CHANDIGARH: विभिन्न सेवाओं में आधार को अनिवार्य बनाए जाने के विषय में केंद्र सरकार ने नया सर्कुलर जारी किया है, जिसके बाद अब पेंशनरों को डिजिटल तौर पर जीवन प्रमाणपत्र लेने के लिए आधार जरूरी नहीं होगा। इसके अलावा सरकार ने ‘संदेश’ एप और सरकारी कार्यालयों में हाजिरी लगाने के लिए आधार प्रमाणीकरण को भी स्वैच्छिक बना दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया कि जीवन प्रमाणपत्र के लिए आधार की प्रामाणिकता स्वैच्छिक होगी। इसका इस्तेमाल करने वाले संगठनों को जीवन प्रमाणपत्र देने के लिए वैकल्पिक तरीके निकालने चाहिए। इस मामले में नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआइसी) को आधार कानून 2016, आधार नियमन 2016 और UIDAI द्वारा समय-समय पर जारी सर्कुलर और दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
पेंशनरों की दिक्कत के चलते लिया फैसला
दरअसल, कई पेंशनरों ने इस मामले में शिकायत की थी। आधार कार्ड नहीं होने के चलते उन्हें पेंशन मिलने में कठिनाई उठानी पड़ रही है अथवा उनके अंगूठे का निशान मेल नहीं खा रहा है। इसके लिए कुछ सरकारी संगठनों ने जहां 2018 में वैकल्पिक रास्ता निकाला था, वहीं अब जारी नई अधिसूचना के जरिए आधार को डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जारी करने के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया है।
पहले आधार था अनिवार्य
पेंशनरों के लिए जीवन प्रमाण पत्र की शुरुआत तब की गई थी जब कई बुजुर्गों को पेंशन लेने के लिए अपने जीवित होने की सत्यता के लिए लंबी यात्रा कर पेंशन वितरित करने वाली एजेंसी के समक्ष उपस्थित होना पड़ता था या फिर वे जहां नौकरी करते रहे हैं वहां से उन्हें जीवन प्रमाणपत्र लाना होता था और फिर उसे पेंशन वितरण एजेंसी को देना होता था। डिजिटल तरीके से जीवन प्रमाणपत्र जारी करने की सुविधा मिलने के बाद पेंशनरों को खुद लंबी यात्रा कर संबंधित संगठन के समक्ष उपस्थित होने की अनिवार्यता से तो निजात मिल गई, लेकिन उनकी तकलीफ दूर नहीं हुई।
सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति के लिए आधार स्वैच्छिक
सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी की व्यवस्था की गई थी, जिसके लिए भी आधार का प्रमाणीकरण जरूरी था। सरकार ने अपने नए सर्कुलर के माध्यम से अब इसे भी स्वैच्छिक बना दिया है और संगठनों से उपस्थिति लगाने के “सन्देश” एप के अलावा दूसरे विकल्प तलाशने को कहा गया है। ~(PBNS)