हरियाणा में भी सुधरा लिंगानुपात: जानिए अब 1000 लड़कों पर कितनी लड़कियां

CHANDIGARH: कोविड-19 महामारी के संकट के बावजूद वर्ष 2014 में प्रति 1,000 लडक़ों पर 871 लड़कियों की तुलना में वर्ष 2020 में यह आंकडा 922 पर पहुंच गया है। गत छह साल की अवधि में हरियाणा राज्य ने 30,000 कन्याओं के जीवन की कोख में रक्षा की है, जबकि वर्ष 2020 में 8,000 लडकियों को बचाया गया।

कोविड-19 के कारण विभिन्न दिक्कतों के बावजूद उत्कृष्ट उपलब्धि पर सराहना करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सभी जिला उपायुक्तों , स्वास्थ्य, पुलिस, अभियोजन महिलाओं और बाल विकास के सभी विभागों, अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी।

इनमें फूड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, सिविल सोसायटी और एनजीओ जिनकी प्रतिबद्धता और समर्पित प्रयासों ने राज्य को लिंगानुपात बढ़ाने और अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण स्थापित कर अच्छे परिणाम प्राप्त करने में मदद की है। भविष्य के लक्ष्यों को साझा करते हुए मनोहर लाल ने कहा कि हमने 2021 के दौरान 935+ का लिंगानुपात हासिल करने का लक्ष्य रखा है, जो कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लड़ाई जारी रखते हुए पूरा किया जाएगा।

छह साल की अवधि में राज्य सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या के खतरे को रोकने के लिए कई कदम उठाए। इनमें बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम, टीमों का गठन, भ्रूणों के अवैध लिंग-परीक्षण और अवैध गर्भपात में लिप्त केंद्रों की पहचान करना और अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना, अन्य पूर्व-नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग की रोकथाम) पीएनडीटी अधिनियम के उल्लंघन के बारे में जानकारी साझा करने वालों को प्रोत्साहन और अंतर-राज्यीय छापेमारी के साथ-साथ स्टिंग ऑपरेशन आयोजित करना शामिल रहे।

इस संबंध में जानकारी देते हुए बेटी बचाओ, बेटी पढाओ कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं पर रोक लगाना है। कोविड-19 महामारी ने वर्ष 2020 में एक स्पंज के रूप में काम किया। अभियान ने पिछले साल अगस्त (2020) में गति प्राप्त की और 2019 के दौरान 77 की तुलना में वर्ष 2020 में कुल 100 प्राथमिकी दर्ज की गई। इस संबंध में अधिक जानकारी साझा करते हुए गुप्ता ने कहा कि राज्य के भीतर और बाहर अवैध पीएनडीटी और एमटीपी केंद्रों के खिलाफ पीसी-पीएनडीटी / एमटीपी अधिनियम के तहत नियमित रूप से बड़े पैमाने पर छापे पडऩे के कारण यह संभव हुआ। इस कारण 100 आपराधिक मामले दर्ज हुए। दिल्ली, पंजाब, यूपी और राजस्थान में अंतरराज्यीय छापे के बाद 40 ऐसे मामले पकड़े गए। केवल गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में अधिकतम 11 एफआईआर के साथ अंतर-राज्यीय छापे के बाद 20 से अधिक एफआईआर दर्ज की गईं।

पीएनडीटी अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के जिलेवार विवरणों पर गुप्ता ने कहा कि जिन जिलों में दशकों तक लिंगानुपात 900 से कम था, उनमें से अधिकांश लिंगानुपात अब 920+ हो गया है, जबकि राज्य के 22 जिलों में से 20 जिलों में लिंगानुपात 900 या 900+ हैं। उन्होंने कहा कि सिरसा जिला में लिंगानुपात 949 है। उन्होंने कहा कि 2020 के दौरान कुल 5,37,996 जन्म पंजीकृत किए गए, जिनमें 2,79,869 लडकियां और 2,58,127 लडक़े शामिल हैं।

पीएनडीटी अधिनियम के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदमों के बारे में बताते हुए गुप्ता ने कहा कि जागरूकता कार्यक्रमों के अलावा, राज्य में और पड़ोसी राज्यों में अवैध लिंग निर्धारण केंद्रों, अवैध गर्भपात केंद्रों पर कई स्टिंग ऑपरेशन, औचक निरीक्षण किए गए।

उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों में 840 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें पड़ोसी राज्य यूपी, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड की225 एफआईआर शामिल हैं और लगभग 3,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा, राज्य सरकार ने एक ‘मुखबिर प्रोत्साहन योजना’ शुरू की, जिसमें राज्य के किसी भी हिस्से में लिंग परीक्षण के बारे में जानकारी देने वाले मुखबिर को एक लाख का इनाम दिया गया, जिससे इस अपराध में शामिल अपराधियों के गिरोह का पर्दाफाश करने में मदद मिली।

error: Content can\\\'t be selected!!