CHANDIGARH: मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में पंजाब मंत्रीमंडल द्वारा आज आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (ई.डब्ल्यू.एस.) के लिए नयी नीति को मंजूरी दी गई है। इससे ऐसे वर्गों के लिए 25 हज़ार से ज्यादा मकानों के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इस नीति के अंतर्गत डेवलपर्स और अथॉरिटी द्वारा ई.डब्ल्यू.एस हाऊसिंग के लिए प्रोजैक्ट क्षेत्र का 5 फ़ीसदी निर्माण अपेक्षित होगा।
इन घरों का निर्माण उचित आकार के स्थानों में किया जायेगा जिसमें सामाजिक बुनियादी ढांचा जैसे कि स्कूल, कम्युनिटी सैंटर और डिसपैंसरियां उचित स्थानों पर बनाईं जाएंगी जिससे लाभार्थीयों के लिए सुखद जीवन यकीनी बनाया जा सके। उनको बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच मुहैया करवाई जायेगी। यह फ़ैसला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के द्वारा हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग के दौरान लिया गया।
इस नयी नीति के अंतर्गत घरों के निर्माण ब्रिकलैस तकनीक के द्वारा होगा जिसके लिए योग्य प्रोजैक्ट प्रबंधन एजेंसियों (पी.एम.एज़) की सेवाएं ली जाएंगी। यह घर योग्य परिवारों को मुहैया करवाए जाएंगे, जिनको उपयुक्त दरों पर मासिक किश्तों में बैंकों द्वारा वित्त मुहैया करवाया जायेगा। इस नीति के अंतर्गत योग्य लाभार्थीयों की तरफ से पंजाब में जन्म का प्रमाण या अजऱ्ी देने की तारीख़ से 10 साल पहले राज्य में रिहायश का प्रमाण देना होगा, जैसे कि आधार कार्ड, राशन कार्ड की कॉपी, वोटर सूची, ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी आदि। समय -समय पर भारत सरकार या पंजाब सरकार की तरफ से संशोधित किए गए नियमों अनुसार सभी स्रोतों से पारिवारिक आय 3 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। आवेदक /पति /पत्नी या नाबालिग बच्चे के नाम पर पंजाब या चंडीगढ़ में पहले से ही कोई भी फ्रीहोलड /लीज़होल्ड रिहायशी प्लॉट /बसेरा यूनिट नहीं होना चाहिए और आवेदक द्वारा इन पहलूओं पर स्व-तस्दीक की जायेगी।
आवेदनों को अधिकृत बैंकों द्वारा प्राप्त और तस्दीक किया जायेगा। केवल वही आवेदन ड्रॉ या अन्य तरीके से होने वाले अलॉटमैंट के लिए विचारा जायेगा जिसके लिए बैंक की तरफ से कजऱ् मुहैया करवाया जायेगा या सहमति पत्र जारी होने से 40 दिन के के भीतर आवेदक द्वारा एकमुश्त अदायगी की जायेगी। आवेदक का विवाहित होना अनिवार्य है और आवेदन पति और पत्नी द्वारा साझा होगा। नयी नीति के अंतर्गत अलॉट रिहायशी यूनिट को 15 साल के समय तक बेचने, तोहफ़ा, गिरवी रखने, तबादला या लम्बी लीज़ पर देने की मनाही होगी, सिवा परिवार में लाभार्थी की मौत की सूरत में।
सरकार द्वारा नयी नीति के अंतर्गत बिक्री कीमत निर्धारित की जायेगी जिसकी ख़ातिर यूनिट का निर्माण, स्थान को विकसित करना और साझा बुनियादी ढांचा जैसे कि स्कूल और कम्युनिटी सैंटर आदि पर आई लागत के अनुपात के अलावा प्रशासनिक चार्जिज़ जैसे कि पी.एम.सी, विज्ञापित लागत जो प्रोजैक्ट की कुल लागत के 5 फ़ीसदी की अपेक्षा ज़्यादा नहीं होगा, को ध्यान में रखा जायेगा। ज़मीन की लागत को ज़ीरो गिना जायेगा और ऐसे ई.डब्ल्यू.एस प्रोजेक्टों पर ई.डी.सी से छूट होगी।
