CHANDIGARH: आज मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल-2020 के पहले दिन ‘क्लैरियन कॉल वीडीयोज़ -जोश और जज़्बा ऐपीसोडज़’ सैशन के दौरान कोहिमा की जंग, ऑपरेशन मेघदूत, गोरखा विरासत और राफेल एयरक्राफ्ट आदि के कई पहलूओं को उभारा गया।
ऑनलाइन हुए इस शैसन के दौरान क्लैरियन कॉल बारे जानकारी देते हुए प्रशासनिक टीम के नेता मेजर बिक्रमजीत और अराधिका ने बताया कि इस शैसन का मुख्य मकसद आज की नौजवान पीढ़ी को भारतीय सैनिकों द्वारा विभिन्न युद्धों में दिखाई वीरत और देश के लिए किए गए बलिदानों से अवगत करवाना और उनको सेना में आने के लिए प्रेरित करना है।
इस मकसद के लिए ऑडियो-विजुअल तकनीक का प्रयोग करते हुए ‘द बैटल ऑफ कोहिमा’, ‘ऑपरेशन मेघदूत’, ‘द लैगेसी ऑफ द गोरखा सोल्जर’ और ‘द राफेल एयर क्राफ्ट’ आदि विषयों पर डॉक्यूमेंटरी फि़ल्में दिखाई गईं।‘द बैटल ऑफ कोहिमा’ के साथ सम्बन्धित दिखाई गई पहली डॉक्यूमेंटरी फि़ल्म के दौरान यह दिखाया गया कि जापान की तरफ से दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रणनीतक दृष्टि से अहम कोहिमा पुल पर कब्ज़ा करने के मकसद से हमला किया गया था।
इस क्षेत्र पर कब्ज़े के लिए जापान की तरफ से तीन बार हमले किये गए। यह जंग 4 अप्रैल, 1944 से 22 जून 1944 तक जारी रही थी। इस जंग के दौरान इंफाल में तैनात चौथी कॉप्र्स के भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों ने साझे तौर पर कार्यवाही करते हुए जापानी कार्यवाही का मुँहतोड़ जवाब दिया था।‘ऑपरेशन मेघदूत’ सम्बन्धी दिखाई गई दूसरी डॉक्यूमेंटरी फि़ल्म में जानकारी दी गई कि ‘ऑपरेशन मेघदूत’ भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित सियाचिन ग्लेशियर पर कब्ज़े के लिए भारतीय सैनिकों की तरफ से किये गए ऑपरेशन का नाम-कोड था। यह ऑपरेशन 13 अप्रैल, 1984 को शुरू किया गया था।
यह ऑपरेशन दुनिया भर में विलक्षण इसलिए था, क्योंकि दुनिया के सबसे ऊँचाई वाले क्षेत्र में पहली बार किये हमले से सम्बन्धित था। सैनिकों की तरफ से कार्यवाही के कारण भारी सैनिकों ने पूरे सियाचिन पर कब्ज़ा कर लिया था। आज भारतीय सैनिकों की तैनाती के स्थान को ही ‘एक्चुअल ग्राउंड पॉज़ीशन लाईन’ (ए.जी.पी.एल.) कहा जाता है।‘द लैगेसी ऑफ द गोरखा सोल्जर’ से सम्बन्धित दिखाई तीसरी गई फि़ल्म के दौरान उभारा गया कि बहादुरी का दूसरा नाम गोरखा है और गोरखे से भाव पक्के इरादे वाले से लिया जाता है।
इस फि़ल्म में बताया कि महाराजा रणजीत सिंह ने गोरखा नौजवानों की बहादुरी की विरासत के कारण ही उनको अपनी सेना में शामिल किया था। इस दौरान यह पक्ष उभारा गया कि गोरखा नौजवान अपनी जि़म्मेदारी निभाने के दौरान मर-मिटने की इच्छा से भरे होते हैं। इस दौरान बताया गया कि गोरखा नौजवानों के लिए प्रशिक्षण प्रक्रिया काफी मुश्किल होती है, जिस कारण वह जंग के दौरान पूरी सामथ्र्य के साथ जूझते हैं।‘द राफेल एयर क्राफ्ट’ से सम्बन्धित दिखाई गई चौथी और आखिरी डॉक्यूमेंटरी फि़ल्म के दौरान यह पक्ष उभारा गया कि भारतीय वायु सेना की ताकत बढ़ाने के मकसद से राफेल एयरक्राफ्ट भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल किये जा रहे हैं।
इन जहाजों की लडऩे की सामथ्र्य बारे रौशनी डालते हुए यह पक्ष उभारा गया कि यह 4.5 जनरेशन से सम्बन्धित राफेल एयरक्राफ्ट 4700 किलो तक भार ले जाने का सामथ्र्य रखते हैं और इनकी आम रेंज 300 किलोमीटर तक की है। इस फि़ल्म में दिखाया गया कि फ्रांस की तरफ से भेजे राफेल के पहले सैट में 5 एयरक्राफ्ट अम्बाला एयर बेस पर पहुँच चुके हैं जबकि बाकी बचे साल 2021 में देने का फ्रांस ने भरोसा दिया है। इस दौरान यह पक्ष भी उभारा गया कि राफेल भारत और भारतीय सेना के लिए गर्व की बात है।