21 दिसम्बर को साल का सबसे छोटा दिन और लंबी रात होगी, जानें क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

ANews Office:  दिसंबर संक्रांति ने प्राचीनकाल से आज तक दुनियाभर की संस्कृतियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस साल दिसंबर में ही 19 तारीख को श्रीराम विवाहोत्सव श्री पंचमी, 25 को मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती, क्रिसमस तथा 29 दिसम्बर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा पड़ रही है। भारत में 25 दिसम्बर को यीशू के जन्म दिवस के कारण धार्तिक तौर पर इसे बड़ा दिन कहा जाता है, जबकि दिन छोटे ही होते हैं। यहां तक कि क्रिसमस जैसा पर्व भी दिसम्बर संक्रांति के दायरे में आकर इससे निकटता से जुड़ा हुआ है।

जून संक्रांति से जुड़े रीति-रिवाजों के साथ-साथ वसंत और शरद ऋतु से जुड़ी परंपराएं भी हैं। कुछ समुदाय पारंपरिक रूप से इसका स्‍वागत करते हैं और कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं। इस खगोलीय घटना के बाद ही हिमपात होने व ठंड चमकने की संभावना बढ़ जाती है। विंटर सोल्‍सटाइस के बाद ही क्रिसमस का त्‍योहार आता है, इसलिए इसका धार्मिक एवं सांस्‍कृतिक महत्‍व भी है। आस्‍ट्रेलिया में लोग नदी में स्‍नान कर इस दिन को मनाते हैं। चीन में डोंगजी फेस्टिवल मनाया जाता है। इस मौके पर लोग राइस बॉल्स खाते हैं।

21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होगी। पृथ्वी के सबसे पास होने की वजह से सूर्य की मौजूदगी आठ घंटे ही रहती है, जिसके अस्त होने के बाद रात 16 घंटों की यानी साल की सबसे लंबी रात होती है। सूर्य इस दिन कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर प्रवेश करता है। इसे विंटर सोलस्टाइस कहा जाता है। विंटर सोलस्टाइस का मतलब है कि हर साल 21 दिसम्बर साल का सबसे छोटा दिन होता है। इसकी वजह है कि सूरज से धरती काफी दूर रहती है और चांद की रोशनी इस दिन ज्यादा देर तक पड़ती रहेगी। इस दिन के बाद से ही ठंड बढ़ जाती है। इस दिन सूर्य पृथ्वी पर कम समय के लिए उपस्थित होता है तथा चंद्रमा अपनी शीतल किरणों का प्रसार पृथ्वी पर अधिक देरी तक करता है। इसे विंटर सोल्‍टाइस अथवा दिसंबर दक्षिणायन कहा जाता है।

पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है, जिसके कारण सूर्य की दूरी पृथ्वी के उत्तरी गोलाद्र्ध से अधिक हो जाती हैं और सूर्य की किरणों का प्रसार पृथ्वी पर कम समय तक हो पाता है। वहीं ‘विंटर सोलस्टाइस’ के ठीक विपरीत 20 से 23 जून के बीच ‘समर सोलस्टाइस’ भी मनाया जाता है। तब दिन सबसे लंबा और रात सबसे छोटी होती है तो 21 मार्च और 23 सितम्बर को दिन और रात का समय बराबर होता है। इस दिन सूर्य की किरणें मकर रेखा के लंबवत होती हैं और कर्क रेखा को तिरछा स्पर्श करती हैं। इस वजह से सूर्य जल्दी डूबता है और रात जल्दी हो जाती है। उत्तरी गोलार्ध में 23 दिसम्बर से दिन की अवधि बढऩे लग जाती है। इस दौरान उत्तरी ध्रुव पर रात हो जाती है, जबकि दक्षिणी ध्रुव पर 24 घंटे सूर्य चमकता है। सूर्य 21 मार्च को भूमध्य रेखा पर सीधा चमकता है, इसलिए दोनों गोलार्ध में दिन-रात बराबर होते हैं। सोलस्टाइस एक लैटिन शब्द है, इसका मतलब ‘स्थिर सूरज’ होता है। इस दिन सूर्य कैप्रिकॉन सर्कल में पहुंचता है। दिन के धीरे-धीरे बड़े होने की शुरुआत 25 दिसम्बर के बाद होने लगती है। चांद की किरणें धरती पर काफी देर तक रहती हैं और समय से पहले ही सूरज अस्त हो जाता है।

तकनीकी भाषा में हमारी पृथ्‍वी नार्थ और साउथ दो पोल में विभाजित है। साल के अंत में 21 दिसम्बर को सूर्य पृथ्‍वी के पास होता है और उसकी किरणें सीधे ही मकर रेखा पर होती हैं। चूंकि सूर्य पृथ्‍वी के निकट होता है, इसलिए इसकी उपस्थिति महज 8 घंटों की ही रहती है। जैसे ही शाम को सूर्य ढलता है तो वह रात सबसे लंबी रात होती है। यह 16 घंटे की रात होती है। यह एक नियमित खगोल घटना है, जो कि एक निश्‍चित समय पर स्‍वत: घटित होती है। विश्‍व में आस्‍ट्रेलिया, न्‍यूज़ीलैंड, साउथ अफ्रीका, अर्जेंटाइना आदि देशों में गर्मी रहेगी या समर सोल्‍टाइस देखने को मिलेगा, जिसके चलते वहां सबसे लंबा दिन देखा जाएगा।

  • मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़, फोन: 9815619620

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