हरियाणा में व्यवस्था परिवर्तन का आधार बनेगा परिवार पहचान पत्रः सीएम
12 लाख परिवारों के आय सम्बन्धी दावे की जांच 31 जनवरी तक पूर्ण करने के दिए निर्देश
CHANDIGARH: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का आधार बनेगा। मुख्यमंत्री परिवार पहचान पत्र के सम्बंध में प्रदेश के अतिरिक्त उपायुक्तों की हरियाणा निवास पर आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) पर सत्यापित डाटा सरकारी सेवाओं का लाभ देने का आधार बनेगा।
अभी तक 114 सरल सेवाओं को पीपीपी से जोड़ा जा चुका है। बहुत जल्द प्रदेश में 544 सेवाओं का लाभ पीपीपी के तहत ही दिया जाएगा। मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल को भी 11 जनवरी से पीपीपी से जोड़ दिया जाएगा।उन्होंने कहा कि सरकारी वित्तपोषित योजनाओं में भ्रष्टाचार को खत्म करने का काम भी पीपीपी के माध्यम से होगा। उन्होंने कहा कि अंत्योदय हमारी सरकार की पहली प्राथमिकता है। इसलिए परिवार पहचान पत्र के लिए चल रही प्रक्रिया को ईमानदारी और शुचिता के साथ पूर्ण किया जाना अति आवश्यक है।
इस योजना के अंतर्गत स्वयं को 50 हजार रुपये से कम की सालाना आमदनी वाला बताने वाले 12 लाख परिवारों की आय सम्बन्धी दावे की जांच 31 जनवरी तक पूर्ण करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए। इस जांच के लिए लोकल कमेटियां गठित की जाएंगी। इन कमेटियों का गठन 11 से 13 जनवरी के बीच करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए।
इन कमेटियों में एक सरकारी अधिकारी ग्रुप बी या सी रैंक का होगा। इनके साथ कमेटी में एक ऑपरेटर, एक कॉलेज विद्यार्थी, एक सामाजिक कार्यकर्ता (इन्हें उपायुक्त नामित करेगा) और एक वालंटियर शामिल होगा। यह कमेटी 250 से 300 घरों में जाकर जांच करेगी। प्रत्येक 15 कमेटियों पर एक अधिकारी लगाया जाएगा जो नागरिक संसाधन एवं सूचना विभाग (CRID) की डेपुटेशन पर अतिरिक्त उपायुक्त के नेतृत्व में कार्य करेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है, जहां पर हर व्यक्ति के विकास के लिए परिवार पहचान पत्र योजना पर काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों का आर्थिक विकास हमारा लक्ष्य है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए परिवार पहचान पत्र एक मील पत्थर साबित होगा।अतिरिक्त उपायुक्तों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का उद्देश्य लोगों पर शासन करना नहीं बल्कि अंत्योदय है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन का सपना पूरा करने के लिए 25 दिसम्बर 2014 को हमारी सरकार ने सीएम विंडो की शुरुआत की थी ताकि व्यवस्था में पारदर्शिता आये। जमीन के ई रजिस्ट्रेशन की शुरुआत भी इसी का हिस्सा है। लोगों की हर समस्या का समाधान घर बैठे ही हो, ऐसी सोच के साथ इस व्यवस्था को लागू किया गया था। कोविड-19 के दौरान हमारी पहले से लागू की गई यह व्यवस्था सही साबित हुई।
उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की व्यवस्था बनाने के बाद अब हम ईज ऑफ लिविंग की तरफ बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कमेटियों की जांच के बाद योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचेगा। आय सम्बन्धी दावे की जांच के साथ ही पीपीपी में दर्ज किए गए जाति विवरण की जांच भी की जाएगी। यह जांच पटवारी करेगा और पीपीपी में डाटा वेरिफाई करेगा। यह डाटा अपडेट होने के बाद जाति प्रमाण पत्र के लिए कहीं भी चक्कर लगाने नहीं पड़ेंगे। हर जिले का अतिरिक्त उपायुक्त इस सारे कार्य की निगरानी करेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डीएस ढेसी, सीएम के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल, उप प्रधान सचिव आशिमा बराड़, नागरिक संसाधन एवं सूचना विभाग की सचिव सोफिया दहिया एवं विभाग की अतिरिक्त सचिव रानी नागर मुख्य रूप से उपस्थित रहे।