ANews Office: इस बार 14 जनवरी को यानी आज महोदरी नामक मकर संक्रांति के अवसर पर 5 ग्रहों का संयोग बहुत शुभदायी बना है। 5 ग्रह सूर्य, चंद्रमा, शनि, बुध और गुरु मकर राशि में होंगे। पौष शुक्ल प्रतिपदा श्रवण नक्षत्र कालीन सुबह 8 बजकर 14 मिनट पर मकर लग्न में प्रवेश करेगी। वैसे तो संक्राति पूरे दिन रहेगी परंतु पुण्यकाल दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक ही रहेगा।
संक्रांति का भविष्य फल
ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस वर्ष सफेद वस्तुुओं के मूल्य बढ़ेंगे। सरकार के प्रति जनता आक्रोश दिखाती रहेगी। साधु-सन्यासियों तथा कृषक वर्ग को कष्ट रहेगा। किसान आंदोलन अप्रत्यक्ष रुप से लंबा खिंचेगा। महामारी के प्रसार में कमी आएगी, प्रचार और दवा वितरण में वृद्धि होगी। पंचग्रही योग पाकिस्तान, ईरान तथा भारत के उत्तरी भाग में भूकंप ला सकते हैं। पश्चिमी देशों में भी जनता का सरकार के प्रति आक्रोश तथा विरोध बढ़ेगा। संक्रमण की गति 6 अप्रैल के बाद कम होनी आरंभ हो जाएगी। मकर राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का भी प्रभाव रहेगा। विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक सफल रहेंगे। संक्रमण नहीं होगा, उल्टे लंबे समय से चल रहे रोग का निवारण होगा।
मकर संक्राति का खगोलीय तथ्य
नवग्रहों में सूर्य ही एकमात्र ग्रह है, जिसके आसपास सभी ग्रह घूमते हैं। यही प्रकाश देने वाला पुंज है, जो धरती के अलावा अन्य ग्रहों पर भी जीवन प्रदान करता है। प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे सामान्य भाषा में मकर संक्रान्ति कहते हैं। यह पर्व दक्षिणायन के समाप्त होने और उत्तरायण प्रारंभ होने पर मनाया जाता है। वर्ष में 12 संक्रांतियां आती हैं परंतु विशिष्ट कारणों से इसे ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया है।
यह एक खगोलीय घटना है जब सूर्य हर वर्ष धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है और हर बार यह समय लगभग 20 मिनट बढ़ जाता है। अत: 72 साल बाद एक दिन का अंतर पड़ जाता है। पंद्रहवीं शताब्दी के आसपास यह संक्राति 10 जनवरी के आसपास पड़ती थी और अब यह 14 व 15 जनवरी को होने लगी है। लगभग 150 साल बाद 14 जनवरी की डेट आगे-पीछे हो जाती है। सन् 1863 में मकर संक्राति 12 जनवरी को पड़ी थी। 2012 में सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी को आया था। 2018 में 14 जनवरी और 2019 तथा 2020 में यह 15 जनवरी को पड़ी थी। गणना यह है कि 5000 साल बाद मकर संक्राति फरवरी के अंतिम सप्ताह में मनानी पड़ेगी। आज के दिन का पौराणिक महत्व भी खूब है। सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने असुरों का संहार भी इसी दिन किया था।
जितने समय में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाती है, उस अवधि को सौर वर्ष कहते हैं। धरती का गोलाई में सूर्य के चारों ओर घूमना ‘क्रान्ति चक्र’ कहलाता है। इस परिधि को 12 भागों में बांटकर 12 राशियां बनी हैं। पृथ्वी का एक राशि से दूसरी में जाना ‘संक्रान्ति’ कहलाता है। यह एक खगोलीय घटना है, जो साल में 12 बार होती है। सूर्य एक स्थान पर ही खड़ा है, धरती चक्कर लगाती है। अत: जब पृथ्वी मकर राशि में प्रवेश करती है, एस्ट्रानॉमी और एस्ट्रालॉजी में इसे मकर संक्रान्ति कहते हैं।
इसी प्रकार सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है। उत्तरायण आरंभ होते ही दिन बड़े होने लगते हैं। रातें अपेक्षाकृत छोटी होने लगती हैं। इस दिन पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान, दान, देव कार्य एवं मंगलकार्य करने से विशेष लाभ होता है। ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य कर्क व मकर राशियों को विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। भारत उत्तरी गोलाद्र्ध में है। सूर्य मकर संक्रांति से पूर्व दक्षिणी गोलाद्र्ध में होता है। अत: सर्दी के मौसम में दिन छोटे रहते हैं। इस दिन सूर्य के उत्तरायण में आने से दिन बड़े होने शुरू होते हैं और शरद ऋतु का समापन आरंभ हो जाता है। प्राण शक्ति बढऩे से कार्य क्षमता बढ़ती है। अत: भारतीय सूर्य की उपासना करते हैं। यह संयोग प्राय: 14 जनवरी को ही आता है।
क्या करें मकर संक्रांति पर ?
