भगवान वाल्मीकि के प्रकट दिवस पर पार्षद पूनम संदीप कुमार ने सेक्टर-25 में किया भव्य सत्संग दरबार का आयोजन
CHANDIGARH, 09 OCTOBER: आम आदमी पार्टी के सह प्रभारी एवं चंडीगढ़ के पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि भगवान वाल्मीकि की शिक्षाएं हमेशा प्रासंगिक रहेंगी, क्योंकि उनकी शिक्षाओं में समाज का कल्याण सर्वोपरि है। लिहाजा, सभी को भगवान वाल्मीकि की शिक्षाओं पर चलते हुए समाज कल्याण के कार्यों में निरंतर आगे रहना चाहिए। आम आदमी पार्टी व इसके नेता भी भगवान वाल्मीकि की शिक्षाओं का ही अनुसरण कर रहे हैं।
पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा चंडीगढ़ के वार्ड नंबर-16 के सैक्टर-25 में भगवान वाल्मीकि के प्रकट दिवस पर आयोजित एक भव्य सत्संग दरबार के दौरान जुटे जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। इस सत्संग दरबार का आयोजन आम आदमी पार्टी के नेता संदीप कुमार और पार्षद पूनम संदीप कुमार ने किया था। इस कार्यक्रम में भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (भावाधस) के संस्थापक चन्द्रपाल अनार्य मुख्य अतिथि के रूप शामिल हुए, जबकि आम आदमी पार्टी के सह प्रभारी एवं चंडीगढ़ के पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा तथा पार्टी के अध्यक्ष प्रेम गर्ग विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे। इनके अलावा कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी के सभी पार्षद, वाल्मीकि शोभायात्रा कमेटी के चेयरमैन रोहताश पप्पी, डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन सोसायटी के प्रधान सुरेन्द्र कांगड़ा ने भी विशेष तौर पर भाग लिया।
पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि आज खास तौर से नई पीढ़ी को भगवान वाल्मीकि के जीवन तथा उनके द्वारा किए गए कार्यों से अवगत कराने की जरूरत है, ताकि वह अपने पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास से पूरी तरह परिचित हों। आदि महाकवि भगवान वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण जिस तरह पूरे विश्व को बुराई पर अच्छाई की जीत, धर्म और अधर्म के भेद तथा जीवन के आदर्शों का संदेश देती है, वैसे ही भगवान वाल्मीकि का जीवन भी मनुष्य को सही और गलत का रास्ता बताता है। इसलिए आदि महाकवि वाल्मीकि भगवान के रूप में हमेशा पूज्यनीय रहेंगे। इस मौके पर भावाधस के संस्थापक चन्द्रपाल अनार्य ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं सिरोपा भेंटकर आए हुए सभी श्रद्धालुओं का आभार वयक्त किया। सभी सेक्टर-25 कालोनीवासियों ने भगवान वालमीकि के सत्संग का आनंद लिया। वार्ड पार्षद पूनम संदीप कुमार की ओर से पूरी कालोनी को 2 दिन पहले ही दुल्हन की तरह सजाया गया था। शाम 7 बजे से लेकर रात 12.30 बजे तक अटूट लंगर भी चला।