हरियाणा विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव, एमएसपी गारंटी बिल, कई स्थगन और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाएगी कांग्रेस: हुड्डा

बजट सत्र से पहले कांग्रेस विधायक दल के साथ बैठक की भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने

CHANDIGARH: हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज चंडीगढ़ स्थित आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक ली। बैठक के बाद पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए हुड्डा कहा कि आज प्रदेश की जनता के सामने समस्याओं और विपक्ष के सामने मुद्दों का अंबार लगा हुआ है। इसलिए इस बार के सत्र में कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, एमएसपी गारंटी बिल, कई स्थगन और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाने जा रही है। सरकार से किसानों की अनदेखी, बढ़ती बेरोजगारी, डोमिसाइल के नियमों में फेरबदल, बढ़ते अपराध, पेपर लीक, शराब व रजिस्ट्री घोटाले जैसे मुद्दों पर जवाब मांगा जाएगा।

किसान, बेरोजगारी, डोमिसाइल, अपराध, शराब व रजिस्ट्री घोटाले के मुद्दे पर सरकार से मांगा जाएगा जवाब

हुड्डा ने बताया कि कांग्रेस कल ही स्पीकर को अविश्वास प्रस्ताव दे देगी। उसके बाद वो तय करेंगे कि इसपर कब वोटिंग और चर्चा करवानी है। विपक्ष की मांग है कि सत्र के दौरान जनहित से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्चा की जाए और सभी विधायकों को पूरा वक्त मिले। हर मोर्चे पर विफल बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार को सदन में शराब, रजिस्ट्री, भर्ती, पेपर लीक, माइनिंग जैसे तमाम घोटालों पर जवाब देना होगा। हुड्डा ने कहा कि जिस तरह सरकार लगातार किसान आंदोलन की अनदेखी और किसानों पर अत्याचार कर रही है, कांग्रेस उसे सदन में आईना दिखाने का काम करेगी। किसानों को एमएसपी का अधिकार दिलवाने के लिए एपीएमसी एक्ट में संशोधन के लिए एक प्राइवेट मेंबर बिल लाया जाएगा।

सरकार ने रिहायशी प्रमाण पत्र के नियमों को नहीं बदला तो प्रदेश में आरक्षित वर्ग को नौकरी मिलना हो जाएगा मुश्किल

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 75 प्रतिशत आरक्षण एक्ट हरियाणा के युवाओं के साथ सबसे बड़ा धोखा है। वास्तव में ये एक जुमले के सिवाए कुछ नहीं है। क्योंकि इस कानून के सेक्शन-5 में उद्योगपति को सरकार ने पहले ही बाईपास दे दिया है। सेक्शन-5 में प्रावधान है कि विशेष योग्यता और दक्षता का बहाना बनाकर कोई भी उद्योगपति स्थानीय युवाओं को आरक्षण से वंचित कर सकता है। इतना ही नहीं ये कानून लागू होने से पहले ही गठबंधन सरकार ने हरियाणा रिहायशी प्रमाण पत्र के नियमों में फेरबदल करके प्रदेश के युवाओं के हक पर कुठाराघात करने का काम कर दिया। नई नियमों के मुताबिक अब किसी भी राज्य का व्यक्ति बड़ी आसानी से हरियाणा डोमिसाइल हासिल कर सकता है। इसके आधार पर अन्य राज्य के लोग ना सिर्फ आरक्षित 75 प्रतिशत प्राइवेट नौकरियां बल्कि एससी-बीसी समेत सभी आरक्षित श्रेणी की सरकारी नौकरियां भी हासिल कर सकते हैं। अगर सरकार ने डोमिसाइल नियमों को नहीं बदला तो प्रदेश में एससी, बीसी, खेल, एक्स सर्विसमैन समेत सभी आरक्षित वर्गों को नौकरी मिलना मुश्किल हो जाएगा। जिस तरह से एसडीओ भर्ती में सामान्य श्रेणी के स्थानीय युवाओं को दरकिनार कर अन्य राज्य के युवाओं को तरजीह दी गई, उसी तरह रिहायशी प्रमाण पत्र के नियमों में बदलाव के बाद एससी और बीसी समेत सभी आरक्षित श्रेणियों के साथ किया जाएगा। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार की स्थानीय निवासियों के लिए जारी कल्याणकारी योजनाओं पर भी नए नियमों की वजह से बोझ बढ़ेगा। अब अन्य राज्यों के लोगों को भी प्रदेश की तमाम योजनाओं का लाभ मिलेगा।

प्रदेश पर बढ़ते कर्ज के बारे में सच नहीं बोल रहे हैं मुख्यमंत्री

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सरकार में ना तो किसान को फसलों का दाम मिल रहा है, ना युवा को रोजगार, ना मजदूर को काम और ना कर्मचारी को सम्मान मिल रहा है। सरकार हर वर्ग के अधिकारों के साथ खिलवाड़ करने में लगी है। प्रदेश पर बढ़ते कर्ज के सवाल का जवाब देते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब से हरियाणा बना तब से लेकर हमारी सरकार तक प्रदेश पर सिर्फ 60 हजार करोड़ का कर्ज था। लेकिन बीजेपी सरकार के 6 साल में ये बढ़कर सवा 2 लाख करोड़ हो चुका है। बावजूद इसके मुख्यमंत्री जनता को कर्ज का सही आंकड़ा नहीं बता रहे। वो प्रदेश के कर्ज में ‘उदय’ की राशि जोड़कर गुमराह करने का काम कर रहे हैं।

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