इस दिन पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान, दान, देव कार्य एवं मंगलकार्य करने से विशेष लाभ होता है। महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह ने भी प्राण त्यागने के लिए इस समय अर्थात सूर्य के उत्तरायण होने तक प्रतीक्षा की थी। सूर्योदय के बाद खिचड़ी आदि बनाकर तिल के गुड़वाले लडडू प्रथम सूर्यनारायण को अर्पित करने चाहिए, बाद में दानादि करना चाहिए। अपने नहाने के जल में तिल डालने चाहिए। मंत्र: ओम नमो भगवते सूर्याय नम: या ओम सूर्याय नम: का जाप करें। माघ माहात्म्य का पाठ भी कल्याणकारी है। सूर्य उपासना कल्याणकारी होती है।
सूर्य ज्योतिष में हडिड्यों के कारक भी हैं। अत: जिन्हें जोड़ों के दर्द सताते हैं या बार-बार दुर्घनाओं में फ्रैक्चर होते हैं, उन्हें इस दिन सूर्य को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए। इस दिन पतंग उड़ाने की प्रथा भी इसीलिए बनाई गई, ताकि खेल के बहाने सूर्य की किरणों को शरीर में अधिक ग्रहण किया जा सके। देव स्तुति, पितरों का स्मरण करके तिल, गुड़, गर्म वस्त्रों कंबल आदि का दान जनसाधारण, अक्षम या जरूरतमंदों या धर्मस्थान पर करें। माघ मास माहात्म्य सुनें या करें। इस दिन को धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुणा फल देता है।
उत्तर भारत में इस त्योहार को माघ मेले के रूप में मनाया जाता है तथा इसे दान पर्व माना जाता है। 14 दिसम्बर से 14 जनवरी तक खर मास या मल मास माना जाता है, जिसमें विवाह संबंधी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। अत: 14 जनवरी से अच्छे दिनों का आरंभ माना जाता है।
मकर संक्राति के स्नान से लेकर शिवरात्रि तक स्नान किया जाता है। इस दिन खिचड़ी सेवन तथा इसके दान का विशेष महत्व है। इस दिन को खिचड़ी भी कहा जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन गुड़-तिल बांटने की प्रथा है। यह बांटने के साथ साथ मीठा बोलने के लिए भी आग्रह किया जाता है।
गंगा सागर में भी इस मौके पर मेला लगता है। कहावत है- सारे तीरथ बार-बार, गंगा सागर एक बार। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में चार दिन मनाते हैं और मिट्टी की हांडी में खीर बनाकर सूर्य को अर्पित की जाती है। पुत्री तथा जंवाई का विशेष सत्कार किया जाता है। असम में यही पर्व भोगल बीहू हो जाता है।
संक्राति पर धार्मिक दृष्टि
शास्त्रों में दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मक समय तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। पौराणिक संदर्भ में मान्यता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उनके गृह आते हैं। मकर राशि के स्वामी चूंकि शनिदेव हैं, इसलिए भी इसे मकर संक्राति कहा जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने देह त्याग का समय यही चुना था। भारत में यशोदा जी ने इसी संक्रान्ति पर श्रीकृष्ण को पुत्र रूप में प्राप्त करने का व्रत लिया था। इसके अलावा यही वह ऐतिहासिक एवं पौराणिक दिवस है जब गंगा नदी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगासागर तक पहुंची थी।
मान्यता है कि मकर संक्रान्ति पर यज्ञ या पूजापाठ में अर्पित किए गए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देव व पुण्यात्माएं धरती पर आती हैं। यह संक्रान्ति काल मौसम के परिवर्तन और इसके संक्रमण से भी बचने का है। इसीलिए तिल या तिल से बने पदार्थ खाने व बांटने से मानव शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल उबटन, तिल भोजन, तिल दान, गुड़-तिल के लडडू मानव शरीर को सर्दी से लड़ने की क्षमता देते हैं। इस दिन खिचड़ी के दान तथा भोजन को भी विशेष महत्व दिया गया है। उत्तर प्रदेश के लोग इसे ‘खिचड़ी’ के रूप में मनाएंगे और महाराष्ट्रीयन ‘ताल-गूल’ नामक हलवा बाटेंगे। बंगाल से आए लोग भी तिल दान करेंगे।
विदेश में मकर संक्रांति
