आज से 580 साल पहले यानी 18 फरवरी-1440 के दिन एक लंबा चंद्र ग्रहण लगा था और अब 19 नवंबर 2021 को 3 घंटे 28 मिनट और 24 सेकेंड की अवधि का यह चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह भी नोट कर लें कि इसके बाद हमारी आने वाली संतति ऐसा लंबा ग्रहण 8 फरवरी 2669 को ही देख पाएगी, हालांकि इस बीच छोटे-मोटे ग्रहण तो लगते रहेंगे।
हालांकि यह ग्रहण भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्रों में ही अल्प समय के लिए दिखेगा परंतु यदि और देशों में जहां यह दृश्य होगा, वहां चांद का 97 प्रतिशत भाग पृथ्वी की छाया से ढंक जाएगा और यह नजारा भारतीय समय के अनुसार 2 बजकर 33 मिनट पर होगा। इस ग्रहण को भारत समेत अमेरिका, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है।
साल 2021 में कुल 4 ग्रहण हैं, जिनमें से 2 सूर्य ग्रहण हैं और 2 चंद्र ग्रहण हैं। इनमें से 1 सूर्य ग्रहण और 1 चंद्र ग्रहण लग चुका है। साल का आखिरी ग्रहण जो कि सूर्य ग्रहण है, वो 4 दिसंबर 2021 को लगेगा।
ग्रहण का समय
भारत में यह ग्रहण केवल पूर्वी क्षेत्र-असम व अरुणाचल में ही बहुत कम समय दिखाई देगा। शेष भारत में जब यह ग्रहण दिखाई ही नहीं देगा तो सूतक भी नहीं होगा, अत: इस दिन सामान्य दिनचर्या में ही रहें। यह सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण 3 घंटे 28 मिनट व 23 सेकेंड रहेगा और चांद सुर्ख लाल दिखाई देगा।
ग्रहण आरंभ: 12:48 बजे
ग्रहण मध्य: 14:33 बजे
ग्रहण समाप्त: 16:17 बजे
चंद्र ग्रहण का भारत व दुनिया पर क्या असर हो सकता है ?
लोक भविष्य की बात करें तो जहां भी यह ग्रहण दिखाई देगा, वहां के समुद्र में ज्वार भाटा, सुनामी, अधिक वर्षा, बर्फबारी से नुक्सान हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार इन भागों में भूकंप आने, ज्वालामुखी फटने, अन्य कई प्राकृतिक आपदाएं आने की आशंका रहेगी। भारत के पूर्वी सीमावर्ती राज्यों में शत्रु देशों के आक्रमण या घुसपैठ होने से शांति भंग हो सकती है। हिमालय के साथ लगते राज्यों में भूकंप जैसी आपदा से इंकार नहीं किया जा सकता, अत: पहले ही सावधान रहना होगा।
यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। ये ग्रहण भारत समेत अमेरिका, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर के कुछ क्षेत्रों में दिखाई देगा। पंचांग के अनुसार ये चंद्र ग्रहण कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। धार्मिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व माना जाता है।
चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में एक प्रमुख घटना के तौर पर देखा जाता है। मान्यता है कि जब भी ग्रहण की स्थिति का निर्माण होता है तो इसका देश-दुनिया पर तो प्रभाव पड़ता ही है, साथ ही साथ सभी राशियों पर भी इसका असर देखा जाता है। चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ घटना के रूप में नहीं देखा जाता है। मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किए जाते। ग्रहण के समय चंद्रमा पीडि़त हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन और माता का कारक माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार पाप ग्रह राहु और केतु जब चंद्रमा पर हमला करते हैं तब चंद्र ग्रहण की स्थिति का निर्माण होता है।
विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण कैसे लगता है ?
विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब पूर्णिमा की तिथि को सूर्य और चंद्रमा के मध्य पृथ्वी आ जाती है। इसके चलते उसकी छाया चंद्रमा पर पडऩे लगती है, जिससे चंद्रमा का छाया वाले भाग पर अंधेरा छा जाता है। इस स्थिति में जब चांद को देखते हैं तो वह भाग काला दिखाई पड़ता है। इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं।
- मदन गुप्ता सपाटू, 458-सैक्टर-10, पंचकूला। फोन: 98156-19620