CHANDIGARH: चंडीगढ़ यूटी क्रिकेट एसोसिएशन (यूटीसीए) के अध्यक्ष पद का विवाद पिछले पांच साल में भी सुलझ नहीं पाया है। इस पद को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रही खींचतान अभी तक कायम है। चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा जहां खुद को यूटीसीए का अध्यक्ष बताते हैं, वहीं चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अध्यक्ष संजय टंडन पिछले काफी समय से यूटीसीए के अध्यक्ष के रूप में बीसीसीआई पदाधिकारियों के बीच सक्रिय हैं। अब प्रदीप छाबड़ा ने यूटीसीए को लेकर ही एक बार फिर संजय टंडन पर हमला बोलते हुए टंडन पर झूठे बयान देने व यूटीसीए को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए यूटीसीए के अध्यक्ष पद पर पुन: अपना दावा ठोंका है।
यूटीसीए सलाहकार समिति के प्रमुख से परामर्श के बिना सौंपी सिफारिशें
प्रदीप छाबड़ा ने आज एक बयान जारी कर आरोप लगाते हुए कहा है कि अपने आप को यूटीसीए का अध्यक्ष कहने वाले संजय टंडन ने घोषणा की है कि यूटीसीए की क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी ने इंटरनल टूर्नामेंटों की प्लानिंग बनाकर अपनी सिफारिशों की रिपोर्ट उन्हें सौंपी है, जबकि कथित रूप से इस सलाहकार समिति के प्रमुख को इस बात का कोई पता ही नहीं है कि बैठकें कब हुईं, किस आधार पर प्लानिंग की गई और क्या सिफारिशें भेजी गई हैं। प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी के प्रमुख से इस बारे में किसी भी तरह का सलाह-मशविरा तक नहीं हुआ है। छाबड़ा ने कहा कि इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह ये एसोसिएशन (यूटीसीए) बनी है तथा इसमें और कितने गड़बड़ झाले होंगे। छाबड़ा ने कहा कि इस बारे में दिन प्रतिदिन और खुलासे होते रहेंगे।
छाबड़ा ने फिर किया खुद के यूटीसीए अध्यक्ष होने का दावा
छाबड़ा ने बयान में कहा कि संजय टंडन की यूटीसीए में अध्यक्ष पद पर गलत तरीके से नियुक्ति को लेकर पहले ही बीसीसीआई को रिपोर्ट बनाकर भेजी जा चुकी है और गैरकानूनी रूप से बने अध्यक्ष पद की नियुक्ति का कोर्ट में केस भी चल रहा है। छाबड़ा ने कहा कि यूटीसीए के असली अध्यक्ष आज भी वो (प्रदीप छाबड़ा) ही हैं, क्योंकि उन्होंने न ही कभी यूटीसीए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था और न ही उन्होंने किसी अन्य को यह पद सौंपा है। छाबड़ा ने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।