भारत ही नहीं, अपितु सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मौसम में आए परिवर्तन को आज भी रोम में खजूर, अंजीर और शहद बांटकर मनाया जाता है। तिल के महत्व को प्राचीन ग्रीक के लोग भी मानते थे और वर-वधू की संतान वृद्धि के लिए तिल के पकवानों को खिलाते थे। इस पर्व को देश के हर राज्य में अपने तरीके से मनाया जाता है। गुजरात व राजस्थान में यह उत्तरायण पर्व है तो उत्तर प्रदेश में खिचड़ी है। तमिलनाडु में पोंगल तो आंध्रा में तीन दिवसीय पर्व है। बंगाल में गंगा सागर का मेला है तो पंजाब में एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है। असम में बिहु के नाम से त्योहार मनाया जाता है।
आपकी चंद्र राशि पर मकर संक्रांति का प्रभाव, दान एवं उपाय
मेष : पदोन्नति की संभावना, सरकार से लाभ, धनाागमन, प्रतिष्ठितजनों से मित्रता के योग हैं। चहुंमुखी विकास होगा। विद्युत उपकरण खरीदें। ओम् सूर्याय नम: का जाप करें। गुड़ व गेहूं का दान करें।
वृष: सुख-साधन बढ़ेंगे। मकान, वाहन का क्रय अत्यंत शुभ रहेगा। दूध-दही सफेद वस्तुओं का दान करें। मिथ्यारोप, धन हानि, अत्याधिक व्यय, राज्य पक्ष से चिंता हो सकती है। कनक दान करें।ॉ
मिथुन: परिवार में सदस्यों की वृद्धि, संतान प्राप्ति संभावित। हरी सब्जी, हरी मूंग की दाल या हरे फल, मिठाई दान करें। कंप्यूटर, मोबाइल ले सकते हैं। शारीरिक व्याधि, ज्वर, मानहानि, पत्नी को पीड़ा दे सकता है। गुड़ का हलवा गरीबों को खिलाएं।
कर्क: फ्रिज, एसी, वाटर प्योरिफायर या वाटर कूलर खरीदें। सिर पीड़ा, उदर रोग, धन हानि, यात्रा, शत्रुओं से झगड़ा आदि दिखता है। सूर्य को तिल डालकर जल अर्पित करें। चावल का दान लाभ देगा।
सिंह: सूर्य की उपासना करें। सरकार से लाभ होगा। ओम् घृणि सूर्याय नम: का जाप करें। सोने के आभूषण या गोल्ड क्वाइन खरीदना धन वृद्धि करेगा। शत्रुओं पर विजय, कार्यसिद्धि, रोग नाश, सरकार से लाभ, वस्त्र का क्रय आदि करवाता है सूर्य। गेहूं या बेकरी आयटम का दान करें।
कन्या: जल में तिल डालकर स्नान करें। नया मोबाइल, ब्रॉडबैंड कनेक्शन, टीवी तथा संचार संबंधी उपकरण खरीदें। क्रेडिट कार्ड या ऋण लेकर कुछ न खरीदें। किसी प्रियजन को मोबाइल भेंट करें या जरूरतमंद को दान करें। सूर्य संतान से चिंता दे सकता है। यात्रा ध्यान से करें, संतान की सेहत का ध्यान रखें, वाद-विवाद से बचें, मतिभ्रम न होने दें। जल में तिल डालकर नहाएं। गााय को चारा दें।
तुला: हर तरफ से धन धान्य की प्राप्ति। तिल का उबटन लगाएं। इस अवसर पर चांदी खरीदें और वर्षांत तक मालामाल हो जाएं। जमीन-जायदाद संबंधी समस्याएं, मान हानि, घरेलू झगड़ों से परेशानी, शारीरिक कमजोरी। खिचड़ी और खीर का दान करें।
वृश्चिक: रुका धन आने की संभावना। कोर्ट केस में विजय। शत्रु दबे रहेंगे। इलैक्ट्रॉनिक आइटम खरीदें। गजक, रेवड़ी का दान फलेगा। रोग मुक्ति, राज्यपक्ष मजबूत, मान-प्रतिष्ठा की प्राप्ति, पुत्र व मित्रों, समाज से सम्मान मिलेगा। जल में गुड़ डालकर सूर्य को अर्पित करें।
धनु: शिक्षा क्षेत्र, कंपीटीशन आदि में सफलता। सोने का सिक्का या मूर्ति सामथ्र्यानुसार खरीद कर पूजा स्थान पर स्थापित करें। खिचड़ी स्वयं बनाकर 9 निर्धन मजदूरों को खिलाएं। सिर, नेत्र पीड़ा, दुष्ट लोगों से मिलन, व्यापार हानि, संबंधियों से वैमनस्य हो सकता है। नेत्रहीनों को भोजन करवाएं। चने की दाल का दान करें।
मकर: गरीबों में सवा किलो चावल और सवा किलो काले उड़द या इसकी खिचड़ी दान करें। सूर्य का गोचर मान हानि, कायों में देरी, उद्देश्यहीन भ्रमण, मित्रों से मनमुटाव, सेहत खराब कर सकता है। तांबे के बर्तन धर्मस्थान पर दान दें।
कुंभ: विदेश यात्रा, नेत्र कष्ट, अधिक व्यय, पद की हानि करवा सकता है। सूर्य का गोचर। मरीजों को मीठा दलिया खिलाएं। काला-सफेद कंबल या गर्म वस्त्र दान करें।
मीन: सूर्य का भ्रमण धन लाभ, नवीन पद, मंगल कार्य, राज्य कृपा, तरक्की, धन प्राप्ति देता है। वाहन सुख। प्रापर्टी का बयाना देना या बुकिंग, दीर्घकालीन निवेश के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त। तिल के लडडू या बेसन से बनी चीजें दान करें।
- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद, 458 सेक्टर-10, पंचकूला। फोनः 09815619620