CHANDIGARH: पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू की सरप्रस्ती अधीन विश्व एडज दिवस मनाने के लिए राज्य स्तरीय समागम आयोजित किया गया। पंजाब में एडज की स्थिति को देखने के लिए विशेष तौर काम कर रही पंजाब स्टेट एडज कंट्रोल सुसाइटी ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग लुधियाना के सहयोग से यह समागम लुधियाना में करवाया। विश्व एडज दिवस हर साल विश्व -व्यापक मनाया जाता है जिससे अब तक इस की रोकथाम के लिए किये प्रयासों और इस बीमारी के ओर फैलने से रोकने के लिए की जाने वाली कार्यवाहियों की समीक्षा की जा सके।
पंजाब राज्य में पंजाब स्टेट एडज कंट्रोल सोसाइटी की तरफ से यह दिन जागरूकता पैदा करने, इस बीमारी संबंधी समझ, जानकारी और तजुर्बों का आदान-प्रदान करने के लिए मनाया जाता है, जिससे एच.आई.वी. और एडज से पीडि़त लोगों के लिए समर्थन जाहिर होता है। इस साल विश्व एडज दिवस विश्व स्तरीय एकता, सांझी जिम्मेदारी के विषय से मनाया जा रहा है।
इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत में एडज के पहले केस का पता लगने से अब 39 सालों से अधिक समय हो गया है। उस समय, कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता था कि यह संक्रमण असाधारण गुंजाईशों और बेमिसाल रुकावटों की एक विश्वव्यापी समस्या बन जायेगी। एक दशक पहले भी, एचआईवी और एडज मुख्य तौर पर एक गंभीर संकट के तौर एवं माने जाते थे। आज यह स्पष्ट है कि एडज एक विकास की मुसीबत बन गई है और अब यह दर्शाने वाले सबूत हैं कि अगर रुझान नहीं रोका गया, तो अब तक के विकास के प्राप्त किये लाभों को खत्म कर देगा। उन्होंने आगे कहा कि देश के बाकी हिस्से के मुकाबले पंजाब में हालात काफी हद तक ठीक हैं, क्योंकि यहाँ अधिकतर सुरक्षित है।
इस मौके पर अमित कुमार विशेष सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पंजाब-कम-प्रोजैक्ट डायरैक्टर पंजाब स्टेट एडज कंट्रोल सोसाइटी ने कहा कि पंजाब राज्य में नशा और नशे से सम्बन्धित एच.आई.वी. की बढ़ रही घटनाएं बहुत चिंता का विषय हैं। उन्होंने कहा कि यह समस्या गंभीर है क्योंकि नौजवानों की बढ़ रही संख्या, नशे की खासकर इंजेक्शन के द्वारा दवाओं के प्रयोग की आदत में आ रही है। यह देखा गया है कि पिछले 4-5 सालों के समय के दौरान नशीले पदार्थों का सेवन करने का ढंग बदल गया है और नशा करने वाले जुबानी गोली से टीके लगाने के ढंग अपना रहे हैं। इसके नतीजे के तौर पर राज्य में नशे का प्रयोग और सम्बन्धित एच.आई.वी. के टीके लगाने की घटनाओं में विस्तार हुआ है। इस समय राज्य के 18 जिलों में 35 ओपीओड सबस्टिट्यूशन थैरेपी (ओ.एस.टी.) केंद्र काम कर रहे हैं। इसने आई.डी.यूज. को उनके टीके लगाने की आदत एवं काबू पाने में सहायता की है। आई.डी.यू. जो नियमित तौर पर इलाज करवा रहे हैं वह स्थिर होने के संकेत दिखा रहे हैं। पंजाब का स्वास्थ्य विभाग और सोसायटी नशाखोरी के मुद्दों को हल करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है जिससे नशे के प्रयोग के टीके पर खास ध्यान दिया जा सके और इसको रोका जा सके।
सिवल सर्जन डा. राजेश कुमार बग्गा ने कहा कि माँ से बच्चों के संचारण भी रोका जा सकता है, इसके लिए हमें गर्भवती महिलाओं को एच.आई.वी. टेस्टिंग यकीनी बनाना चाहिए और माँ से बच्चे तक संचार को खत्म करने के लिए एंटी -रीटरोवायरल इलाज करवाना चाहिए।
अधिक जानकारी देते हुये मनप्रीत छतवाल असिस्टेंट प्रोजैक्ट डायरैक्टर ने बताया कि 915 इंटीग्रेटड काउंसलिंग और टेस्टिंग सैंटर (आई.सी.टी.सी.) सभी मैडीकल कालेजों, जिलों के अस्पतालों और सब डिविजनल अस्पतालों/सीएचसी/पी.एच.सी.एस, और केंद्रीय जेलों में चल रहे हैं। प्रशिक्षण प्राप्त स्टाफ के द्वारा लोगों को उनकी अपनी मर्जी एवं या डाक्टरी प्रदाता के द्वारा दी सलाह के अनुसार मुफ्त एच.आई.वी. की सलाह और जांच सेवाएं प्रदान की जाती हैं। पंजाब में, जिलों/उप-जिलों के अस्पतालों और सरकारी मैडीकल कालेजों में 31 एस.टी.आई./आर.टी.आई. क्लिीनिकें (डी.एस.आर.सी.) स्थापित हैं।
विश्व एडज दिवस के मौके पर लोगों को संबोधन करते हुये स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा, आओ हम सभी इन बातों को अमल में लाने का वायदा करें, आओ संकल्प करें कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए पंजाब को एडज मुक्त बनाने के लिए हमेशा यत्नशील रहेंगे।