चंडीगढ़ से भी उठी उत्तराखंड के पिछड़े पर्वतीय क्षेत्रों को संविधान की 5वीं अनुसूची में शामिल करने की आवाज

उत्तराखंड एकता मंच ने ट्राइसिटी के सभी उत्तराखंडी संगठनों से 22 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुंचने का किया आह्वान

CHANDIGARH, 9 DECEMBER: उत्तराखंड में पिछड़े हुए पर्वतीय क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची/ ट्रायल स्टेटस के अंतर्गत शामिल करने एवं तदनुसार क्रियान्वयन की अत्यंत आवश्यकता है। इस संबंध में उत्तराखंड राज्य और राज्य के बाहर चल रहे अनेक प्रदर्शनों और सम्मेलन के माध्यम से आज आमजन भ्रमित सा हो रहा है। इसके मद्देनजर उत्तराखंड एकता मंच चंडीगढ़ के आह्वान पर यहां सेक्टर-29 स्थित गढ़वाल भवन में आयोजित एक सम्मेलन में चंडीगढ़ ट्राइसिटी के सभी उत्तराखंडी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। उत्तराखंड एकता मंच के मीडिया प्रभारी शशि प्रकाश पांडेय ने बताया कि सम्मेलन की अध्यक्षता राम प्रसाद सुंडली ने की। इसमें वक्ताओं ने संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों पर प्रकाश डाला। भूकानून, जल-जंगल-जमीन एवं मूलनिवास के नाम पर अलग-अलग फैलाए जा रहे भ्रम पर विस्तार से चर्चा हुई।

वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड के पिछड़े हुए पर्वतीय क्षेत्रों में ब्रिटिश काल से ही अपनी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए जिला अनुसूचित अधिनियम 1874 लागू था, जिससे जल, जंगल, ज़मीन के अधिकार सुरक्षित थे परन्तु स्वतंत्रता के पश्चात इस अधिनियम को बदलकर भारतीय संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची को देश में लागू किया गया लेकिन उत्तराखंड के पिछड़े हुए पर्वतीय क्षेत्रों को इस सूची से बाहर कर दिया गया, जिससे इन क्षेत्रों की सांस्कृतिक पहचान, भाषा और मूल अधिकारों का हनन प्रारम्भ हो गया। फलस्वरूप वहां पलायन को भी बढ़ावा मिला, गांव के गांव खाली हो गए और इन क्षेत्रों की पहचान तथा अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने शुरू हो गए। उत्तराखंड के पिछड़े हुए पर्वतीय क्षेत्रों के पुराने अधिकारों एवं स्वरूप को प्राप्त करने के लिए उत्तराखंड एकता मंच बहुत समय से प्रयासरत है, जिसे देशभर में उत्तराखंडी समुदाय का भरपूर समर्थन मिल रहा है।

इस सम्मेलन में चंडीगढ़ ट्राइसिटी के सभी उत्तराखंडी संगठनों से 22 दिसंबर 2024 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित किए जा रहे विशाल प्रदर्शन में भाग लेने का भी आह्वान किया गया। सम्मेलन के वक्ताओं में उत्तराखंड एकता मंच से महेंद्र सिंह रावत, इंजीनियर विश्व मोहन जोशी, गिरीश सकलानी, सुनील जोशी, दीपक परिहार, हर सिंह कुंजवाल, विक्रम सिंह बिष्ट पूर्व प्रधान गढ़वाल सभा चंडीगढ़, शंकर सिंह पवार प्रधान गढ़वाल सभा चंडीगढ़, भागीरथ नेगी, धर्मपाल रावत अध्यक्ष उत्तराखंड युवा मंच चंडीगढ़, शशि प्रकाश पांडेय, राजिंदर सिंह रावत, भारत सिंह नेगी, गढ़वाल सभा चंडीगढ़ के महासचिव विरेंद्र कंडारी, जगमोहन सिंह रावत, बसंत बंदूनी सह कोआर्डीनेटर, प्रीतम सिंह एवं परमिंदर रावत शामिल थे।

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