कहा- किसानों का साथ देने के लिए फौरन बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लें जेजेपी और निर्दलीय विधायक
CHANDIGARH: सरकार का साथ दे रहे जेजेपी और निर्दलीय विधायकों को किसान से ज्यादा कुर्सी प्यारी है। उन्हें किसानों का साथ देने के लिए फौरन इस सरकार से समर्थन वापस ले लेना चाहिए। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा का कहना है कि आज प्रदेश का अन्नदाता सड़कों पर है और उनका वोट लेने वाले जेजेपी और निर्दलीय विधायक सत्ता का लुफ्त उठा रहे हैं। किसान का वोट लेकर किसान विरोधी सरकार और नीतियों का साथ देने वालों के प्रति जनता में रोष है। ये विधायक लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीक़े से आंदोलन कर रहे किसानों पर लाठियां, आंसू गैसे और वाटर कैनन चलाने वाली सरकार के ख़िलाफ़ एक शब्द नहीं बोल रहे हैं।
खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं जेजेपी और निर्दलीय विधायकों को वोट देने वाले किसान हुड्डा
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कई महीने से प्रदेश का किसान धरने-प्रदर्शन कर रहा है। बावजूद इसके सरकार टस से मस होने का नाम नहीं ले रही। सरकार के रवैए को देखकर स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में ये आंदोलन और बड़ा हो सकता है। एक जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते हम किसानों की मांगों के साथ खड़े हैं। लेकिन किसानों का वोट लेकर विधानसभा में पहुंचे जेजेपी और निर्दलीय विधायक सरकार के साथ खड़े हैं। इन विधायकों को वोट देने वाले किसान आज अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। क्योंकि किसानों ने इन्हें बीजेपी सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए वोट दिए थे लेकिन इन विधायकों ने चुनाव जीतने के बाद बीजेपी को फिर से सत्ता में लाने का काम किया। इसी का ख़ामियाजा आज किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
बीजेपी-जेजेपी सरकार की नींव हिलने लगी
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पंजाब में अकाली दल ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है, राजस्थान की आरएलपी ने भी एनडीए छोड़ने की बात कही है। इतना ही नहीं हरियाणा में भी सरकार को समर्थन दे रहे दो विधायकों ने चेयरमैन पद को त्यागते हुए सरकार से बग़ावत का ऐलान किया है। स्पष्ट है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार की नींव हिलने लगी है। बाकी विधायकों को भी निजी स्वार्थ त्यागकर इस सरकार से बाहर आना चाहिए और किसानों का साथ देना चाहिए। क्योंकि किसानों की मांगे पूरी तरह जायज़ हैं। सरकार को आंदोलन के और बड़ा होना का इंतज़ार नहीं करना चाहिए। जल्द से जल्द किसानों की मांगे मानी जाएं और उन्हें एमएसपी की गारंटी दी जाए।
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