
- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषाचार्य, 196, सैक्टर 20-ए, चंडीगढ़। फोन: 098156-19620