CHANDIGARH: देश के शीर्ष संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) से संबद्ध ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन (AIJGF) ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल से आज आग्रह किया कि देशभर में ज्वैलर्स के पास रखे पुराने स्टॉक पर हॉलमार्क प्राप्त करने की अंतिम तारीख 31 अगस्त 2021 को बढ़ाकर 31 अगस्त 2022 की जाए, जिससे देशभर के ज्वैलर्स उनके पास रखे हुए पुराने स्टॉक पर सरकार के निर्देशानुसार हॉलमार्क लगवा सकें। AIJGF ने कहा है कि देश में ज्वैलर्स की बड़ी संख्या, हॉलमार्किंग केंद्रों की सीमित संख्या और पुराने स्टॉक की प्रत्येक वस्तु पर हॉलमार्क प्राप्त करने के मद्देनजर इस तारीख को बढ़ाना बेहद जरूरी हैं। AIJGF ने यह भी कहा है कि ज्वैलरी पर हॉलमार्क प्रथम बिंदु अर्थात जब ज्वैलरी बनती है, तभी लगना अनिवार्य करना चाहिए, जिससे देश में कोई भी ज्वैलरी उत्पाद बिना हॉलमार्किंग के बिक नहीं सके।
AIJGF ने कहा है कि देशभर के ज्वैलर्स सरकार द्वारा अनिवार्य करने के बाद हॉलमार्क लगी ज्वैलरी को ही बेचने के लिए अधिक इच्छुक हैं। फिर भी इतने कम समय में हॉलमार्क प्राप्त करना संभव नहीं है। इसलिए, AIJGF ने इस तारीख को बढ़ाने का आग्रह किया है। देश में लगभग 4 लाख जौहरी हैं, जिनमें से लगभग 85% छोटे जौहरी हैं, जो गांवों से लेकर महानगरों तक के सोने के गहनों की आम आदमी की ज़रूरतों को पूरा करते हैं और इसलिए इतनी बड़ी संख्या में छोटे ज्वेलर्स को केंद्र में रखकर सरकार द्वारा नीतियां बनाना ज़रूरी है, जिससे देश के आम उपभोक्ता को विश्वसनीय ज्वैलरी मिल सके।
AIJGF के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा एवं कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAT) के चंडीगढ़ चैप्टर के अध्यक्ष हरीश गर्ग, महासचिव भीम सेन व प्रेम कौशिक, उपाध्यक्ष हरिशंकर मिश्रा ने पीयूष गोयल को भेजे एक पत्र में कहा है कि देशभर के ज्वैलर्स केंद्र सरकार के निर्देश पर भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करने के लिए सरकार के साथ एकजुटता से खड़े हैं। उन्होंने पीयूष गोयल के छोटे ज्वैलर्स के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण की सराहना की, जिन्होंने देश के दूर-दराज इलाके के भी ज्वैलरी व्यापारियों की वास्तविक समस्याओं को समझा और पूरे भारत के आभूषण उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ उचित परामर्श करते हुए देश के छोटे जौहरियों को बहुत राहत दी। हालांकि कुछ व्यावहारिक शुरुआती मुद्दे मौजूद हैं, जिनका स्पष्टीकरण किया जाना बेहद आवश्यक है।
हरीश गर्ग ने कहा कि देश में करीब 933 हॉलमार्क सेंटर हैं और करीब 65 हजार ज्वैलर्स का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। यदि सभी हॉलमार्क केंद्र पूरे जोरों पर काम करते हैं तो पंजीकृत ज्वैलर्स की कुल संख्या केवल 150 पीस पर ही प्रति ज्वैलर हॉलमार्क लगवा पाएगी, जबकि देशभर में ज्वैलर्स के पास बड़ी संख्या में पुराना स्टॉक उपलब्ध है और पुराने स्टॉक की हर एक वस्तु को हॉलमार्क कराना आवश्यक है। सरकार के आदेश के अनुसार हालमार्क लेने के लिए वर्तमान बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है और इसलिए तारीख को एक वर्ष तक बढ़ाया जाना जरूरी है। गर्ग ने पीयूष गोयल से हॉलमार्क केंद्रों की स्थापना के लिए अब तक किए गए 366 आवेदनों को स्वीकृत करने में तेजी लाने की भी अपील की और कहा है कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर देश में अधिक से अधिक हॉलमार्क केंद्र स्थापित करने की योजना बननी चाहिए।