डिवैल्लपर अपने ई.डबल्यू.एस क्षेत्रों को पाकटों में जोड़ सकते हैं जोकि कम से कम एक किलोमीटर की दूरी पर होना चाहिए, इसका आकार 12 से 16 एकड़ होना चाहिए। एस.ए.एस नगर और न्यू चण्डीगढ़ मास्टर प्लान के रिहायशी क्षेत्रों में, पहले से निर्माण अधीन मास्टर प्लान सडक़ें पर, 5 एकड़ से 16 एकड़ उनकी कलोनियों के 4 कि.मी. के अंदर -अंदर, बाकी पंजाब के संदर्भ में कम से कम 40 फुट के रास्ते वाली मौजूदा सडक़ों पर, इनके इलावा, कालोनी में फिर प्राप्त किये गए क्षेत्र और सरकार को सौंपे गए क्षेत्र का मूल्य दोनों जमीनों के क्लैकटर रेटों के हिसाब के साथ बराबर होना लाजिमी होगा।यह जरूरी होगा कि दिया जाने वाला क्षेत्र फिर प्राप्त क्षेत्र की अपेक्षा कम नहीं होगा और पूरी ई.डबल्यू.एस जमीन का तबादला सरकार को बिना किसी लागत के किया जायेगा।
ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्टों के मामलों में जमीन उसी तरह पेशकश की जायेगी, जैसे ई.डबल्यू.एस घर अपारमैंटों की संख्या के 10 फीसद के बराबर होगी और 80 यूनिट प्रति एकड़ के हिसाब के साथ पेशकश की जमीन के 80 फीसद क्षेत्र पर निर्माण होगा और 20 फीसद क्षेत्र जरूरी सुविधाओं/सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए रखा जायेगा। डिवैलपर जिन्होंने अपने प्रोजेक्टों के ई.डबल्यूएस क्षेत्र को 31 दिसंबर, 2013 को नोटिफिकेशन की पालना करते हुये सरकार को तबदील कर दिया है, वह इंतकाल के जरिये ऐसे नये पार्सलों के साथ, सरकार को दी गई जमीन का आदान-प्रदान करके इसका लाभ भी ले सकते हैं।
जिक्रयोग्य है कि 2013 में कैबिनेट की तरफ से एक नीति को मंजूरी दी गई जिसके अंतर्गत डिवैल्लपरों की तरफ से ई.डबल्यू.एस पाकटों का तबादला बिना किसी लागत से सरकार के नाम करने को लाजिमी बना दिया और 31 दिसंबर, 2013 को इस सम्बन्धी नोटिफिकेशन जारी कर दी गई। इसके उपरांत 2016 में कैबिनेट कमेटी की तरफ से मई 24, 2016 की नोटिफिकेशन के द्वारा इस नीति में संशोधन किया गया।
कुछ डिवैल्लपरों की तरफ से ई.डबल्यू.एस पाकटों का कब्जा सम्बन्धित अथोरिटी को दे दिया गया, जबकि कुछ की तरफ से जिन्होंने 2013 -14 से पहले लायसेंस/मंजूरियां प्राप्त कर ली थीं, वह 2013 की नीति को पूर्व-प्रभावी रूप में लागू करने और बाद में 2014 में एक्ट में हुई संशोधन के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पहुँच की गई। इस संशोधन के अंतर्गत उनके ई.डबल्यू.एस क्षेत्रों को सम्बन्धित विकास अथारिटी को बिना लागत तबादला करने की माँग की गई जबकि उनके प्रोजेक्टों को 1995 के वास्तविक एक्ट के अनुसार मंजूरी मिली थी जिस अनुसार वह ई.डबल्यू.एस प्लाटों को बिक्री मूल्य पर बेच सकते थे जो अन्य से प्राप्त किये जाने की अपेक्षा 15 फीसद कम थी।
इसके इलावा, आर्थिक स्तर के कारण बने जीवन के ढंगों में कई तरह के विभिन्नताओं के कारण कालोनी में ई.डबल्यू.एस मकानों का निर्माण करने में आम विरोधता का सामना करना पड़ा। यह भी महसूस किया गया था कि बड़ी संख्या में छोटे आकार के ई.डबल्यूऐस पाकटों में सामाजिक बुनियादी ढांचेे के विकल्पों में भी बड़ी मुश्किल पेश थी। इन दायरों और कानूनी मुद्दों के सम्मुख सरकारी नीति के अंतर्गत कोई भी ई.डबल्यू.एस. मकानों का निर्माण नहीं हो सका। आखिरकार इन सब मसलों को सुलझाने और राज्य में जरूरत के अनुसार ई.डबल्यू.एस घरों के निर्माण के लिए यह नयी नीति उचित विकल्पों और मौजूदा कानूनों के अनुसार नयी नीति बनाई गई है।