वसंत और वेलेंटाइन दोनों का अंग्रेजी में विक्टरी साइन वी है, जो अक्सर नेता चुनाव परिणाम आने से पहले ही दिखाने लगते हैं। इन दोनों का चोली-दामन का साथ है। कभी वेलेंटाइन-डे आगे तो कभी वसंत पहले। कई बार इतना तामझाम, शोरगुल, हो-हुल्लड़, बाजार में रौनक हमारे किसी राष्ट्रीय उत्सव पर नहीं दिखाई देती, जितनी ढाई आखर के प्रेम दिवस पर दिखती है। महान संत वेलेंटाइन के चरण चूमने को दिल मचल उठता है। वैसे तो हमारे अपने कई संत भी इस फील्ड में किसी से कम नहीं, जिन्होंने पूरे संसार को ऐसे-ऐसे संदेशों से नवाजा है परंतु आजकल कंस निर्मित विश्राम गृहों में प्रेम ग्रंथों का मंथन कर रहे हैं और अदालतों की ओर टुकुर-टुकुर ताक रहे हैं। अपने देश में ऐसे संतों का बड़ा निरादर हो रहा है। विदेशी संतों को ही पूजा जा रहा है। यानी घर का जोगी जोगड़ा. बाहर का जोगी संत।
हमारे कैलेंडर में 14 तारीख का बहुत महत्व हैै। हर महीने की 14 तारीख को कुछ न कुछ लगा ही रहता है। छोटे थे तो 14 जनवरी को घर पर जल्दी उठा दिया जाता था। उठो आज मकर संक्राति है। सूर्य को जल दो। खिचड़ी और तिल को हाथ लगाकर दान दे आओ। जरा उम्र खिसकी तो 14 नवंबर का अर्थ हो गया चाचा नेहरू जिंदाबाद। स्कूल से कालेज आए तो 14 सितंबर हो गया हिंदी-डे। मनाओ भैया। हिंदी दिवस को पूरी अंग्रेजियत से सरकारी खर्चें पर मनाओ। जवां हुए तो 14 फरवरी के आजाद वेलेंटाइन-डे की खासियत समझ आने लगी। पूरा साल इजहारे इश्क न कर पाए तो इस दिन बेबाक होकर कह सकते हैं-आई लव यू या शॉर्ट में गा सकते हैं ईलू-ईलू। और किसी साल 14 फरवरी को महाशिवरात्रि पड़ जाए तो सब गुड़-गोबर हो जाता है।
थोड़े और बड़े हुए तो पता चला ये कम्बख्त 14 तारीख किसी भी महीने क्यों न आए, कुछ न कुछ मनवा के ही जाती है। 14 जनवरी-कैंडल डे, 14 मार्च-व्हाइट डे, 14 अप्रैल-ब्लैक डे, 14 मई-रोज डे, 14 जून-किस डे, जुलाई की 14 को सिल्वर-डे और अगस्त का यही दिन कहलाया-ग्रीन डे। सितम्बर 14 को हमारा हिंदी डे तो अंग्रेजों ने डिक्लेयर कर दिया-म्यूजिक डे, यानी गाना-बजाना हो जाए। सबका ख्याल रखा गया है हर महीने की 14 तारीख को। अक्तूबर को टुन्न दिवस यानी वाइन-डे। चाचा नेहरू का 14 नवंबर पश्चिमी देशों में मूवी-डे कहलाता है। दिसम्बर की 14 को हग-डे कहा गया है। हमारे गांव की भाषा में इसका मतलब कुछ और है परंतु अंग्रेज इसे गले लगाने का दिन मानते हैं। भारत में यदि यह हग-डे वेलेंटाइन-डे की तरह पॉपुलर हो गया तो आस-पड़ोस में तबाही मच जाएगी। रेलवे ट्रैक और महक उठेंगे। गले मिलने का लाइसेंस मिल जाएगा। अब पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए, इसलिए रोज कोई न कोई डे हो जाए। हर दिन- नया दिन।
मोटे तौर पर जो म्हारी समझ में आवे, वो है 14 फरवरी को प्रेम दिवस। म्हारे हरयाणे मां एक छोरा-छोरी प्रेम करें थे। खाप वालों ने जो धुनाई की कि टूटी-फूटी हालत मां गांव से एक बड़े सहर मां आ घुसे। संयोग यो बना कि उस दिन वेलेंटाइन-डे था। एक दल ने पिछले साल ही घोषणा कर दी थी कि अगले साल हमारा दल एक पंडड्त समेत घूमेगा और जो छोरा-छोरी ऐसी हालत में पाया जावेगा तो हम उसकी सादी कर देवेंगे। बस गांव के बबली-बंटी काबू आ गए। डंडे-शंडे लिए मुशटंडे दोनों के पीछे लटठ् लेके पड़ गए। सात की बजाय 14 फरवरी को 14 फेरे दिलवा दिए गोल-गोल घुमा के। बबली भी खुश! और बंटी क्या चाहवे था दो आखें। जो काम घर वाले न कर सके थे, खाप वाले टांग अड़ावे थे वो एक दल ने वेलेंटाइन-ड़े के विरोध में एक दिन में ही निपटा दिया। उनकी वाह-वाह हो गई और बंटी को बबली मिल गई।
