7 हॉस्टल बनाएगी सरकार, बस किराए में महिलाओं को 50 प्रतिशत छूट भी जल्द मिलेगी
CHANDIGARH: कामकाजी औरतों को सुरक्षित और सुविधाजनक निवास प्रदान करने के लिए सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कामकाजी औरतों के लिए 50 करोड़ रुपए की लागत के साथ सात नये होस्टलों का निर्माण करने का फ़ैसला लिया गया है, जिसमें उनके बच्चों के लिए दिन भर देख-रेख की सुविधा मुहैया करवाई जायेगी।
औरतों के लिए सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण के बाद इस फ़ैसले को महिला सशक्तिकरण की तरफ विभाग की दूसरी बड़ी पहलकदमी बताते हुए सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री अरुणा चौधरी ने बताया कि यह विशेष होस्टल पहले पड़ाव के दौरान जालंधर, पटियाला, मोहाली, मानसा, बरनाला, लुधियाना और अमृतसर में बनाए जाएंगे और इन होस्टल में रिहायश अपने घरों से दूर काम करने वाली औरतों को दी जायेगी। उन्होंने कहा कि बाकी जि़ले अगले पड़ाव में कवर किये जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि मोहाली के होस्टल के लिए ज़मीन अलॉट कर दी गई है, जबकि जालंधर के होस्टल के लिए फंड जारी कर दिए गए हैं और मानसा एवं अमृतसर के होस्टलों सम्बन्धी प्रस्ताव प्राप्त हो गए हैं जोकि प्रक्रिया अधीन हैं। इसी तरह बाकी होस्टलों के लिए अनुदान अगले वित्तीय वर्ष में जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मैट्रो शहरों की तजऱ् पर पंजाब के अलग-अलग जिलों में इन होस्टलों के निर्माण के लिए अनुमानित 50 करोड़ रुपए का बजट अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि पंजाब में कामकाजी औरतों के लिए पहले ही 9 होस्टल चल रहे हैं।
पंजाब भवन में आज एक प्रैस कॉन्फ्रेंस के दौरान चौधरी ने बताया कि सरकारी बसों में सभी औरतों को किराए में 50 प्रतिशत की छूट का फ़ैसला लागू करने में कोविड संकट के कारण देरी हुई है, अब इस फ़ैसले को जल्द लागू कर दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले औरतों को 60 साल की उम्र होने पर ही यह सुविधा मिलती थी।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि जि़ला बरनाला और मानसा में हरेक के लिए 5.56 करोड़ रुपए की लागत के साथ दो सरकारी वृद्ध आश्रमों के निर्माण सम्बन्धी प्रक्रिया प्रगति अधीन है और इन वृद्ध आश्रमों के निर्माण के लिए फंड लोक निर्माण विभाग को जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने आगे बताया कि राज्य में सीनियर सिटिजऩ, वैलफेयर एंड मेन्टेनैंस एक्ट के अधीन जि़ला होशियारपुर में एक वृद्ध आश्रम सरकार द्वारा चलाया जा रहा है और 50 वृद्ध आश्रम एनजीओज़ द्वारा चलाए जा रहे हैं, जहाँ 1409 बुज़ुर्गों का बसेरा है। प्रैस कॉन्फ्ऱेंस के मौके पर उनके साथ प्रमुख सचिव राज़ी पी श्रीवास्तव, डायरैक्टर विपुल उज्जवल, संयुक्त सचिव विम्मी भुल्लर, अतिरिक्त निदेशक लिल्ली चौधरी, डिप्टी डायरैक्टर गुरजिन्दर सिंह मोड़, डिपटी डायरैक्टर रूपिंदर कौर और जि़ला प्रोग्राम अफ़सर सुखदीप सिंह उपस्थित थे।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि बुढापा पैंशनें, विधवाओं और बेसहारा महिलाओं, आश्रित बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों से सम्बन्धित 25,54,473 लाभपात्रियों को नवंबर 2020 तक 1695.93 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान पैंशन स्कीमों के अधीन 1,22,274 नये लाभपात्री शामिल किये गए। उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा तेज़ाब हमले की पीडि़तों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 8,000 रुपए प्रति महीना की वित्तीय सहायता भी मुहैया करवाई गई और इस स्कीम के अंतर्गत कुल 24 लाभपात्रियों को लाभ दिया गया।
चौधरी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान सभी जिलों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंकों के द्वारा पैंशनों की बाँट की गई। बैंकों द्वारा सामाजिक दूरी के प्रोटोकॉलों की पालना करते हुए अपने व्यापार संवाददाताओं/डाकघरों के द्वारा पैंशन की रकम लाभपात्रियों के घर-घर मुहैया करवाई गई।
यू.डी.आई.डी. कार्ड जारी करने में बढिय़ा कारगुज़ारी वाला राज्य बना पंजाब
