चंडीगढ़ के प्रशासक ने JTA को बातचीत के लिए बुलाया, शिक्षक नेताओं ने मांगों पर प्रशासनिक देरी को लेकर उठाए सवाल

एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रशासनिक विभाग को राइट टू सर्विस एक्ट के दायरे में लाने की भी मांग की

CHANDIGARH, 4 SEPTEMBER: चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों की ज्वाइंट टीचर्स एसोसिएशन (JTA) का एक प्रतिनिधिमंडल आज चंडीगढ़ के प्रशासक एवं पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से पंजाब राज भवन में मिला और मांगों पर शिक्षा विभाग में प्रशासनिक देरी से हो रहे शिक्षकों के नुकसान को लेकर उनके समक्ष सवाल खड़े किए। प्रतिनिधिमंडल में JTA के संयोजक रमेश चंद शर्मा, चेयरमैन रणवीर कुमार झोरड़, कानूनी सलाहकार अरविंद राणा व महासचिव अजय शर्मा शामिल थे।

उन्होंने बताया कि गत 22 अगस्त को सेक्टर-20 स्थित जामा मस्जिद मैदान में किए गए प्रदर्शन को लेकर आज चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने JTA प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया था। JTA प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक बनने पर गुलाब चंद कटारिया का स्वागत करते हुए चंडीगढ़ के अध्यापकों की लंबित समस्याओं को उनके सामने रखा। JTA प्रतिनिधियों ने समग्र शिक्षा के कर्मचारियों को सातवां वेतन आयोग ,डीए व एरियर, डेपुटेशन के कर्मचारियों को डीए और एनटीटी, जेबीटी व टीजीटी लेक्चरर को प्रमोशन, हेडमास्टर को प्रिंसिपल में शामिल करना, 2015 बैच के शिक्षकों को पे कमीशन देना और गेस्ट व कांट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए सिक्योर पॉलिसी बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा के 160 नए शिक्षकों का सातवां पे कमीशन दो साल से नहीं दिया गया है और बाकी 1000 शिक्षकों को दो साल से मंहगई भत्ता नहीं दिया गया है। इसलिए JTA प्रतिनिधियों ने प्रशासक से निवेदन किया कि वे अधिकारियों को सातवां पे कमीशन देने और दो साल का महंगाई भत्ता स्टेट बजट से रिवाइज बजट में प्रावधान करके देने का निर्देश जारी करें।

JTA नेताओं ने बताया कि आज हमने चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा जो 11 हेड मास्टर व प्रिंसिपल सस्पेंड किए गए थे और बाद में बहाल किए गए थे, उनकी चार्जशीट को जल्द ख़त्म करने की मांग भी की, ताकि ये प्रमोशन प्रक्रिया में भाग ले सकेंl प्रशासक ने आश्वासन दिया कि वह सारे मामलों पर संबंधित अधिकारियों से बात करेंगे तथा JTA प्रतिनिधियों से दोबारा मुलाकात करेंगे। JTA प्रतिनिधियों ने बताया कि गत 22 अगस्त को प्रदर्शन के दौरान JTA द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया गया था, जिसकी समय सीमा 7 सितंबर को खत्म हो रही है। तब तक यदि मांगों का समाधान नहीं किया गया तो JTA एक सार्थक रणनीति के साथ मैदान में उतरेगी।

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