इस दिन का एक फायदा और भी है। धर्म, संस्कृति के नाम पर जोर-आजमाइश का मौका भी मिल जाता है। हुल्लड़बाजों को होली सा माहौल एक महीने पहले ही दिख जाता है। सोलह साल से लेकर 70 साल तक के बिना दांत -बिना आंत वाले प्रेमी भी फुली चार्ज हो जाते हैं। टीवी चैनलों को लव गुरुओं के इंटरव्यू लेने और पूरे दिन वेलेंटाइन-डे के फायदे-नुक्सान गिनाने के लिए च्युंगम की तरह बहस खींचने का शुभ अवसर मिल जाता है।
एक लड़की एक दुकान पर गई और पूछने लगी, भैया कोई ऐसा कार्ड आया है, जिसमें लिखा हो यू आर माई फस्र्ट एंड लास्ट वेलेंटाइन। दूकानदार ने कहा, आया है। लड़की बोली, बस! 50 पैक कर दो। उसका काम तो हो गया। हमारे एक वकील मित्र का धंधा कोरोना ने कर दिया मंदा। उन्होंने भी देखा-देखी 50 कार्ड पैक करवा लिए। दुकानदार की समझ नहीं आया कि लड़की ने 50 लिए तो बात समझ आती है लेकिन ये बुढ़उ इस उम्र में किसको किसको भेजेंगे ? वकील साहब ने इसका रहस्य बताने की फीस चार्ज करते हुए 50 की बजाय 60 देने को कहा। दुकानदार मान गया, क्योंकि जमाना व्हाट्सएप का है। कार्ड-वार्ड तो वैसे भी धूल ही चाट रहे थे। वकील साहब ने बताया कि पिछली बार उन्होंने ऐसे 25 कार्ड लेकर पॉश कालोनियों में पोस्ट कर दिए थे। भेजने वाले की जगह लिखा था- तुम्हारी जान! पहचान गए! शाम को मिलो सैक्टर-17 में। लव यू स्वीट हार्ट! बस 14 मार्च तक 14 केस तलाक के मिल गए थे। इस बार कोरोना जैसी आपदा को अवसर बनाने का यही फार्मूला 44 है। धंधा कोई मंदा नहीं होता।
इसी दिन एक पति रात को दो बजे ही उठकर दारू चढ़ाने लगा। पत्नी ने विश किया हैप्पी वेलेंटाइन-डे। ‘आज 14 फरवरी को हमारी शादी की 14वीं वर्षगांठ है।’ पति ने हां में हां मिलाई,’हां याद क्यों नहीं? 14 साल पहले तुम्हारे जज बाप ने इसी कमरे में हमें रंगे हाथों पकड़ा था और ऑन द् स्पॅाट फैसला सुना दिया था कि तुझे मैं पूरे 14 साल के लिए अंदर कर दूंगा। आज मेरी सजा के 14 साल पूरे हो गए हैं और आज इस जेल से आजाद हो गया हूं…।’
इसी तरह एक श्रीमती जी ने वेलेंटाइन-डे से एक दिन पहले पति को मूड में लाने के लिए कहा-डियर मैंने सपने में देखा कि तुम मेरे लिए 14 फरवरी को एक नेकलेस लेकर आए हो। इस सपने का क्या मतलब हो सकता है? पति महोदय ने कहा कि कल बताउंगा। अगले दिन वह एक बड़ा सा खूबसूरत रंग-बिरंगा बॉक्स लेकर आया। श्रीमती जी ने 14 फरवरी की भावना को ध्यान में रखकर प्रेम का प्रदर्शन किया। अकेले में जब डिब्बे की कई परतें खोलीं तो उसमें एक बढिय़ा सी पुस्तक निकली, जिसका टाइटल था-सपनों की हकीकत। इसके बाद पति ने कहा, डियर तुम्हारे गले के लिए आज एक और गिफ्ट लाया हूं। और उसने विक्स की गोलियों का एक पैकेेट थमा दिया।
हमारे एक मित्र को वेलेंटाइन-डे का मतलब तब समझ आया जब उसने 14 फरवरी को अपनी बीवी को सफेद गुलाबों का बुके थमाया। बीवी ने आखें फाड़कर पूछा-इस दिन लाल गुलाब दिए जाते हैं, इतना भी नहीं पता? वह बोला-अब प्यार से ज्यादा शांति की जरूरत है। बस उसका वेलेंटाइन-डे बन गया ‘बेलन टाइन-डे’। आप भी अपना ध्यान रखिएगा, प्रेम दिवस दी लख-लख बधाई जी!
- मदन गुप्ता सपाटू, 458, सैक्टर-10, पंचकूला। मो. 98156-19620