हरियाणां म्युनिसिपल एक्ट, 1973 में आज तक राजनीतिक दल का उल्लेख तक नहीं डाला गया
अप्रैल- 2022 में प्रदेश सरकार ने कानून में संशोधन करने हेतु निर्वाचन आयोग का प्रस्ताव कर दिया नामंजूर
CHANDIGARH, 31 MAY: हरियाणा में 46 नगर निकायों ( 18 नगर परिषदों एवं 28 नगर पालिकाओं ) के आम चुनावों की प्रक्रिया आरम्भ हो गयी है जिसमें 30 मई से 4 जून तक इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल किये जा सकेंगे जिनकी जांच 6 जून को होगी एवं 7 जून तक नाम वापिस लिए जा सकेंगे जिसके बाद उसी दिन चुनावी रेस में फाइनल प्रत्याशियों को सम्बंधित रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा चुनाव-चिन्ह आबंटित किये जाएंगे।
इसी बीच कांग्रेस पार्टी द्वारा उसके आरक्षित पार्टी सिंबल (चिन्ह) हाथ के निशान पर चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया गया है। हाल ही में भाजपा द्वारा नगर परिषदों के चुनाव तो उसके आरक्षित चुनाव चिन्ह कमल के फूल पर लड़ने का निर्णय लिया गया परंतु नगर पालिकाओं के विषय में पार्टी द्वारा अंतिम निर्णय फिलहाल लंबित है। वहीं जजपा ने उसके आरक्षित सिंबल चाबी पर चुनाव लड़ने का निर्णय लेते हुए कई पार्टी उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं. इनेलो, जिसका सिंबल चश्मा हैं ने अभी तक इस विषय पर औपचारिक ऐलान नहीं किया है. आम आदमी पार्टी ( आप) काफी समय पूर्व ही उसके पार्टी सिंबल झाड़ू पर नगर निकाय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है।
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि बेशक हरियाणा में पाँचों प्रमुख राजनीतिक दल नगर निकायों के चुनाव पार्टी सिम्बल्स पर लड़ने या न लड़ने बारे कुछ भी निर्णय लें, परन्तु प्रदेश विधानसभा द्वारा बनाये गए। हरियाणा म्युनिसिपल (नगर पालिका ) कानून, 1973 , जो सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों पर लागू होता है, और इस कानून के अंतर्गत प्रदेश सरकार द्वारा बनाये गए हरियाणा नगर पालिका निर्वाचन नियमों, 1978 अनुसार निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों के सिम्बल्स (चुनाव चिन्हों ) पर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव करवाए ही नहीं जा सकते।
उन्होंने बताया कि उन्हें हाल ही में निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश के शहरी निकाय विभाग द्वारा 20 अप्रैल 2022 को आयोग को लिखे गए एक पत्र की कॉपी भेजी गयी है जिसमें सरकार ने आयोग द्वारा 28 फरवरी 2022 को भेजे प्रस्ताव पर विचार -विमर्श करने के बाद निर्णय लिया कि हरियाणा म्युनिसिपल कानून में संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है।
बीते कई महीनो में हेमंत द्वारा आयोग को बार बार लिखा गया कि हरियाणा में पार्टी सिम्बल्स पर नगर निकाय चुनाव नहीं करवाए जा सकते हैं क्योंकि कानून में ऐसा उल्लेख नहीं है जिसके बाद आयोग ने गत 28 फरवरी को प्रदेश सरकार को उपरोक्त कानून और नियमों में संशोधन कर उनमें राजनीतिक दल की परिभाषा डालने और साथ ही निर्वाचित प्रतिनिधियों पर दल-बदल विरोधी प्रावधान लागू करने का प्रस्ताव भेजा था जिसे हालांकि सरकार ने नामंजूर कर दिया है।
हेमंत ने बताया कि जब तक प्रदेश विधानसभा द्वारा हरियाणा के नगर निकाय कानून में राजनीतिक दलों के चुनाव-चिन्हों पर चुनाव करवाने बारे स्पष्ट उल्लेख / प्रावधान नहीं किया जाता, तब तक आयोग द्वारा जारी चुनाव -चिन्ह (आरक्षण एवं आबंटन ) आदेश मात्र से प्रदेश में पार्टी सिम्बल्स पर नगर निकाय चुनाव नहीं करवाए जा सकते हैं।
हालांकि आयोग नगर निकाय चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को गैर-राजनीतिक दलों के अर्थात फ्री सिम्बल्स (मुक्त चुनाव चिन्ह ) की सूची में से चुनाव चिन्ह आबंटित करने देने हेतु सक्षम हैं।
गत वर्ष आयोग ने इस विषय पर हेमंत को यह भी लिखा था कि वह ऐसा करने हेतु कानूनन और संवैधानिक तौर पर सक्षम है जिसके बाद उन्होंने जवाब दिया कि बेशक संविधान के अनुच्छेद 243 जेड.ए. में आयोग के पास नगर निकाय चुनावों के अधीक्षण, निर्देश एवं नियंत्रण का अधिकार है परन्तु आयोग प्रदेश विधानसभा द्वारा बनाये नगर निकाय कानूनों के प्रावधानों अनुसार ही ऐसे चुनाव करवा सकता है।
अगर मात्र निर्वाचन आयोग के आदेश से राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह आबंटित करना कानून संभव होता, जैसा हरियाणा में आज तक होता रहा है, तो हिमाचल विधानसभा को गत वर्ष सम्बंधित कानूनी संशोधन करने की क्या आवश्यकता थी ?
मार्च, 2021 में हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा विधानसभा मार्फ़त हिमाचल नगर निगम कानून, 1994 में उपयुक्त संशोधन कर प्रदेश में नगर निगमों के चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्हों (पार्टी सिम्बल्स ) पर करवाने और चुनावों बाद निर्वाचित सदस्यों (पार्षदों) को पार्टी छोड़ पाला-खेमा बदलने पर अंकुश लगाने हेतू दल-बदल विरोधी संबंधी प्रावधान डाले गए थे जिसके पश्चात ही प्रदेश की 4 नगर निगमों – मंडी, धर्मशाला, सोलन और पालमपुर में हिमाचल के राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव करवाए गये थे।