सरकार किसानों से बातचीत नहीं, उन्हें अपमानित कर रही: दीपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा

कहा- चौ. छोटू राम ने किसानों को आजादी से पहले जिस गरीबी के गर्त से निकाला था, तीनों नए कृषि कानून किसानों को उसी गरीबी के दलदल में धकेल देंगे’

CHANDIGARH: सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज किसानों व मजदूरों के मसीहा, रहबर-ए-आज़म चौ. सर छोटूराम जी की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि चौ. छोटू राम जी ने किसानों को आजादी से पहले जिस गरीबी के गर्त से निकाला था, तीनों काले कानून किसानों को उसी गरीबी के दलदल में धकेल देंगे। किसानों की मांगे न मानकर और एक के बाद एक तारीख देकर सरकार अपने अहंकार को दर्शा रही है। सरकार किसानों से बातचीत नहीं बल्कि उन्हें अपमानित करने का काम कर रही है। 60 किसानों की शहादत के बावजूद किसानों के सब्र का बांध नहीं टूटा, सरकार को इस अनुशासित आंदोलन की कद्र करनी चाहिए।

आज अगर किसान जमीन का मालिक है तो इसका पूरा श्रेय छोटूराम जी को 
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि चौ. छोटू राम जी ने उन्होंने पराधीन भारत में कृषि की समस्याओं के निदान के लिए संघर्ष किया एवं किसानों एवं मजदूरों के हित में कानून बनवाने का काम किया। गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट-1938 से किसानों को ज़मीन के अधिकार मिलने का रास्ता साफ़ हुआ। आज अगर किसान जमीन का मालिक है तो इसका पूरा श्रेय छोटूराम जी को जाता है। उन्होंने आजादी से पहले कर्जा वसूली के लिये जमीन की नीलामी पर रोक लगायी थी। चौ. छोटूराम से प्रेरणा लेकर ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार ने कर्ज न चुका पाने वाले किसानों की जमीन की नीलामी वाले काले कानून को खत्म किया था। 

चौ. छोटूराम की प्रेरणा से ही पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार ने कर्ज न चुका पाने वाले किसानों की जमीन नीलामी वाले काले कानून को खत्म किया 
इसके अलावा, पंजाब रिलीफ़ इंडेब्टनेस एक्ट 1934, पंजाब डेब्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट 1936, साहूकार पंजीकरण एक्ट- 1938, गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट-1938, कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम -1938, व्यवसाय श्रमिक अधिनियम- 1940 और कर्जा माफी अधिनियम- 1934 कानूनों के जरिये किसानों के मूलभूत अधिकारों को सुनिश्चित किया गया। कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम से किसानों को उनकी उपज की सही क़ीमत मिलने की क़ानूनी व्यवस्था बनी। आज मौजूदा सरकार 3 किसान विरोधी कानून बनाकर उसी व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने के प्रयास कर रही है। जिसका देशभर के किसान और किसान संगठन पुरजोर विरोध कर रहे हैं। 

किसानों की मांगें न मानकर और एक के बाद एक तारीख देकर सरकार अपने अहंकार को दर्शा रही 
उन्होंने कहा कि कहा कि छोटूराम जी ने पद की लालसा छोड़कर हमेशा ग़रीबों व किसानों के हकों की लड़ाई लड़ी। वे अंग्रेज हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ़ न तो बोलने से डरते थे और न ही लिखने से। चौ. छोटूराम जी को नैतिक साहस की मिसाल माना जाता है। उनके लिए गरीब और जरुरतमन्द किसानों की भलाई हर एक राजनीति, धर्म और जात-पात से ऊपर थी। आज देश का अन्नदाता किसान पुत्र छोटू राम जी के बताये रास्ते पर अपने हक़ की आवाज़ उठा रहा है और शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहा है। किसानों का ये संघर्ष व बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा। सरकार को अपना घमंड छोड़ना ही होगा और किसानों की बात माननी ही होगी। 

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