हरीश गर्ग ने बिना अग्नि जांच के हॉलमार्क वाले अनुकूलित गहनों पर हालमार्क को प्राप्त करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी करने का तर्क देते हुए कहा कि सप्लाई श्रृंखला में पहले जौहरी के ही स्तर पर HUID रिकॉर्ड रखना ही ज़रूरी हो। खुदरा व्यापारियों व हॉलमार्किंग की प्रक्रिया के बाद श्रेणियों में इसका कहीं भी रिकॉर्ड रखने की बाध्यता न हो। उन्होंने कहा कि भारत के बड़ी संख्या में ग्राहक की मांग पर जेवर में बदलाव की आवश्यकता होती है। इसलिए आभूषण विक्रेताओं को आभूषणों के बदलाव पर कोई सीमा निर्धारित किए बिना बदलाव करने की अनुमति दी जानी चाहिए, हालांकि बिल में मूल वजन का HUID के साथ उल्लेख अनिवार्य किया जा सकता है। वर्तमान में गहनों में परिवर्तन की सीमा 2 ग्राम तक है, जो कि काफी नगण्य है।
AIJGF ने यह भी कहा कि पूरे भारत में BIS कार्यालयों को सभी सक्रिय लाइसेंसों को संबंधित ई-मेल से जोड़ने के लिए सरकार को सभी BIS कार्यालयों को निर्देश देना चाहिए। इस हेतु अधिकारी व्यापारियों को सहयोग नहीं कर रहे हैं। पूर्व की व्यवस्था में BIS पंजीकरण करने की एक मैनुअल प्रक्रिया थी और व्यापारियों के ईमेल लिंक न होने से वो पोर्टल का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।
हरीश गर्ग ने कहा कि हॉलमार्किंग योजना की सफलता काफी हद तक हॉलमार्क केंद्रों के कामकाज पर निर्भर करती है। हॉलमार्किंग को बढ़ाने के लिए BIS के निजी उद्यमियों द्वारा स्थापित हॉलमार्क केंद्रों को भी मान्यता दी जाए, जिनका समय-समय पर BIS द्वारा उनके प्रदर्शन के लिए मूल्यांकन किया जाता है। सोने और सोने के गहनों की शुद्धता या सुंदरता आईएस 1417 में निर्दिष्ट है। उन्होंने कहा कि सोने को जोड़ने के लिए कैडमियम के उपयोग की अनुमति दी जानी चाहिए। क्योंकि पश्चिमी देशों के कास्टिंग के जेवर के विपरीत भारतीय शिल्प बगैर जोड़े हुए बनाना असम्भव है। हालांकि इस धातु को स्वर्ण में मिलाने पर प्रतिबंध होना चाहिए, केवल टांके हेतु प्रयोग अनुमन्य होने से जेवर की शुद्धता भी बनी रहेगी।
गर्ग का कहना है कि हॉलमार्किंग की तेज प्रक्रिया के लिए BIS को एचयूआईडी को लागू करने के लिए अपने सिस्टम में सुधार करना चाहिए क्योंकि सर्वर क्षमता ज्यादातर समय सिस्टम को सपोर्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं होती है। क्योंकि यह हैंग हो जाता है और पुराने स्टॉक हॉलमार्किंग की प्रक्रिया बहुत धीमी गति से की जा रही है, जिसमें अधिक समय लग सकता है।
कैट ने यह भी मांग की कि सरकार सोने के आयात को 50 या 100 ग्राम के गुणक में आयात करे व सभी बैंकों को बाध्य करे कि छोटे ज्वैलर्स व सुनार को सीधे बैंक से शुद्ध सोना मिल सके। इससे छोटे सुनार के गहने भी आसानी से हॉलमार्क हो जाएंगे। सभी व्यापारी नेताओं ने यह भी आग्रह किया कि बुलियन व सिक्कों को भी अनिवार्य हॉलमार्किंग में शामिल किया जाए। इनसे सरकार को सोने की अवैध खपत का ब्यौरा भी मिलेगा और अवैध सोने का भारत में आगमन भी कम होगा।