समाजिक सुरक्षा मंत्री ने कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन/कफ्र्यू के बावजूद दिव्यांग व्यक्तियों को 42,699 यू.डी.आई.डी. कार्ड जारी किये गए हैं और पंजाब इस प्रोजैक्ट में बढिय़ा कारगुज़ारी वाले राज्यों में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों को बाकी बचे यु.डी.आई.डी. कार्ड मुहैया कराने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डिप्टी कमिश्नरों को माहवार मीटिंगों के द्वारा यू.डी.आई.डी. प्रोजैक्ट की प्रगति का जायज़ा लेने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही सिविल सर्जनों को पहल के आधार पर ऑफलाईन जारी किये सर्टीफिकेटों को डिजीटाईज़ करने और ऑनलाइन अपलोड किये मामूली त्रुटियों वाले दस्तावेज़ों को नज़रअंदाज़ करते हुए कम से कम अजिऱ्याँ रद्द की जाएँ। इसके अलावा सभी जि़ला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी दिव्यांग व्यक्तियों की वित्तीय सहायता स्कीम के लाभपात्रियों को यू.डी.आई.डी. पोर्टल में रजिस्टर करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, डी.ई.ओ. (एलिमेंट्री और सेकेंडरी) सरकारी स्कूल दिव्यांग विद्यार्थी यू.डी.आई.डी. पोर्टल पर रजिस्टर कर रहे हैं।
मंत्री ने आगे कहा कि पोर्टल पर 2,77,801 अर्जिया प्राप्त हुई हैं। इनमें से अब तक 1,62,263 यू.डी.आई.डी. कार्ड योग्य दिव्यांग व्यक्तियों को जारी किये गए हैं।
चौधरी ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने हाल ही में पंजाब दिव्यांगजन सशक्तिकरण योजना (पी.डी.एस.वाई.) को राज्य के दिव्यांगजन के सशक्तिकरण के लिए और उनको सुखद वातावरण मुहैया करवाने के लिए मंज़ूरी दी है।
कोविड के दौरान 10,77,020 लाभपात्रियों को घर-घर जाकर उपलब्ध करवाई गई पौष्टिक खुराक
कैबनिट मंत्री ने कहा कि राज्य में बच्चों पर माताओं की सेहत, पोषण और सीखने के मौकों को बढ़ाने के लिए 155 आई.सी.डी.एस. ब्लॉकों में 27,314 आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिए 140 करोड़ रुपए जारी किये गए हैं। विभाग ने इस समय के दौरान निर्विघ्न ढंग से घर-घर जाकर पौष्टिक ख़ुराक, जिसमें मीठा दलिया, मीठे चावल और पंजीरी शामिल हैं, 10,77,020 लाभपात्रियों को इसके साथ-साथ मनोवैज्ञानिक सहायता और पोषण सम्बन्धी सलाह दी। इसके अलावा आंगणवाड़ी केन्द्रों में जा रहे 3-6 साल की उम्र समूह के बच्चों को सुबह की ख़ुराक के तौर पर हलवा और पंजीरी मुहैया करवाई जाती है।
बाल कल्याण स्कीमों संबंधी जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि साल 2020-21 में स्पांसरशिप स्कीमों के अंतर्गत 551 बच्चों को प्रति बच्चा 2000 रुपए मुहैया करवाए गए थे। जो बच्चों को बेसहारा/कमज़ोर होने, घर से भागने और जबरन बाल विवाह कराने से बचाने, बाल मज़दूरी के लिए मजबूर करने आदि की रोकथाम में मददगार साबित होंगी। इसी तरह साल 2020-21 के दौरान बच्चों को गोद लेने सम्बन्धी स्कीम के अंतर्गत 37 बच्चे देश के अंदर गोद लिए गए और 5 बच्चे स्पेन में गोद लिए गए। जि़ला टास्क फोर्स द्वारा बच्चों को भिक्षा मांगने से रोकने के लिए मारे छापे के दौरान 190 बच्चों को और बाल मज़दूरी वाले स्थानों पर मारे छापे में 155 बच्चों को बचाया गया। बच्चों को उनके माँ बाप के पास भेज दिया गया और उनको स्कूलों में दाखि़ल करवाया गया था और बाकायदा पालन-पोषण किया जा रहा है। इसके साथ ही विशेष तौर पर तालाबन्दी के दौरान 32 बाल विवाह रोके गए। चाइल्ड हेल्पलाईन नंबर (1098) पर कुल 3576 केस प्राप्त हुए, जिनमें से 250 मामलों को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया। चाइल्ड हेल्पलाईन मैंबर द्वारा उचित कार्यवाही के बाद 1069 मामलों का निर्णय कर दिया गया। 35 बच्चों को माँ बाप के साथ मिलाया और 9 बच्चों का पुनर्वास किया गया। चाइल्ड हेल्पलाईन पर प्राप्त हुए बहुसंख्यक मामले साधारण पूछ-पड़ताल या ज़रूरी सेवाओं की ज़रूरत सम्बन्धी थे।
प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना के अंतर्गत 3,40,727 लाभपात्रियों को 142.96 करोड़ रुपए दिए
अरुणा चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना के अंतर्गत कुल 3,40,727 लाभपात्रियों को 142.96 करोड़ रुपए का लाभ दिया गया है, जिसके अंतर्गत पहले बच्चे के जन्म के समय 19 साल या इससे अधिक उम्र की औरतों को 3 किस्तों में योजना के अधीन ख़ास शर्तों के अंतर्गत 5000 रुपए की राशि दी जा रही है।
डिजिटल पेरैंट मार्गदर्शक प्रोग्राम ने एक लाख परिवार तक पहुँच की
कैबनिट मंत्री ने बताया कि विभाग ने बच्चों के विकास की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सकारात्मक और पालन पोषण वाला वातावरण सृजन करने के लिए डिजिटल पेरैंट मार्गदर्शक प्रोग्राम शुरू किया है, जिसने 6 दिनों के साप्ताहिक सर्कल के द्वारा 150 से अधिक गतिविधियां करवाकर तीन महीनों के बीच 1,00,000 से अधिक परिवारों के बच्चों तक पहुँच की। उन्होंने कहा कि इस रोचक सामग्री को राज्य भर के इन परिवारों ने तकरीबन 15000 घंटे देखा है।