कहा-महापौर कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ की जनता से तुरंत माफी मांगनी चाहिए
CHANDIGARH, 7 MARCH: चंडीगढ़ भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रविंद्र पठानिया ने कहा है कि आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के महापौर कुलदीप कुमार ने अपनी पार्टी की कुंठित मानसिक विचारधारा को दर्शाना शुरू कर दिया है। कुलदीप कुमार ने चंडीगढ़ महापौर कार्यालय में देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल व प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित, सांसद किरण खेर और संविधान रचयिता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की फोटो हटाकर उनके स्थान पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की फोटो लगाकर संवैधानिक पदों को नीचे दिखाने का काम किया है। ऐसा करके उन्होंने न केवल राष्ट्रवादी विचारधारा को धता बताकर व्यक्तिवादी विचारधारा का प्रदर्शन किया है, बल्कि देश की राष्ट्रपति, जो कि एक आदिवासी ओबीसी समाज से और डॉ. अम्बेडकर, जोकि अनुसूचित जाति समाज से हैं, का घोर अपमान किया है।
पठानिया ने कहा कि ये अत्यंत निंदनीय और शर्मनाक कदम है कि मेयर कुलदीप कुमार ने सवैधानिक पद पर आसीन लोगों के चित्र हटाकर केजरीवाल और भगवंत मान के चित्र लगवाए। वे अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्री हैं और उनकी फोटो वहीँ लगे तो अच्छा है। पठानिया ने कहा कि दरअसल आम आदमी पार्टी के मेयर कुलदीप कुमार ने ऐसा करके अपने आकाओं को खुश करने की भरपूर कोशिश की है, जोकि उचित नहीं है। सरकारी कार्यालयों में प्रोटोकॉल के हिसाब से काम किया जाता है, न कि मनमर्जी से। लगता है कि मेयर कुलदीप कुमार को प्रोटोकॉल का पी भी नहीं पता|
उन्होंने कहा कि नगर निगम के गत 15 वर्षों से भी अधिक के कार्यकाल को यदि देखें तो पाएंगे कि भाजपा के मेयर ने हमेशा प्रोटोकॉल को निभाया और संवैधानिक पदों पर रहे लोगों के चित्रों को पूरा सम्मान दिया। इतना ही नहीं, पहली बार देश के किसी नगर निगम में डॉ. अम्बेडकर की फोटो को भी जगह दी गई तो चंडीगढ़ के तत्कालीन भाजपा मेयर अरुण सूद के कार्यकाल में दी गई। ये भाजपा की राष्ट्रवादी विचारधारा का सबूत है कि भाजपा व्यक्ति विशेष की बजाय राष्ट्र को प्रथम मानती है |
रविंद्र पठानिया ने कहा कि महापौर कुलदीप कुमार ने महान पुरुषों के अलावा आदिवासी, ओबीसी और अनुसूचित जाति के नेताओं का अपमान कर तीनों समाज के लोगों को ठेस पहुंचाई है। मेयर कुलदीप कुमार को तुरंत प्रभाव से चंडीगढ़ की जनता से माफी मांगनी चाहिए और सवैधानिक पद पर आसीन लोगों के चित्रों को पहले की भांति स्थान देना चाहिए।